संदर्भ:
हाल ही में रक्षा मंत्रालय ने रक्षा खरीद मैनुअल 2025 को मंजूरी दी है। यह 2009 में जारी मैनुअल का एक व्यापक और संशोधित संस्करण है। इसका मुख्य उद्देश्य सशस्त्र बलों के लिए खरीद प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, सरल, त्वरित और किफायती बनाना है, ताकि आवश्यक संसाधनों की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
रक्षा खरीद मैनुअल 2025 के मुख्य उद्देश्य:
· खरीद प्रक्रिया को सरल और व्यवस्थित बनाना ताकि सशस्त्र बलों की बदलती आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
· आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देना और घरेलू उद्योगों, खासकर एमएसएमई और स्टार्ट-अप को रक्षा उत्पादन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना।
· खरीद प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाना, ताकि समय पर उपयुक्त लागत पर संसाधन मिल सकें।
· थलसेना, नौसेना और वायुसेना के बीच संयुक्तता को प्रोत्साहित करना, जिससे सैन्य तैयारी मजबूत हो।
रक्षा खरीद मैनुअल 2025 की मुख्य विशेषताएँ:
1. विकास अनुबंधों में छूट:
· विकास चरण के दौरान तरलता क्षति (एलडी) नहीं लगाई जाएगी।
· प्रोटोटाइप बनने के बाद न्यूनतम LD (0.1%) लगाया जाएगा, जिसकी अधिकतम सीमा 5% होगी। गंभीर देरी की स्थिति में यह 10% तक हो सकती है।
2. सुनिश्चित ऑर्डर और सहयोग:
· उद्योगों को पाँच साल तक गारंटीकृत ऑर्डर दिए जाएंगे, जो विशेष परिस्थितियों में बढ़ाए भी जा सकते हैं।
· सेवाओं द्वारा तकनीकी जानकारी और मौजूदा उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे ताकि विकास प्रक्रिया सफल हो सके।
3. सक्षम वित्तीय प्राधिकरणों (सीएफए) को अधिकार:
· सीएफए को क्षेत्रीय स्तर पर निर्णय लेने का अधिकार होगा, जिससे मामलों को ऊपरी स्तर पर भेजने की ज़रूरत नहीं होगी।
· इससे डिलीवरी बढ़ाने या बिड की तारीख बदलने जैसे मामलों में निर्णय लेने की गति बढ़ेगी और देरी कम होगी।
4. मरम्मत/रिफिट गतिविधियों के लिए सहयोग:
· हवाई और नौसैनिक प्लेटफॉर्म की मरम्मत, रिफिट और रखरखाव गतिविधियों के लिए 15% की अतिरिक्त वृद्धि की सुविधा दी जाएगी, ताकि डाउनटाइम कम से कम हो।
5. सीमित निविदा और स्वामित्व वाली वस्तुएं:
· विशेष वस्तुओं की सीमित निविदा 50 लाख रुपये तक की जा सकेगी और इससे अधिक केवल विशेष परिस्थितियों में संभव होगी।
· स्वामित्व वाली वस्तुओं को स्वामित्व लेख प्रमाणपत्र के साथ खरीदा जा सकता है, किन्तु इसके साथ यह भी आवश्यक होगा कि बाज़ार में उपलब्ध संभावित विकल्पों की जाँच अवश्य की जाए।
6. सरकार-से-सरकार समझौते:
· उच्च मूल्य वाली खरीद के लिए ऐसी डील्स को लेकर एक सरल और स्पष्ट प्रक्रिया अपनाई गई है।
7. समान अवसर और प्रतिस्पर्धी बोली:
· खुली बोली के लिए अब डीपीएसयू से अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है।
· प्रतिभागियों के बीच समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए निविदाएं पूर्णतः प्रतिस्पर्धी आधार पर प्रदान की जाएंगी।
रक्षा उद्योग पर प्रभाव:
रक्षा खरीद मैनुअल 2025 भारत की रक्षा खरीद प्रणाली में व्यापक परिवर्तन लाएगा। यह न केवल प्रक्रियाओं को सरल और पारदर्शी बनाएगा, बल्कि निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी को भी बढ़ावा देगा। स्पष्ट और व्यवस्थित दिशानिर्देशों के माध्यम से भारतीय उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता में वृद्धि होगी। परिणामस्वरूप, सशस्त्र बलों को उच्च गुणवत्ता वाले उपकरण और संसाधन समय पर उपलब्ध होंगे तथा देश की रक्षा क्षमता और आत्मनिर्भरता दोनों सुदृढ़ होंगी।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) के बारे में:
भारत में रक्षा खरीद से संबंधित निर्णय लेने वाला सर्वोच्च निकाय रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) है। इसे 2001 में कारगिल युद्ध के बाद स्थापित किया गया था। परिषद का मुख्य कार्य निर्धारित बजट और समयसीमा के भीतर रक्षा संसाधनों की शीघ्र, प्रभावी और पारदर्शी खरीद सुनिश्चित करना है। इसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री करते हैं, जबकि इसमें प्रमुख रक्षा और वित्तीय अधिकारी सदस्य के रूप में शामिल होते हैं।
निष्कर्ष:
रक्षा खरीद मैनुअल 2025 की मंजूरी भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह नवाचार को बढ़ावा देगा, खरीद प्रक्रिया को आसान बनाएगा और घरेलू उद्योगों को सहयोग देगा। इससे भारत एक आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी रक्षा उद्योग बनाने की ओर बढ़ेगा, जो भविष्य में सैन्य तैयारी और तकनीकी प्रगति सुनिश्चित करेगा।