सन्दर्भ:
हाल ही में भारत को ईरान के चाबहार बंदरगाह पर अपनी गतिविधियों के लिए अमेरिका के प्रतिबंधों से छह महीने की छूट (waiver) प्राप्त हुई है। पूर्व में अमेरिका ने ईरान के विरुद्ध अपने “मैक्सिमम प्रेशर” अभियान के तहत ईरान स्वतंत्रता और प्रसार विरोधी अधिनियम (IFCA) के अंतर्गत 2018 में दी गई छूट को रद्द करने का निर्णय लिया था।
पृष्ठभूमि:
ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह भारत के लिए अफगानिस्तान, मध्य एशिया और संभावित रूप से यूरेशिया तक पहुँच का एक रणनीतिक द्वार है जो पाकिस्तान और चीन से जुड़े मार्गों को दरकिनार करता है।
· मई 2024 में भारत ने ईरान के साथ 10-वर्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) को शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल का संचालन सौंपा गया, साथ ही भारत ने इसमें निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई।
· 2018 से अमेरिका ने IFCA के तहत भारत की चाबहार में भागीदारी के लिए एक विशेष छूट दी थी, यह मान्यता देते हुए कि यह परियोजना मानवीय और संपर्क (connectivity) दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
· 16 सितंबर 2025 को अमेरिका ने घोषणा की कि यह छूट 29 सितंबर से प्रभावी रूप से रद्द की जाएगी और इसमें शामिल किसी भी संस्था पर IFCA के तहत प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
· बाद में कूटनीतिक बातचीत के पश्चात भारत ने अक्टूबर 2025 के अंत से प्रभावी छह महीने की अतिरिक्त छूट प्राप्त कर ली, जिससे संचालन जारी रह सकेगा।
महत्त्व:
· यह छूट भारत के निवेश और चाबहार में उसके संचालन को सुरक्षित करती है, जिससे अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की रणनीतिक संपर्क परियोजना संरक्षित रहती है।
· यह अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) की प्रगति को बनाए रखती है और पाकिस्तान के मार्ग पर निर्भरता को घटाती है।
· यह भारत की जटिल कूटनीति संभालने की क्षमता को दर्शाती है जो अमेरिका, ईरान और क्षेत्रीय संपर्क हितों के बीच संतुलन बनाए रखती है।
· वहीं अमेरिका के लिए यह छूट यह दर्शाती है कि ईरान पर प्रतिबंधों के बावजूद वह भारत की भूमिका को स्वीकार करता है जो उसकी प्रतिबंध नीति में लचीलेपन का संकेत है।
INSTC के बारे में:
अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) एक विशाल बहु-आयामी परिवहन नेटवर्क है (समुद्री + रेल + सड़क), जिसका उद्देश्य भारत, ईरान और रूस (तथा इनके माध्यम से मध्य एशिया और यूरोप) को जोड़ना है।
· INSTC समझौते पर 12 सितंबर 2000 को सेंट पीटर्सबर्ग में भारत, ईरान और रूस ने हस्ताक्षर किए थे; यह 16 मई 2002 को प्रभावी हुआ।
· यह गलियारा लगभग 7,200 किलोमीटर लंबा है जो हिंद महासागर को फारस की खाड़ी, कैस्पियन सागर और आगे रूस के माध्यम से उत्तरी यूरोप तक जोड़ता है।
निष्कर्ष:
अमेरिका द्वारा दी गई छह महीने की प्रतिबंध-छूट भारत के लिए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक उपलब्धि है। इसने चाबहार बंदरगाह में भारत के अहम रणनीतिक निवेश की रक्षा की है और उसके क्षेत्रीय संपर्क लक्ष्यों को बनाए रखा है। किंतु यह राहत अस्थायी है। वास्तविक चुनौती अब व्यावसायिक व्यवहार्यता बढ़ाने, प्रतिबंध जोखिम घटाने और भारत के हितों की दीर्घकालिक सुरक्षा के लिए संस्थागत तंत्र विकसित करने में है।
