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Blog / 11 Aug 2025

भारतीय रक्षा में साइबरस्पेस एवं जल-थल अभियानों हेतु संयुक्त सिद्धांत

सन्दर्भ:

हाल ही में 7 अगस्त 2025 को, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) एवं सैन्य मामलों के विभाग के सचिव जनरल अनिल चौहान ने साइबरस्पेस ऑपरेशंस के लिए संयुक्त सिद्धांत को सार्वजनिक किया। साथ ही, नई दिल्ली में आयोजित चीफ्स ऑफ स्टाफ़ कमेटी की बैठक के दौरान जल-थल अभियानों के लिए संयुक्त सिद्धांत पर भी हस्ताक्षर किए गए। यह पहल भारत की रक्षा योजना में संयुक्त युद्ध-कौशल, पारदर्शिता और एकीकरण पर बढ़ते ज़ोर को रेखांकित करती है।

साइबरस्पेस संचालन के लिए संयुक्त सिद्धांत की विशेषताएं:

यह सिद्धांत भारत के साइबरस्पेस हितों की रक्षा के लिए एक समेकित राष्ट्रीय रणनीति प्रदान करता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

·         सेना, नौसेना और वायु सेना में आक्रामक और रक्षात्मक साइबर क्षमताओं का एकीकरण ।

·         डिजिटल बुनियादी ढांचे में लचीलेपन पर जोर ।

·         सेवाओं के बीच वास्तविक समय की खुफिया जानकारी साझा करना ।

·         तीव्र एवं अधिक प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए एकीकृत साइबर ऑपरेशन का संचालन ।

संयुक्त सिद्धांतों की आवश्यकता:

आधुनिक युद्ध में सशस्त्र बलों की सभी शाखाओं के बीच निर्बाध समन्वय की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। बहु-क्षेत्रीय युद्धक्षेत्रों , ग्रे-ज़ोन खतरों और साइबरस्पेस में लगातार चुनौतियों की ओर बढ़ते बदलाव ने एक एकीकृत परिचालन दृष्टिकोण को आवश्यक बना दिया है।
संयुक्त सिद्धांत:

·         एकीकृत परिचालन के लिए एक सामान्य ढांचा, भाषा और मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करना।

·         अंतर-संचालनीयता को बढ़ाना और अनावश्यक जटिलता कम करना।

·         जटिल खतरों के प्रति तीव्र एवं समन्वित प्रतिक्रिया को सक्षम बनाना ।

·         परिचालन दक्षता और रणनीतिक सुसंगतता में सुधार ।

भारत के लिए, जोकि विविध सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, ये सिद्धांत राष्ट्रीय रक्षा को मजबूत करने तथा सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच तालमेल बनाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

Ministry of Defence, Government of India on X: "CDS General Anil Chauhan  today released Joint Doctrine for Amphibious Operations in New Delhi,  providing guidance for commanders in complex military environments. It will

साइबरस्पेस:

साइबरस्पेस सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) प्रणालियों का वैश्विक डोमेन है जो डिजिटल डेटा को संसाधित, संग्रहीत और प्रसारित करता है, चाहे वे इंटरनेट से जुड़े हों या नहीं। यह आधुनिक सेनाओं के लिए थल, वायु, जल और अंतरिक्ष के साथ-साथ एक महत्वपूर्ण परिचालन डोमेन बन गया है।

साइबरस्पेस संचालन के सैन्य लाभ:

·        वास्तविक समय में खुफिया जानकारी एकत्र करना ताकि स्थितिजन्य जागरूकता (Situational Awareness) बनी रहे।

·        प्रभावी संचार और समन्वय को सुनिश्चित करना।

·        सिग्नल इंटेलिजेंस के माध्यम से डेटा को अवरोधित (Intercept) कर उसका विश्लेषण करना।

·        आक्रामक और रक्षात्मक साइबर ऑपरेशनों का संचालन, जिससे शत्रु नेटवर्क बाधित हों और राष्ट्रीय प्रणालियों की सुरक्षा हो सके।

·        सामरिक, परिचालन और रणनीतिक स्तरों पर त्वरित व सटीक निर्णय लेने में सहायता प्रदान करना।

साइबरस्पेस की कमजोरियाँ:

·         साइबर युद्ध सैन्य और नागरिक नेटवर्क को निष्क्रिय कर सकता है

·         ऊर्जा, परिवहन या स्वास्थ्य सेवा जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में व्यवधान।

·         वर्गीकृत डेटा की चोरी या हेरफेर

·         आर्थिक और वित्तीय प्रणालियों को पंगु बनाने की क्षमता , समग्र राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभाव।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की भूमिका:

सुब्रह्मण्यम समिति की रिपोर्ट पर आधारित 2001 के मंत्रिसमूह की सिफारिशों के बाद, 2019 में सीडीएस का पद सृजित किया गया था।

·        सैन्य मामलों के विभाग का प्रमुख।

·        चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के स्थायी अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है।

·        रक्षा मंत्रालय को त्रि-सेवा और परमाणु मामलों पर सलाह देना

·        अंतर-सेवा अधिग्रहण और योजना का समन्वय करता है।

·        सेवा प्रमुखों पर प्रत्यक्ष आदेश का प्रयोग नहीं करता है

निष्कर्ष:

साइबरस्पेस संचालन के लिए संयुक्त सिद्धांत का गोपनीयता-मुक्त होना भारत की सैन्य सोच के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण विकास है। जैसे-जैसे साइबर खतरे जटिलता और पैमाने में निरंतर वृद्धि कर रहे हैं, यह सिद्धांत डिजिटल क्षेत्र में राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा हेतु एक संरचित, एकीकृत और समन्वित दृष्टिकोण प्रदान करता है। सभी सैन्य सेवाओं में साइबर क्षमताओं के एकीकरण और अंतर-संचालनीयता को बढ़ावा देकर, भारत सूचना युग में अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और सामरिक बढ़त को सुदृढ़ करने की स्थिति में है।