संदर्भ:
हाल ही में कर्नाटक की 38 वर्षीय महिला में एक नया रक्त समूह एंटीजन CRIB की खोज हुई है। सर्जरी से पहले उनकी O Rh+ रक्त प्रकार की सभी डोनर यूनिट्स से असंगति (incompatibility) पाई गई, जिसके बाद खून का सैंपल यूके के अंतरराष्ट्रीय रक्त समूह संदर्भ प्रयोगशाला (IBGRL) को भेजा गया। जांच के बाद IBGRL ने इस नए एंटीजन की पुष्टि की। यह खोज दुर्लभ रक्त समूहों और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन (रक्त संक्रमण चिकित्सा) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति मानी जा रही है।
मामले की पृष्ठभूमि:
- कर्नाटक की यह 38 वर्षीय महिला हृदय सर्जरी के लिए अस्पताल में भर्ती हुई थीं। प्रारंभिक परीक्षणों में उनकी रक्त श्रेणी O Rh+ पाई गई, जो आमतौर पर सबसे सामान्य मानी जाती है और जिसे “यूनिवर्सल डोनर” के रूप में स्वीकार किया जाता है।
- हालाँकि, जब ऑपरेशन से पहले रक्त चढ़ाने की तैयारी की गई, तो कोई भी O Rh+ यूनिट उनके लिए उपयुक्त नहीं पाई गई। उनके रक्त ने उपलब्ध सभी डोनर सैंपलों के साथ प्रतिक्रिया दी, इस प्रक्रिया को पैन-रिएक्टिविटी (panreactivity) कहा जाता है।
- इस असामान्य प्रतिक्रिया से यह संकेत मिला कि उनके रक्त में कोई ऐसा अज्ञात एंटीजन मौजूद है जो सामान्य रक्त इकाइयों से मेल नहीं खाता। इस स्थिति को गंभीर और चिकित्सकीय रूप से असाधारण मानते हुए मामला तुरंत विशेषज्ञ प्रयोगशालाओं को भेजा गया।
जांच की प्रक्रिया:
· पहला चरण: बेंगलुरु की एक उच्च स्तरीय प्रयोगशाला में विशेष सीरोलॉजिकल जांच की गई, जिसमें एक अज्ञात एंटीजन की उपस्थिति की पुष्टि हुई।
· दूसरा चरण: रक्त के नमूने ब्रिटेन की IBGRL को भेजे गए, जहाँ आनुवंशिक और आणविक स्तर पर गहन शोध हुआ।
लगभग दस महीने की जांच के बाद IBGRL ने इस अज्ञात एंटीजन की पुष्टि क्रोमर (सीआर) ब्लड ग्रुप सिस्टम के अंतर्गत की।
खोज की मुख्य बातें:
· इस नए एंटीजन को CRIB नाम दिया गया है, जिसमें "CR" Cromer के लिए और "IB" India, Bangalore के लिए है।
· जून 2025 में मिलान (इटली) में आयोजित इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन (ISBT) की 35वीं रीजनल कांग्रेस में इस खोज की आधिकारिक घोषणा की गई।
· यह CRIB एंटीजन का विश्व का पहला ज्ञात और पुष्टि किया गया मामला है।
इस खोज का महत्व:
1. रक्त चढ़ाने और सर्जरी की सुरक्षा में सुधार:
· दुर्लभ रक्त प्रकारों में गलत मेल के कारण गंभीर प्रतिक्रिया हो सकती है।
· CRIB जैसे दुर्लभ एंटीजन की पहचान से ब्लड मैचिंग की प्रक्रिया और सुरक्षित बन सकेगी।
· इससे खासकर आपातकालीन सर्जरी और गंभीर मामलों में सही और सुरक्षित रक्त उपलब्ध कराया जा सकेगा।
2. दुर्लभ रक्त दाताओं के रजिस्टर का निर्माण:
ऐसे मरीजों की मदद के लिए, जिनके रक्त में दुर्लभ एंटीजन हों, निम्नलिखित के सहयोग से एक दुर्लभ दाता रजिस्ट्री शुरू की गई है:
o कर्नाटक राज्य रक्त आधान परिषद
o भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)
o अंतर्राष्ट्रीय रक्त आधान सोसायटी
3. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा:
भारत ने पहले भी दुर्लभ रक्त समूह अनुसंधान में योगदान दिया है, जिसके कुछ मामले निम्नलिखित हैं:
· आरएच शून्य
· बी नेगेटिव
सीआरआईबी की खोज वैश्विक इम्यूनोहेमेटोलॉजी में भारत की स्थिति को मजबूत करती है और उन्नत चिकित्सा विज्ञान में इसकी अनुसंधान क्षमताओं को सुदृढ़ करती है।
निष्कर्ष:
CRIB एंटीजन की खोज ट्रांसफ्यूजन चिकित्सा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह दिखाता है कि रक्त समूह की पहचान के लिए उन्नत परीक्षण और सतत शोध कितने आवश्यक हैं।
भारत जैसे विविध देश के लिए यह जरूरी है कि हम दुर्लभ रक्त दाताओं का नेटवर्क तैयार करें और स्वैच्छिक रक्तदान को प्रोत्साहित करें। यह खोज भविष्य में सर्जरी, आपातकालीन देखभाल और अंग प्रत्यारोपण जैसे क्षेत्रों को प्रभावित करेगी और देश-विदेश में अनेक लोगों की जान बचाने में सहायक होगी।