संदर्भ:
हाल ही में उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने नई दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की, जिसका उद्देश्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बढ़ते डार्क पैटर्न के खतरे से निपटना था। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 50 से अधिक ई-कॉमर्स कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक का मकसद हाल ही में जारी किए गए दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करना था, जो उपभोक्ताओं को धोखे से बचाने के लिए बनाए गए हैं।
डार्क पैटर्न क्या होते हैं?
डार्क पैटर्न वे चालाक और भ्रामक डिज़ाइन होते हैं जो उपभोक्ताओं को अनजाने में ऐसे फैसले लेने के लिए उकसाते हैं जो वे सामान्य रूप से नहीं लेते।
इनमें शामिल हो सकते हैं:
- झूठी जल्दीबाज़ी दिखाना (जैसे "स्टॉक खत्म हो रहा है"),
- रद्द करने का विकल्प छुपाना,
- पहले से चयनित ऐड-ऑन सेवाएं,
- मूल्य की गलत जानकारी देना।
ये सभी तरीके ईमानदार व्यापार और पारदर्शिता के सिद्धांतों के खिलाफ होते हैं और अब इन्हें भ्रामक विज्ञापन और अनुचित व्यापार प्रथाओं की श्रेणी में रखा जा रहा है।
मंत्रालय की कार्रवाई और दिशानिर्देश
मंत्रालय ने 13 प्रकार के डार्क पैटर्न को औपचारिक रूप से पहचाना है, जैसे झूठी जल्दीबाज़ी दिखाना और भ्रामक प्रचार सामग्री।
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (NCH) पर मिल रही शिकायतों में बढ़ोतरी को देखते हुए ये कदम उठाए गए हैं।
मुख्य दिशानिर्देशों में शामिल हैं:
- डिजिटल लेनदेन के दौरान रद्द करने और बाहर निकलने के स्पष्ट विकल्प देना।
- नकली टाइमर या स्टॉक की गलत जानकारी जैसे तरीकों पर रोक।
- उपभोक्ता की सहमति के बिना ऐड-ऑन सेवाएं या सब्सक्रिप्शन न जोड़ना।
डार्क पैटर्न से निपटने के लिए उठाए गए कदम
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत "डार्क पैटर्न की रोकथाम और नियमन के लिए दिशानिर्देश, 2023" जारी किए गए। इन दिशानिर्देशों में 13 प्रकार के डार्क पैटर्न को साफ-साफ परिभाषित कर प्रतिबंधित किया गया है।
इसके अंतर्गत कुछ तकनीकी उपाय भी किए गए हैं:
- जागृति ऐप: उपभोक्ता इसमें डार्क पैटर्न की शिकायत सीधे सरकार (CCPA) को भेज सकते हैं।
- जागो ग्राहक जागो ऐप: यह ऐप असुरक्षित प्लेटफॉर्म की चेतावनी देता है और ई-कॉमर्स लिंक्स के लिए लाइव सेफ्टी स्कोर दिखाता है।
- जागृति डैशबोर्ड: यह प्लेटफॉर्म्स पर हो रही गतिविधियों की निगरानी करता है और CCPA को कार्रवाई में मदद करता है।
निष्कर्ष:
ई-कॉमर्स के बढ़ते विस्तार ने उपभोक्ताओं को सुविधाएं दी हैं, लेकिन साथ ही उनके साथ छल करने वाले डिज़ाइनों की संख्या भी बढ़ी है। भारत का यह कदम उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। अब भारत भी यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे देशों की कतार में खड़ा हो गया है, जो डिजिटल धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहे हैं। यह पहल न केवल डिजिटल पारदर्शिता को बढ़ावा देती है, बल्कि उपभोक्ताओं को उनकी पसंद के प्रति जागरूक और सक्षम भी बनाती है।