संदर्भ:
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड के वैज्ञानिकों ने सुपरफ्लुइड हीलियम का उपयोग करते हुए एक सूक्ष्म “वेव फ्लूम” (wave flume) विकसित किया है, जिससे अत्यंत सूक्ष्म स्तर पर गैर-रेखीय (nonlinear) तरंग गतिकी का अध्ययन किया जा सके। हाल ही में यह शोध साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ।
सुपरफ्लुइड हीलियम के बारे में:
जब हीलियम को पूर्ण शून्य तापमान से कुछ डिग्री ऊपर तक ठंडा किया जाता है, तो यह सुपरफ्लुइड अवस्था में प्रवेश करता है। इस अवस्था में यह बिना किसी चिपचिपाहट (viscosity) या घर्षण (friction) के बह सकता है।
नैनोमीटर मोटाई की अत्यंत पतली परतें स्वतंत्र रूप से गतिशील रहती हैं और सामान्य द्रवों जैसा व्यवहार नहीं करतीं। यही विशेषता वैज्ञानिकों को सिलिकॉन चिप पर एक सूक्ष्म चैनल बनाने में मदद करती है, जो नैनोमीटर पैमाने पर एक “तरंग टैंक” (wave tank) जैसा काम करता है।
मुख्य अवलोकन:
· पीछे की ओर बहाव:(Backward Steepening): सामान्य पानी की तरंगों के विपरीत, सुपरफ्लुइड हीलियम में तरंग के गर्त (trough) शिखर (crest) की तुलना में तेज़ी से चलते पाए गए। परिणामस्वरूप, तरंगें आगे झुकने के बजाय पीछे की ओर झुकने लगीं।
· शॉक फ्रंट्स (Shock Fronts): कुछ अत्यंत तीव्र तरंगों ने लगभग ऊर्ध्वाधर अग्रभाग (near-vertical leading edges) बनाए, जो सूक्ष्म “सुनामी” जैसी लहरों के समान दिखे।
· सोलिटन विखंडन (Soliton Fission): एकल तरंग (single wave) कई स्वतंत्र तरंगों (solitary waves या solitons) में विभाजित होती देखी गई। ये तरंगें ऊँचाई के बजाय गहराई के रूप में आगे बढ़ीं, जिससे सुपरफ्लुइड्स से संबंधित सैद्धांतिक पूर्वानुमान की पुष्टि हुई।
सामान्य द्रवों का व्यवहार:
सामान्य तरल पदार्थ वे द्रव या गैसें हैं जो पारंपरिक द्रव यांत्रिकी (Classical Fluid Mechanics) के सिद्धांतों के अनुसार व्यवहार करती हैं। अतिद्रवों (Superfluids) के विपरीत, इनमें श्यानता (Viscosity) तथा प्रवाह प्रतिरोध (Flow Resistance) होता है और ये न्यूटन के गति के नियमों का पालन करती हैं।
मुख्य गुण:
· श्यानता: सामान्य तरल पदार्थों में आंतरिक घर्षण होता है जो उनके प्रवाह का विरोध करता है। उदाहरण के लिए, शहद अपनी अधिक श्यानता के कारण पानी की तुलना में बहुत धीमी गति से बहता है।
· सतही तनाव: सामान्य तरल पदार्थों में सतह पर अणुओं के बीच आकर्षण के कारण सतही तनाव उत्पन्न होता है। इससे मेनिस्कस बनता है और द्रव सतह के विकृति का प्रतिरोध करता है, परंतु ये द्रव अनिश्चित काल तक सतहों पर नहीं चढ़ सकते।
· प्रवाह प्रतिरोध: जब कोई सामान्य तरल संकरी नलिकाओं, पाइपों या पतली परतों से होकर बहता है, तो घर्षण उसे धीमा कर देता है। इसलिए यह अति-पतली परतों में अनंत काल तक प्रवाहित नहीं रह सकता।
· ऊर्जा क्षय: सामान्य तरल पदार्थों में उत्पन्न तरंगें धीरे-धीरे अपनी ऊर्जा खो देती हैं। यह ऊर्जा क्षय श्यानता और आंतरिक घर्षण के कारण होता है। उदाहरणस्वरूप, पानी की तरंगें समय के साथ समतल हो जाती हैं।
· गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव: सामान्य तरल पदार्थों में गुरुत्वाकर्षण जैसे स्थूल बल प्रवाह और तरंगों के व्यवहार पर हावी रहते हैं। इससे तरल का प्रवाह दिशा और गति मुख्यतः गुरुत्वाकर्षण द्वारा नियंत्रित होती है।
सामान्य द्रवों में तरंगों का व्यवहार:
• सामान्य द्रवों में तरंग का शिखर (crest), गर्त (trough) की तुलना में तेज़ी से चलता है, जिससे तरंगें आगे की ओर झुककर टूटने लगती हैं।
• सोलिटॉन (soliton) तरंगें कुछ विशेष परिस्थितियों में बन सकती हैं, पर वे सुपरफ्लुइड्स की तुलना में बहुत कम प्रभावशाली होती हैं।
• गैर-रेखीय (nonlinear) प्रभाव सामान्य द्रवों में चिपचिपाहट और अशांति (turbulence) के कारण सीमित रहते हैं।
निष्कर्ष:
यह नैनोमीटर-स्तर का “हीलियम टैंक” क्वांटम द्रव गतिकी और पारंपरिक जल गतिकी के बीच के अंतर को कम करने वाला एक महत्वपूर्ण प्रयोगात्मक मंच सिद्ध हुआ है। इसके माध्यम से वैज्ञानिक अब अत्यंत सूक्ष्म और नियंत्रित परिस्थितियों में जटिल तरंग घटनाओं का पुनर्निर्माण और विश्लेषण कर सकते हैं। यह शोध भविष्य में द्रव गतिकी, ऊर्जा प्रणालियों, संवेदन प्रौद्योगिकी (सेंसर्स) और ऑप्टोमैकेनिक्स जैसे उभरते क्षेत्रों में नई संभावनाओं के द्वार खोलता है।
