सन्दर्भ:
छत्तीसगढ़ सरकार ने साल 2025 से 2030 के लिए एक नई होमस्टे नीति को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण और आदिवासी बहुल क्षेत्रों, विशेषकर माओवाद प्रभावित बस्तर संभाग में पर्यटन को बढ़ावा देना है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस नीति को स्वीकृति दी गई। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बल नक्सल विरोधी अभियानों को सक्रिय रूप से अंजाम दे रहे हैं।
- बस्तर और सरगुजा जैसे क्षेत्र छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विविधता, प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्ध आदिवासी विरासत के लिए प्रसिद्ध हैं। होमस्टे नीति के माध्यम से इन क्षेत्रों को न केवल घरेलू और विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाया जाएगा, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार और आय के नए अवसर भी प्राप्त होंगे।
स्थानीय जीवन और संस्कृति का अनुभव:
- सरकारी अधिकारियों के अनुसार, होमस्टे परियोजनाओं के माध्यम से पर्यटकों को ग्रामीण जीवन शैली, स्थानीय संस्कृति, आदिवासी कला, हस्तशिल्प और भोजन का प्रत्यक्ष अनुभव मिलेगा। स्थानीय कारीगर, कलाकार और किसान अपने उत्पादों और सेवाओं के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे जिससे 'वोकल फॉर लोकल' जैसे राष्ट्रीय अभियान को भी मजबूती मिलेगी।
- यह नीति न केवल आर्थिक विकास का साधन बनेगी, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक समझ को भी बढ़ावा देगी। बस्तर जैसे क्षेत्र, जो अब तक सुरक्षा और अविकास की छाया में रहे हैं, इस नीति के तहत पर्यटन मानचित्र पर उभरते हुए नजर आएंगे।
छत्तीसगढ़ होमस्टे परियोजनाओं के प्रमुख लाभ:
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू की गई होमस्टे नीति 2025–30 से जुड़े कई व्यापक और स्थायी लाभ हैं। ये लाभ राज्य के आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विकास से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। इसके मुख्य लाभ निम्नलिखित है:
1. ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों का आर्थिक सशक्तिकरण
· स्थानीय लोगों को आय के नए स्रोत मिलेंगे। वे अपने घरों को पर्यटकों के लिए किराए पर देकर अतिरिक्त कमाई कर सकेंगे।
· महिलाओं और युवाओं को स्वरोजगार के अवसर मिलेंगे, जिससे पलायन में भी कमी आएगी।
2. पर्यटन को बढ़ावा
· राज्य के कम विकसित लेकिन सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्रों में पर्यटकों का आकर्षण बढ़ेगा।
· यह नीति छत्तीसगढ़ को भारत के स्थायी और अनुभवात्मक पर्यटन मानचित्र पर लाएगी।
3. स्थानीय संस्कृति, कला और हस्तशिल्प का संरक्षण
· पर्यटक स्थानीय नृत्य, संगीत, व्यंजन, और कारीगरी का प्रत्यक्ष अनुभव करेंगे, जिससे इन पारंपरिक विधाओं को संरक्षण मिलेगा।
· लोकल उत्पादों की बिक्री बढ़ेगी, जिससे कारीगरों को आर्थिक लाभ होगा।
4. माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास
· बस्तर और सरगुजा जैसे क्षेत्र, विकास की मुख्य धारा से जुड़ेंगे, जिससे वहां के युवाओं को हिंसा की बजाय विकास से जुड़ने की प्रेरणा मिलेगी।
· सरकार और आम जनता के बीच विश्वास निर्माण को बल मिलेगा।
5. सतत (Sustainable) पर्यटन
· होमस्टे मॉडल प्राकृतिक संसाधनों का सीमित उपयोग करता है और स्थानीय पारिस्थितिकी के अनुकूल होता है।
· इससे बड़े होटल उद्योगों से होने वाले पर्यावरणीय नुकसान से बचा जा सकता है।
6. ‘वोकल फॉर लोकल’ को बल
· स्थानीय उत्पादों और सेवाओं को प्राथमिकता मिलने से आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
· यह नीति आत्मनिर्भर भारत अभियान के लक्ष्यों को भी मजबूती प्रदान करेगी।
निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ होमस्टे नीति 2025-30 एक दूरगामी सोच का परिणाम है, जो राज्य के पर्यटन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक समावेशन को नया आधार प्रदान करेगी। यह न केवल बस्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाएगी, बल्कि छत्तीसगढ़ को एक समावेशी और सतत विकास की राह पर अग्रसर करेगी।