सन्दर्भ:
भारत के गृह मंत्रालय (MHA) ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ अपील दायर की है, जिसमें एक 17 वर्षीय लड़की रचिता को भारतीय नागरिकता दी गई थी। रचिता भारत में पैदा हुई हैं और उनके माता-पिता ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्डधारक हैं। हालांकि गृह मंत्रालय ने रचिता को नागरिकता देने का विरोध नहीं किया, लेकिन उसने कोर्ट के कानूनी आधार पर आपत्ति जताई है।
मंत्रालय की चिंता यह है कि रचिता को “अवैध प्रवासी नहीं” और “भारतीय मूल की व्यक्ति” मानना एक नज़ीर (precedent) बन सकता है और भविष्य में ऐसे कई दावे आने की आशंका है, जिससे नागरिकता अधिनियम, 1955 का उद्देश्य कमजोर हो सकता है।
मुख्य मुद्दे:
1. "अवैध प्रवासी" की परिभाषा:
- हाईकोर्ट की एकल पीठ ने कहा था कि चूंकि रचिता भारत में पैदा हुई हैं और कभी देश से बाहर नहीं गईं, इसलिए वह अवैध प्रवासी नहीं हैं।
- गृह मंत्रालय का तर्क है कि नागरिकता अधिनियम की धारा 2(1)(b) के अनुसार, बिना वैध यात्रा दस्तावेजों के पैदा हुआ बच्चा भी “अवैध प्रवासी” की श्रेणी में आता है।
2. "भारतीय मूल का व्यक्ति" (Person of Indian Origin):
- कोर्ट ने कहा कि रचिता की माँ का जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ था, इसलिए रचिता "भारतीय मूल की" मानी जा सकती हैं।
- लेकिन MHA का कहना है कि यह निष्कर्ष गलत है, क्योंकि धारा 5 के अनुसार, "भारतीय मूल" का मतलब भारत के विभाजन (15 अगस्त 1947 से पहले) से संबंधित है।
- मंत्रालय की आशंका है कि यदि इस परिभाषा का दायरा बढ़ा दिया गया, तो पाकिस्तान या बांग्लादेश में पैदा हुए लोग भी दावे कर सकते हैं।
प्रभाव:
- नागरिकता अधिकार: यह मामला उन बच्चों के लिए महत्वपूर्ण है जो OCI कार्डधारकों के रूप में भारत में पैदा होते हैं। मंत्रालय की अपील से ऐसे बच्चों को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने में अड़चनें आ सकती हैं।
- कानूनों की सामंजस्यपूर्ण व्याख्या: गृह मंत्रालय ने सुझाव दिया कि नागरिकता अधिनियम, 1955 और विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946 को सामंजस्यपूर्ण तरीके से पढ़ा जाए, ताकि नागरिकता और प्रवासी कानूनों की बेहतर समझ बन सके।
चिंताएँ और चुनौतियाँ:
- नागरिकता विहीनता (Statelessness): रचिता फ्रांसिस जेवियर का मामला यह दिखाता है कि ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो किसी भी देश के नागरिक नहीं माने जाते और कानूनन “राज्यविहीन” हो जाते हैं।
- बाढ़ का खतरा (Floodgates Argument): मंत्रालय की यह चिंता उचित है कि यदि कोर्ट का यह फैसला कायम रहा, तो अन्य अवैध प्रवासी भी इसी आधार पर भारतीय नागरिकता की मांग कर सकते हैं। हालांकि, इसके साथ ही यह भी ज़रूरी है कि रचिता जैसी परिस्थितियों वाले बेवश लोगों के अधिकारों की रक्षा की जाए।
निष्कर्ष:
गृह मंत्रालय द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने से भारतीय नागरिकता कानूनों से जुड़े कई अहम सवाल उठते हैं, खासकर उन लोगों के संदर्भ में जो OCI कार्डधारकों के बच्चे हैं और भारत में जन्मे हैं।
जहाँ मंत्रालय की चिंता कानूनी दायरे और नीति के दृष्टिकोण से जायज़ है, वहीं यह भी आवश्यक है कि ऐसे मामलों में मानवाधिकारों और न्याय की भावना से संतुलन बना रहे। इस मामले का फैसला आने वाले समय में OCI कार्डधारकों के बच्चों की नागरिकता को लेकर अहम दिशा तय करेगा।