होम > Blog

Blog / 05 Apr 2025

कोस्टल शिपिंग विधेयक, 2024

संदर्भ:

हाल ही में लोकसभा ने कोस्टल शिपिंग विधेयक, 2024 पारित किया है। यह ऐतिहासिक कानून भारत के समुद्री व्यापार में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसका उद्देश्य देश के व्यापक समुद्री तटों का उपयोग करते हुए माल की आवाजाही को अधिक कुशल, किफायती और सतत परिवहन माध्यम बनाना है।"

मुख्य प्रावधान:

1. परिभाषा:

·        यह विधेयक भारत की समुद्री सीमा (12 समुद्री मील तक) और उससे सटे विशेष आर्थिक क्षेत्र (200 समुद्री मील तक) में संचालित सभी प्रकार के जहाजों, नौकाओं और मोबाइल ऑफशोर ड्रिलिंग इकाइयों (ये विशेष जहाज हैं जो समुद्र में ड्रिलिंग कार्यों के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जैसे कि तेल और गैस जैसे संसाधनों की खोज या उनका दोहन करना।) पर लागू होता है।

2. लाइसेंस की अनिवार्यता:

        भारतीय स्वामित्व वाले जहाज: जो जहाज पूरी तरह से भारतीय कंपनियों के स्वामित्व में हैं, उन्हें तटीय शिपिंग के लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।

        विदेशी या किराए पर लिए गए जहाज: यदि कोई भारतीय कंपनी, एनआरआई या ओसीआई से किसी विदेशी जहाज को किराए पर लेकर भारत और विदेशी बंदरगाहों के बीच संचालन करना चाहती है, तो उन्हें शिपिंग महानिदेशक (DG Shipping) से लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा।

3. नियम और दंड:
विधेयक में कड़े नियमों और सख्त दंड का प्रावधान किया गया है:

  • लाइसेंस रद्द: नियमों के उल्लंघन पर जहाज का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
  • जुर्माना: उल्लंघन की स्थिति में अधिकतम ₹15 लाख या अर्जित लाभ का चार गुना तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • नागरिक दंड: बिना अनुमति के तटीय व्यापार करने जैसे मामलों में ₹5 लाख या लाभ का दो गुना तक नागरिक दंड लगाया जा सकता है।

4. रणनीतिक योजना:
केंद्र सरकार को दो वर्षों के भीतर एक राष्ट्रीय तटीय और आंतरिक जल परिवहन रणनीति तैयार करनी होगी, जिसमें निम्नलिखित पहलू शामिल होंगे:

  • मार्गों की कुशल योजना बनाना।
  • भविष्य के ट्रैफिक का पूर्वानुमान लगाना।
  • तटीय और आंतरिक जलमार्गों को एकीकृत कर लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को अधिक संगठित और प्रभावी बनाना।

5. छूट और सुलह का प्रावधान:

·        आवश्यकता पड़ने पर केंद्र सरकार विशेष मामलों में कुछ जहाजों को नियमों से छूट दे सकती है।

·        सुलह (Compounding): जैसेबिना लाइसेंस संचालन या रोक आदेश के उल्लंघन जैसे कुछ मामलों में, अदालत में मुकदमा चले बिना जुर्माना भरकर समझौता किया जा सकता है।

विधेयक के उद्देश्य:

        आधुनिक कानूनी ढांचा: अगले 25 वर्षों के लिए एक ऐसा आधुनिक और मजबूत कानूनी ढांचा तैयार करना, जो तटीय शिपिंग क्षेत्र को विकसित और सुव्यवस्थित कर सके।

        लॉजिस्टिक्स लागत में कमी: तटीय शिपिंग को एक किफायती, पर्यावरण के अनुकूल और प्रभावी विकल्प बनाकर सड़क और रेल परिवहन पर निर्भरता को कम करना है।

        रोज़गार और आर्थिक विकास: जहाज निर्माण, बंदरगाह सेवाओं और समुद्री नौवहन के क्षेत्र में नए रोज़गार के अवसर सृजित करना और समुद्री व्यापार को प्रोत्साहन देकर समग्र आर्थिक विकास को गति देना।

निष्कर्ष:
कोस्टल शिपिंग बिल, 2024 भारत के समुद्री क्षेत्र को सशक्त और आधुनिक बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। यह कानून न केवल तटीय व्यापार को बेहतर ढंग से विनियमित करेगा, बल्कि परिवहन और लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में सतत और किफायती विकास को भी बढ़ावा देगा।