संदर्भ:
हाल ही में भारत सरकार ने राष्ट्रीय कृषि बाजार (e-NAM) प्लेटफ़ॉर्म में 9 नई कृषि वस्तुओं को जोड़ा है। इसके साथ ही इस पोर्टल पर व्यापार के लिए उपलब्ध कुल वस्तुओं की संख्या बढ़कर 247 हो गई है।
ई-नाम के बारे में:
14 अप्रैल 2016 को शुरू किया गया ई -नाम (राष्ट्रीय कृषि बाजार-NAM) एक ऑनलाइन कृषि व्यापार पोर्टल है। इसका उद्देश्य देशभर की अलग-अलग कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) मंडियों, निजी कृषि बाज़ारों और खरीदारों को जोड़कर एक एकीकृत राष्ट्रीय कृषि बाज़ार बनाना है।
इसके प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
· पूरे देश में कृषि विपणन प्रणाली को एकरूप और संगठित बनाना।
· किसानों और खरीदारों के बीच जानकारी की कमी (सूचना असमानता) को कम करना।
· मांग, आपूर्ति और गुणवत्ता के आधार पर पारदर्शी मूल्य खोज (प्राइस डिस्कवरी) सुनिश्चित करना।
· डिजिटल सुविधाओं के ज़रिए तेज़ और आसान व्यापार (लेनदेन) कराना।
ई-नाम प्लेटफ़ॉर्म के तहत पंजीकृत किसान, व्यापारी और किसान उत्पादक संगठन (FPOs) अपनी उपज को ऑनलाइन पोर्टल पर सूचीबद्ध करते हैं, जिस पर खरीदार बोली लगाते हैं और ऑनलाइन नीलामी के माध्यम से व्यापार (ट्रांजैक्शन) पूरा होता है।
यह प्रणाली आगे बढ़कर गुणवत्ता जांच लैब, ग्रेडिंग व्यवस्था, ऑनलाइन भुगतान प्रणाली और लॉजिस्टिक्स/वेयरहाउसिंग सुविधाओं (जहाँ मंडियाँ पूरी तरह एकीकृत हैं) से भी जुड़ी हुई है।
नई शामिल की गई 9 वस्तुएँ:
1. ग्रीन टी
2. चाय
3. अश्वगंधा की सूखी जड़ें
4. सरसों का तेल
5. लैवेंडर ऑयल
6. मेंथा ऑयल (पुदीना तेल)
7. वर्जिन ऑलिव ऑयल (शुद्ध जैतून तेल)
8. लैवेंडर के सूखे फूल
9. टूटा चावल (ब्रोकन राइस)
संभावित लाभ:
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- इन वस्तुओं की खेती करने वाले किसानों, विशेष रूप से विशिष्ट (niche), मूल्य संवर्धित और क्षेत्रीय उत्पादों के उत्पादकों को राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा ऑनलाइन बाज़ार उपलब्ध होगा।
- गुणवत्ता आधारित पारदर्शी मूल्य निर्धारण संभव होगा, जिससे किसानों को उचित और बेहतर दाम मिल सकेंगे।
- बिचौलियों पर निर्भरता कम होगी, क्योंकि अब देश के अलग-अलग राज्यों से खरीददार सीधे बोली लगा सकेंगे।
- e-NAM पर शामिल वस्तुओं की विविधता बढ़ने से व्यापार का दायरा विस्तृत होगा क्योंकि अब तेल, जड़ी-बूटियाँ, औषधीय पौधे और विशेष उत्पाद भी डिजिटल व्यापार का हिस्सा होंगे।
- किसान बेहतर गुणवत्ता उत्पादन और वैज्ञानिक खेती पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे, क्योंकि उच्च गुणवत्ता वाली उपज पर उन्हें प्रिमियम मूल्य मिल सकेगा।
- इन वस्तुओं की खेती करने वाले किसानों, विशेष रूप से विशिष्ट (niche), मूल्य संवर्धित और क्षेत्रीय उत्पादों के उत्पादकों को राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा ऑनलाइन बाज़ार उपलब्ध होगा।
ई-नाम की चुनौतियाँ:
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- राज्य-से-राज्य व्यापार की सीमित भागीदारी: भले ही ई-नाम पूरे देश को जोड़ने वाला प्लेटफ़ॉर्म है, लेकिन वास्तविकता में राज्यों के बीच होने वाला व्यापार अभी भी बहुत कम है। वित्त वर्ष 2024-25 में ई-नाम के माध्यम से अंतरराज्यीय व्यापार घटकर केवल लगभग ₹21 करोड़ रह गया, जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकांश लेनदेन अभी भी स्थानीय मंडियों तक सीमित है।
- लॉजिस्टिक, अवसंरचना और डिजिटल कनेक्टिविटी की कमी: परिवहन, गोदाम सुविधा, कोल्ड चेन नेटवर्क, गुणवत्ता जांच (असेइंग) प्रयोगशालाएँ और ग्रामीण इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी आवश्यक सुविधाएँ अभी भी पूरी तरह विकसित नहीं हैं, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर एकीकृत डिजिटल कृषि बाज़ार की अवधारणा पूरी तरह गति नहीं पकड़ पा रही है।
- डिजिटल साक्षरता और स्वीकृति से संबंधित बाधाएँ: कई छोटे और सीमांत किसान, पारंपरिक व्यापारी और मध्यस्थ आज भी ऑफ़लाइन, पारंपरिक मंडी प्रणाली पर निर्भर हैं। इसका कारण “डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर भरोसे की कमी, तकनीकी जानकारी की कमी और नई प्रक्रियाओं को अपनाने में संकोच” है।
- नियमों और नीतियों में एकरूपता की आवश्यकता: विभिन्न राज्यों के APMC कानून, लाइसेंसिंग नियम, मंडी शुल्क और व्यापार प्रक्रियाएँ अलग-अलग हैं। जब तक इन्हें एक समान और सरल नहीं बनाया जाता, तब तक सीमाहीन (बाधारहित) अंतरराज्यीय व्यापार को बढ़ावा देना मुश्किल रहेगा।
- राज्य-से-राज्य व्यापार की सीमित भागीदारी: भले ही ई-नाम पूरे देश को जोड़ने वाला प्लेटफ़ॉर्म है, लेकिन वास्तविकता में राज्यों के बीच होने वाला व्यापार अभी भी बहुत कम है। वित्त वर्ष 2024-25 में ई-नाम के माध्यम से अंतरराज्यीय व्यापार घटकर केवल लगभग ₹21 करोड़ रह गया, जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकांश लेनदेन अभी भी स्थानीय मंडियों तक सीमित है।
निष्कर्ष:
ई-नाम प्लेटफ़ॉर्म पर 9 नई वस्तुओं के शामिल होने के साथ कुल वस्तुओं की संख्या 247 हो जाना, भारत की कृषि विपणन प्रणाली को डिजिटल और आधुनिक बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। व्यापार योग्य वस्तुओं का दायरा बढ़ाकर, गुणवत्ता आधारित मूल्य निर्धारण और पारदर्शी डिजिटल व्यापार को बढ़ावा देते हुए सरकार का उद्देश्य डिजिटल कृषि व्यापार की पहुँच को बढ़ाना और किसानों को सशक्त बनाना है।