संदर्भ:
हाल ही में भारत और फ्रांस ने औपचारिक रूप से भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल-मैरीन (राफेल-एम) लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर एक अंतर-सरकारी समझौते (IGA) पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते का अनुमानित मूल्य लगभग ₹64,000 करोड़ है। यह भारत की समुद्री रक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण कदम है।
समझौते के प्रमुख बिंदु:
• डिलिवरी की समयसीमा: लड़ाकू विमानों का पहला बैच 2028 के मध्य तक भारत पहुँचने की संभावना है, जबकि पूरी डिलिवरी 2030 तक पूरी होने की उम्मीद है। भारतीय नौसेना के कर्मियों को फ्रांस और घरेलू सुविधाओं में व्यापक प्रशिक्षण मिलेगा।
• प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (ToT): समझौते का एक महत्वपूर्ण पहलू प्रौद्योगिकी हस्तांतरण है, जिससे भारत को राफेल प्लेटफार्म में स्वदेशी हथियार प्रणालियाँ, जैसे कि आस्त्रा बीवीआर (Beyond Visual Range) एयर-टू-एयर मिसाइल का एकीकरण करने का अवसर मिलेगा।
• IAF राफेल के साथ इंटरऑपरेबिलिटी: नौसैनिक संस्करण भारतीय वायु सेना में पहले से सेवा में मौजूद राफेल विमानों के साथ उच्च स्तर की प्रणालियाँ साझा करेगा, जिससे रखरखाव, लॉजिस्टिक्स और संयुक्त संचालन को सरल बनाया जा सकेगा।
• घरेलू अवसंरचना का विकास: इस समझौते में राफेल के फ्यूज़लेज घटकों का उत्पादन और इंजन, सेंसर, तथा हथियार प्रणालियों के लिए मेंटेनेंस, रिपेयर और सभी सुविधाओं का विकास भारत में किया जाएगा, जो "मेक इन इंडिया" पहल को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा।
रणनीतिक प्रभाव:
• समुद्री शक्ति में वृद्धि: राफेल-एम, जो कैरियर-आधारित संचालन में सक्षम हैं, यह विशेष रूप से INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य पर भारतीय नौसेना की आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएंगे।
• आर्थिक विकास और रोजगार सृजन: इस समझौते से भारत की सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को लाभ होगा, विशेषकर उन उद्यमों को जो रक्षा निर्माण में संलग्न हैं। इसके परिणामस्वरूप रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी।
• द्विपक्षीय रक्षा सहयोग: इस समझौते का सफल समापन भारत और फ्रांस के बीच विशेष रूप से रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में मजबूत होती रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि करता है।
पृष्ठभूमि:
भारतीय नौसेना वर्तमान में दो विमानवाहक पोतों “INS विक्रमादित्य और INS विक्रांत” का संचालन कर रही है। नौसेना अपने पुराने हो चुके MiG-29K लड़ाकू विमानों को नवीन पीढ़ी के आधुनिक विमानों से प्रतिस्थापित करने की योजना पर कार्य कर रही है। राफेल-एम सौदा इसी प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो नौसेना के बेड़े के आधुनिकीकरण और उसकी संचालन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करने में सहायक सिद्ध होगा।
निष्कर्ष:
राफेल-एम समझौता भारत की रक्षा आधुनिकीकरण यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो भारतीय नौसेना को भारतीय महासागर क्षेत्र सहित दूर-दराज़ के समुद्री क्षेत्रों में अपनी शक्ति और प्रभावशीलता प्रदर्शित करने में सक्षम बनाएगा। यह समझौता न केवल उन्नत तकनीक और रणनीतिक साझेदारियों को मजबूत करता है, बल्कि मानव रहित प्रणालियों और स्वदेशी क्षमताओं के समानांतर विकास के माध्यम से आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को भी स्पष्ट रूप से दर्शाता है।