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Blog / 03 Jun 2025

चीन ने मध्यस्थता के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन (IOMed) की शुरुआत की

संदर्भ:
चीन ने आधिकारिक तौर पर मध्यस्थता के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन (
IOMed) नामक एक नया अंतर्राष्ट्रीय कानूनी निकाय शुरू किया है। इसका उद्देश्य विवादों को सुलझाने के लिए एक शांतिपूर्ण, संवाद-आधारित तरीका प्रस्तुत करना है, तथा स्वयं को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) और स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (PCA) जैसी पारंपरिक संस्थाओं के विकल्प के रूप में स्थापित करना है।

आईओमेड के बारे में:

आईओमेड को चीन के सरकारी मीडिया द्वारा दुनिया का पहला अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय कानूनी संगठन बताया गया है जो केवल मध्यस्थता पर ध्यान केंद्रित करता है।

अदालतों या मध्यस्थता पैनलों के विपरीत, यह बाध्यकारी निर्णय जारी नहीं करता है, बल्कि पक्षों को चर्चा और समझौते के माध्यम से समझौते तक पहुंचने में मदद करता है।

चीन का कहना है कि यह संगठन वैश्विक विवाद समाधान प्रणाली में एक "महत्वपूर्ण खालीपन" को भरता है।

इसका मुख्यालय हांगकांग में होगा।

सदस्य कौन हैं?

हांगकांग में आयोजित एक उच्च स्तरीय समारोह में 30 से अधिक देशों ने चीन के साथ मिलकर IOMed के संस्थापक सदस्य के रूप में भाग लिया। इनमें शामिल हैं:

  • इंडोनेशिया
  • पाकिस्तान
  • बेलारूस
  • क्यूबा
  • कंबोडिया

इसके अलावा, 50 से अधिक देशों और 20 अंतरराष्ट्रीय संगठनों (जैसे संयुक्त राष्ट्र) के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया।

 IOMed का क्या कार्य होगा?

यह संगठन विभिन्न प्रकार के विवादों को सुलझाने का प्रयास करेगा, जैसे:

  • देशों के बीच विवाद
  • किसी देश और विदेशी नागरिकों के बीच मतभेद
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार या कॉर्पोरेट विवाद

इसका उद्देश्य लचीला और टकराव रहित समाधान देना है, ताकि पारंपरिक "जीत-हार" वाले दृष्टिकोण से हटकर संवाद-आधारित समाधान को बढ़ावा मिल सके।

अन्य प्रमुख विवाद समाधान संस्थाएं:

1. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ):

  • यह संयुक्त राष्ट्र की मुख्य न्यायिक संस्था है, जिसकी स्थापना 1945 में हुई थी।
  • इसका मुख्यालय हेग, नीदरलैंड्स में है।
  • यह देशों के बीच कानूनी विवादों का निपटारा करता है और संयुक्त राष्ट्र को कानूनी राय देता है।

2. स्थायी पंचाट न्यायालय (PCA):

  • इसकी स्थापना 1899 में हुई थी।
  • यह पहली सरकारी अंतरराष्ट्रीय संस्था थी जो पंचाट के माध्यम से विवाद सुलझाने के लिए बनाई गई।
  • इसका मुख्यालय भी हेग में है।
  • यह देशों, निजी पक्षों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के बीच विवाद निपटाने में सहायता करता है।

चीन का कूटनीतिक संदेश:

IOMed चीन के उस विचार को दर्शाता है कि संवाद और सहमति से विवाद सुलझाए जाने चाहिए, न कि टकराव से।

  • यह पहल चीन की "zero-sum mindset" (जहां एक की जीत, दूसरे की हार मानी जाती है) से हटने की सोच को दर्शाती है।
  • IOMed के माध्यम से चीन विकासशील देशों में अपना वैश्विक प्रभाव बढ़ाना चाहता है।
  • यह पहल चीन की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में ग्लोबल साउथ की आवाज को मज़बूत करना चाहता है।

मुख्य चिंताएं:

  • पक्षपात का डर: चूंकि यह संगठन चीन द्वारा शुरू किया गया है, कई विशेषज्ञ इसकी निष्पक्षता पर सवाल उठा रहे हैं।
  • पारदर्शिता की कमी: यह अभी स्पष्ट नहीं है कि संगठन कैसे काम करेगा, कौन मध्यस्थ होंगे, और विवादों का निपटारा कैसे किया जाएगा।
  • राजनीतिक माहौल: हाल के वर्षों में हांगकांग की राजनीति में आए बदलावों के कारण, वहां स्थित किसी भी संस्था की स्वतंत्रता को लेकर चिंता जताई जा रही है।

निष्कर्ष:

आईओमेड का शुभारंभ मुकदमेबाजी या मध्यस्थता पर मध्यस्थता को बढ़ावा देकर वैश्विक विवाद समाधान को नया रूप देने के चीन के प्रयास को दर्शाता है। हालांकि यह संवाद-आधारित संघर्ष समाधान की ओर बदलाव का संकेत देता है, लेकिन संगठन की दीर्घकालिक विश्वसनीयता और प्रभावशीलता पारदर्शिता, तटस्थता और अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति पर निर्भर करेगी।