सन्दर्भ:
हाल ही में केंद्र सरकार ने राज्यसभा को सूचित किया कि वह विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों (DNT/NT/SNT) को फिर से SC, ST या OBC श्रेणियों में शामिल करने के किसी भी प्रस्ताव पर फिलहाल विचार नहीं कर रही है।
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- इन समुदायों को सही सामाजिक श्रेणी में रखने और योजनाओं का लाभ दिलाने की माँग पहले से होती रही है। लेकिन सरकार का कहना है कि वह अभी SC, ST या OBC सूची में इनके बदलाव पर विचार नहीं कर रही है। जबकि इदाते आयोग (2017) और मानव विज्ञान सर्वेक्षण (AnSI) द्वारा किया गया अध्ययन (2023) इन समुदायों के स्पष्ट वर्गीकरण की सिफारिश कर चुके हैं, ताकि इनके विकास और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
- इन समुदायों को सही सामाजिक श्रेणी में रखने और योजनाओं का लाभ दिलाने की माँग पहले से होती रही है। लेकिन सरकार का कहना है कि वह अभी SC, ST या OBC सूची में इनके बदलाव पर विचार नहीं कर रही है। जबकि इदाते आयोग (2017) और मानव विज्ञान सर्वेक्षण (AnSI) द्वारा किया गया अध्ययन (2023) इन समुदायों के स्पष्ट वर्गीकरण की सिफारिश कर चुके हैं, ताकि इनके विकास और सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
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विमुक्त जनजातियाँ:
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- विमुक्त जनजातियाँ वे समुदाय हैं जिन्हें ब्रिटिश शासन के दौरान 1871 के अपराध जनजाति अधिनियम के तहत “अपराधी जनजाति” घोषित किया गया था। यह कानून कई घुमंतू समूहों को जन्म से अपराधी मानता था, जो पूरी तरह से भेदभावपूर्ण था।
- 1952 में यह कानून समाप्त कर इन समुदायों को “विमुक्त” घोषित किया गया, लेकिन इसके बावजूद आज भी वे सामाजिक कलंक का सामना करते हैं, पुलिस द्वारा उत्पीड़न सहना पड़ता है, सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं, भूमि अधिकारों से वंचित हैं तथा सरकारी योजनाओं का लाभ भी बहुत कम मिल पाता है।
- वर्तमान में DNT, NT और SNT समुदाय विभिन्न राज्यों में SC, ST और OBC श्रेणियों में वर्गीकृत हैं, जिससे लाभों की पहुँच में असमानता देखी जाती है।
- विमुक्त जनजातियाँ वे समुदाय हैं जिन्हें ब्रिटिश शासन के दौरान 1871 के अपराध जनजाति अधिनियम के तहत “अपराधी जनजाति” घोषित किया गया था। यह कानून कई घुमंतू समूहों को जन्म से अपराधी मानता था, जो पूरी तरह से भेदभावपूर्ण था।
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मानवविज्ञान सर्वेक्षण (AnSI) की सिफारिशें:
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- 2019 में शुरू होकर 2023 में पूरा किया गया यह एथनोग्राफिक अध्ययन मानव विज्ञान सर्वेक्षण (AnSI) द्वारा किया गया, जिसमें 268 समुदायों की जाँच की गई। अध्ययन में 85 समुदायों के नए वर्गीकरण और 9 समुदायों के पुनर्वर्गीकरण की सिफारिश की गई।
- यह अध्ययन विमुक्त, घुमंतू एवं अर्ध-घुमंतू समुदायों के विकास और कल्याण बोर्ड (DWBDNC) की पहल का हिस्सा था और इदाते आयोग (2017) की रिपोर्ट के आधार पर आगे बढ़ाया गया।
- 2019 में शुरू होकर 2023 में पूरा किया गया यह एथनोग्राफिक अध्ययन मानव विज्ञान सर्वेक्षण (AnSI) द्वारा किया गया, जिसमें 268 समुदायों की जाँच की गई। अध्ययन में 85 समुदायों के नए वर्गीकरण और 9 समुदायों के पुनर्वर्गीकरण की सिफारिश की गई।
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विशेषज्ञों और नागरिक समाज की चिंताएँ:
सरकार के वर्तमान रुख के बावजूद निम्न प्रमुख मुद्दे सामने आते हैं:
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- वर्गीकरण में बिखराव: अलग-अलग सूचियों (SC/ST/OBC) में विभाजित होने से लाभों की असमान प्राप्ति होती है।
- विश्वसनीय आँकड़ों का अभाव: DNT समुदायों की वास्तविक सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर कोई राष्ट्रीय सर्वेक्षण उपलब्ध नहीं हैं।
- भेदभाव और कलंक: पहचान पत्र की कमी, पुलिस निगरानी, राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी आदि समस्याएँ बनी हुई हैं।
- मौजूदा योजनाओं की सीमाएँ: बजट कम, क्रियान्वयन में कमी और जागरूकता का अभाव प्रभाव को कम करता है।
- वर्गीकरण में बिखराव: अलग-अलग सूचियों (SC/ST/OBC) में विभाजित होने से लाभों की असमान प्राप्ति होती है।
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निष्कर्ष:
केंद्र का यह निर्णय संवैधानिक और प्रशासनिक जटिलताओं पर आधारित हो सकता है, लेकिन ऐतिहासिक रूप से अन्याय झेल चुके DNT समुदायों के लिए सटीक डेटा संकलन, समान और लक्षित कल्याण योजनाएँ तथा सामाजिक सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना अभी भी अत्यंत आवश्यक है।
