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Blog / 19 Nov 2025

निम्न गुणवत्ता के बीजों की बिक्री रोकने के लिए मसौदा बीज विधेयक

सन्दर्भ:

हाल ही में 13 नवम्बर 2025 को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने मसौदा बीज विधेयक, 2025 जारी करते हुए 11 दिसम्बर तक सार्वजनिक टिप्पणियाँ आमंत्रित की हैं। यह विधेयक भारत की बीज विनियमन प्रणाली में व्यापक सुधार लाने का प्रयास है। यह 1966 के बीज अधिनियम को प्रतिस्थापित करेगा और गैर-मानक तथा अपंजीकृत बीजों की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए कठोर दंड, 30 लाख रुपये तक का जुर्माना और तीन वर्ष तक का कारावास का प्रावधान करता है।

पृष्ठभूमि:

    • भारत का वर्तमान बीज कानून (1966) बीज किस्मों का अनिवार्य पंजीकरण नहीं करता।
    • 2004 और 2019 में नए बीज कानून लाने के प्रयास असफल रहे।
    • मिलावटी बीज, फसल क्षति और किसानों के बढ़ते नुकसान ने एक आधुनिक, प्रवर्तनीय विनियामक ढाँचे की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

मसौदा बीज विधेयक, 2025 के प्रमुख प्रावधान:

1. बीज किस्मों का अनिवार्य पंजीकरण

      • धारा 13 प्रावधान करती है कि निम्न दो श्रेणियों को छोड़कर
        (क) किसान किस्में
        (ख) केवल निर्यात हेतु उत्पादित किस्में
        किसी भी प्रकार के बीज को पंजीकरण के बिना बोवाई हेतु नहीं बेचा जा सकेगा।
      • पंजीकरण प्रदर्शन, अंकुरण, क्षेत्र परीक्षण और गुणवत्ता से संबंधित आँकड़ों के आधार पर होगा।
      • 1966 के बीज अधिनियम के अंतर्गत पहले से अधिसूचित किस्मों को स्वतः पंजीकृत माना जाएगा।

2. अपराधों का वर्गीकरण

विधेयक अपराधों को तीन श्रेणियों में विभाजित करता है

      • नगण्य
      • लघु
      • प्रमुख

प्रमुख अपराधों में शामिल हैं:

      • मिलावटी/नकली बीजों की आपूर्ति
      • अपंजीकृत किस्मों के बीजों की बिक्री
      • पंजीकरण के बिना बीज व्यवसाय (विक्रेता, वितरक, उत्पादक, प्रसंस्करण इकाई, नर्सरी) संचालित करना

3. दंडात्मक प्रावधान

प्रमुख उल्लंघनों के लिए:

      • 30 लाख रुपये तक का जुर्माना
      • तीन वर्ष तक का कारावास

ये कठोर दंड उन कुप्रथाओं को रोकने के लिए हैं जो फसल परिणामों और किसान आजीविका को जोखिम में डालती हैं।

4. बीज गुणवत्ता और आयात का विनियमन

विधेयक का उद्देश्य

      • देश में बेचे जाने वाले सभी बीजों के लिए गुणवत्ता मानकों का विनियमन करना
      • आयातित बीजों पर प्रभावी गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना
      • बीज आपूर्ति श्रृंखला को अधिक पारदर्शी बनाना

उद्देश्य यह है कि किसानों को विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध हों।

महत्व:

    • किसान संरक्षण: बीज विफलता और मिलावट से होने वाले आर्थिक नुकसान को रोकने में सहायक।
    • बीज क्षेत्र का आधुनिकीकरण: लगभग 60 वर्ष पुराने कानून को अद्यतन कर आधुनिक चुनौतियोंसंकर बीज, निजी अनुसंधान, और प्रौद्योगिकीय दावोंका समाधान।
    • उत्तरदायित्व: पंजीकरण और अनुरेखण अनिवार्य कर बीज कंपनियों को गुणवत्ता के लिए जवाबदेह ठहराता है।
    • बाज़ार अनुशासन: मिलावटी बीज विक्रेताओं पर कड़ी रोक, जिससे बीज बाज़ार की विश्वसनीयता बढ़ेगी।

चिंताएँ और चुनौतियाँ:

    • छोटे बीज उत्पादकों पर अनुपालन का बोझ बढ़ सकता है।
    • पंजीकरण और प्रमाणन प्रक्रियाएँ तेज़ होनी चाहिए, ताकि नई किस्में बाज़ार में आने में विलंब न हो।
    • प्रभावी प्रवर्तन के लिए परीक्षण प्रयोगशालाओं, निरीक्षकों और राज्य एजेंसियों के बीच समन्वय को सुदृढ़ करने की आवश्यकता होगी।

निष्कर्ष:

बीज विधेयक, 2025 बीज गुणवत्ता सुनिश्चित करने, किसानों की सुरक्षा बढ़ाने और बीज क्षेत्र को अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार है। कठोर दंड और अनिवार्य पंजीकरण के माध्यम से यह भारत की कृषि-इनपुट शासन प्रणाली को आधुनिक बनाने की कोशिश करता है। इसकी सफलता संतुलित क्रियान्वयन, पर्याप्त अवसंरचना और सभी संबंधित पक्षों के सहयोग पर निर्भर करेगी।