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Blog / 24 Nov 2025

केंद्र ने चार नए श्रम संहिताएं लागू कीं

संदर्भ:

21 नवंबर 2025 को भारत सरकार ने आधिकारिक रूप से चार एकीकृत श्रम संहिताओं मज़दूरी संहिता, 2019, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तें संहिता, 2020 को अधिसूचित कर लागू कर दिया। यह कदम स्वतंत्रता के बाद देश में श्रम कानूनों के ढांचे में किए गए सबसे व्यापक और महत्वपूर्ण सुधारों में से एक माना जा रहा है।

श्रम संहिताओं की मुख्य विशेषताएँ:

    • मज़दूरी संहिता, 2019:
      • पूरे देश के लिए एक राष्ट्रीय फ्लोर वेज (न्यूनतम आधार मजदूरी) निर्धारित की जाती है, ताकि राज्यों के बीच मजदूरी में अत्यधिक अंतर न रहे।
      • मजदूरी के समय पर भुगतान को अनिवार्य बनाया गया है, जिससे श्रमिकों को वेतन मिलने में देरी न हो।
      • वेज़(Wage) की परिभाषा को अधिक स्पष्ट और व्यापक किया गया है, ताकि वेतन के अधिक घटक शामिल हों। इससे बेसिक वेज बढ़ेगा, जिस पर PF, ग्रेच्युटी जैसे लाभ निर्भर करते हैं।
    • औद्योगिक संबंध संहिता, 2020:
      • श्रम विवादों के समाधान के लिए श्रम न्यायाधिकरणों (Labour Tribunals) की संरचना को सरल और प्रभावी बनाया गया है।
      • सामूहिक सौदेबाजी (Collective Bargaining) को प्रोत्साहन दिया गया है, साथ ही कंपनियों को मानव संसाधन प्रबंधन में अधिक लचीलापन प्रदान किया गया है।
      • छंटनी (Layoff) के लिए सरकारी अनुमति की अनिवार्यता की सीमा बढ़ाई गई है, पहले यह सीमा 100+ कर्मचारियों तक थी, अब 300 कर्मचारियों तक कर दी गई है। इससे कंपनियों को कार्यबल प्रबंधन में अधिक सुविधा मिलेगी।

    • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020:
      • सामाजिक सुरक्षा का दायरा व्यापक किया गया है, गिग वर्कर, प्लेटफॉर्म वर्कर, फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी और असंगठित क्षेत्रों के श्रमिकों को भी इसमें शामिल किया गया है।
      • असंगठित और गिग वर्करों के लिए कल्याण योजनाओं को सहायता देने हेतु सामाजिक सुरक्षा कोश की स्थापना की गई है।
      • पोर्टेबिलिटी: योगदान और लाभ पूरे देश में किसी भी राज्य में ले जाए जा सकते हैं, जिससे प्रवासी श्रमिकों को बड़ी राहत मिलेगी।
      • फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी पात्रता अवधि घटाकर सिर्फ एक वर्ष कर दी गई है।
    • व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य शर्तें संहिता, 2020:
      • सभी क्षेत्रों के कार्यस्थलों के लिए राष्ट्रीय स्तर के सुरक्षा मानक निर्धारित किए गए हैं।
      • 40 वर्ष से अधिक आयु के श्रमिकों के लिए वार्षिक स्वास्थ्य जांच मुफ्त और अनिवार्य की गई है।
      • कार्य घंटे: प्रतिदिन 8–12 घंटे कार्य की अनुमति है, लेकिन सप्ताह में कुल 48 घंटे की सीमा तय है। ओवरटाइम का भुगतान दोगुनी दर से किया जाएगा।
      • सभी प्रतिष्ठानों के लिए सिंगल रजिस्ट्रेशन, सिंगल लाइसेंस और सिंगल रिटर्न सिस्टम लागू किया गया है, जिससे अनुपालन बोझ और कागजी कार्य कम होगा।
      • निरीक्षक-कम-फैसिलिटेटर मॉडल अपनाया गया है, जिससे निरीक्षक दंडात्मक कार्रवाई के साथ-साथ मार्गदर्शन भी प्रदान करेंगे, ताकि नियमों का पालन सरल हो सके।
      • महिलाओं की नाइट शिफ्ट की अनुमति दी गई है, लेकिन उनकी सहमति और उचित सुरक्षा व्यवस्था अनिवार्य है।

निष्कर्ष:

केंद्र द्वारा चार नई श्रम संहिताओं की अधिसूचना भारत में श्रम सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण और दूरगामी कदम है। इन संहिताओं का लक्ष्य श्रमिकों की सुरक्षा, कल्याण और अधिकारों को सुदृढ़ करना है, साथ ही उद्योगों को अधिक लचीला, आधुनिक और प्रतिस्पर्धी कार्य वातावरण प्रदान करना। 29 पुराने श्रम कानूनों को एकीकृत और सरल बनाकर सरकार एक ऐसा श्रम ढांचा विकसित करना चाहती है जो वर्तमान आर्थिक आवश्यकताओं के अनुरूप हो और आने वाले वर्षों की चुनौतियों का भी प्रभावी रूप से सामना कर सके।