होम > Blog

Blog / 01 Sep 2025

क्रोकोथेमिस एरिथ्राया (Crocothemis Erythraea)

संदर्भ:

क्रोकोथेमिस एरिथ्राया एक दुर्लभ ड्रैगनफ्लाई प्रजाति है, जिसे पहले पश्चिमी घाट से अनुपस्थित माना जाता था। हाल ही में यह प्रजाति पश्चिमी घाट के ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पुनः देखी गई है। माना जाता है कि इसने प्लाइस्टोसीन हिम युग (Pleistocene Ice Age) के दौरान यहाँ निवास स्थापित किया था।

पुनः खोज का महत्व:

इस प्रजाति की पुनः खोज जैव विविधता के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि पश्चिमी घाट अब भी उन जीवों के लिए सुरक्षित शरणस्थल हैं, जो ठंडे और अलग वातावरण, जैसे शोलाज (Sholas) और पर्वतीय घासभूमियाँ, में लंबे समय से जीवित हैं। वर्तमान समय में ये आवास जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं।

  • यह प्रजाति अपने सामान्य मैदानी प्रजाति क्रोकोथेमिस सर्विलिया (Crocothemis servilia) से भिन्न है, क्योंकि यह 550 मीटर से अधिक ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाती है।

Ice Age's winged relic rediscovered in Western Ghats - The Hindu

क्रोकोथेमिस एरिथ्राया के बारे में:

  • क्रोकोथेमिस एरिथ्राया, जिसे ब्रॉड स्कारलेटया स्कारलेट डार्टरभी कहा जाता है, ड्रैगनफ्लाई की एक प्रजाति है। ड्रैगनफ्लाई को जैव-सूचक प्रजाति माना जाता है। यह प्रजाति लिबेलुलिडी (Libellulidae) परिवार से संबंधित है।
  • भारत में क्रोकोथेमिस वंश की दो ज्ञात प्रजातियाँ “सी. सर्विलिया और सी. एरिथ्राय पाई जाती हैं। सी. सर्विलिया मैदानी और निचले क्षेत्रों में पाई जाती है। सी. एरिथ्राया ऊँचाई वाले ठंडे इलाकों जैसे हिमालय और यूरोपएशिया के कुछ हिस्से में पाई जाती है।

·        निवास : सी. एरिथ्राया सामान्यतः 550 मीटर से ऊपर के ऊँचाई वाले, ठंडे और पर्वतीय क्षेत्रों (शोलाज व घासभूमियों) में पाई जाती है। इसके विपरीत, सी. सर्विलिया 600 मीटर से नीचे के मैदानी क्षेत्रों में पाई जाती है।

·        वितरण (Distribution): यह प्रजाति यूरोप और एशिया के कई हिस्सों में पाई जाती है, जिनमें हिमालय और पश्चिमी घाट शामिल हैं।

·        उपनिवेशीकरण:  शोधकर्ताओं का मानना है कि सी. एरिथ्राया ने दक्षिण भारत में प्लाइस्टोसीन हिम युग के दौरान उपनिवेश स्थापित किया। उस समय ठंडे मौसम के कारण समशीतोष्ण क्षेत्रों की प्रजातियाँ दक्षिण की ओर फैल गईं। बाद में जब जलवायु गर्म हुई, तो ये आबादियाँ ऊँचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों तक सीमित होकर अलग रह गईं।

अन्य विशेषताएँ:

  • परजीविता (Parasitism): सी. एरिथ्राया पर फॉर्सिपोमिया पैलुडिस (Forcipomyia paludis) नामक मच्छर-जैसे कीट परजीवी पाए जाते हैं।
  • संरक्षण स्थिति (Conservation Status): आईयूसीएन (IUCN) के अनुसार, यूरोप में सी. एरिथ्राया को कम चिंता वाली श्रेणी (Least Concern) में रखा गया है।
  • लैंगिक द्विरूपता (Sexual Dimorphism): इसकी नर प्रजाति चमकीले लाल रंग के शरीर और पंखों के साथ दिखाई देते हैं और मादा प्रजाति पीली होती हैं, जिनका रंग उम्र बढ़ने के साथ गहरा हो जाता है।  कुछ मादाओं में एंड्रोक्रोम” (androchrome) लक्षण पाए जाते हैं, जिसमें वे नर जैसी रंगत दिखाती हैं।
  • असामान्य अंडे देना (Unusual Oviposition): मादाओं को असामान्य स्थानों, जैसे समुद्र में भी अंडे देते हुए देखा गया है।