संदर्भ:
वॉशिंगटन डी.सी. में आयोजित विश्व बैंक समूह (World Bank Group) और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की वार्षिक बैठक के दौरान, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने विश्वभर के केंद्रीय बैंकों से आग्रह किया कि वे सीमापार भुगतान (cross-border payments) के लिए स्टेबलकॉइन के बजाय केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं (CBDCs) को बढ़ावा दें।
केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा बनाम स्टेबलकॉइन के बारे में:
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- केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) किसी देश की आधिकारिक मुद्रा का डिजिटल रूप होती है, जिसे उस देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और समर्थित (backed) किया जाता है। यह वैध मुद्रा (Legal Tender) होती है और इसकी कीमत भौतिक नकदी के बराबर होती है। जैसे: भारत का डिजिटल रुपया (Digital Rupee), चीन का e-CNY, नाइजीरिया का eNaira
- स्टेबलकॉइन वे क्रिप्टोकरेंसी हैं जिन्हें निजी कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है और जिनका मूल्य स्थिर बनाए रखने के लिए उन्हें फिएट मुद्रा (जैसे अमेरिकी डॉलर), वस्तुओं (जैसे सोना) या एल्गोरिदमिक तंत्रों से जोड़ा जाता है।
- केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) किसी देश की आधिकारिक मुद्रा का डिजिटल रूप होती है, जिसे उस देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी और समर्थित (backed) किया जाता है। यह वैध मुद्रा (Legal Tender) होती है और इसकी कीमत भौतिक नकदी के बराबर होती है। जैसे: भारत का डिजिटल रुपया (Digital Rupee), चीन का e-CNY, नाइजीरिया का eNaira
तुलना: सीबीडीसी बनाम स्टेबलकॉइन
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विशेषता (Feature) |
CBDC (जैसे भारत का डिजिटल रुपया) |
Stablecoin (जैसे USDT, USDC) |
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जारीकर्ता (Issuer) |
देश का केंद्रीय बैंक |
निजी संस्थाएँ (कॉरपोरेशन, समूह आदि) |
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समर्थन / दायित्व (Backing / Liability) |
सरकार या केंद्रीय बैंक की पूर्ण विश्वसनीयता और दायित्व |
फिएट मुद्रा, वस्तुओं या अल्पकालिक प्रतिभूतियों जैसी आरक्षित परिसंपत्तियों या एल्गोरिदमिक तंत्रों से समर्थित |
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कानूनी स्थिति (Legal Status) |
जारीकर्ता देश के भीतर वैध मुद्रा (legal tender) |
वैध मुद्रा नहीं; केवल क्रिप्टो परिसंपत्ति या डिजिटल टोकन के रूप में मान्य |
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स्वभाव और नियंत्रण (Nature & Control) |
केंद्रीकृत (या अनुमति-आधारित) प्रणाली, केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित |
डिज़ाइन के अनुसार केंद्रीकृत (कॉर्पोरेट) या विकेंद्रीकृत (एल्गोरिदमिक/DAO आधारित) हो सकती है |
स्टेबलकॉइन को लेकर चिंताएँ:
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- स्टेबलकॉइन अक्सर अमेरिकी डॉलर जैसी मुद्राओं से जुड़ी होती हैं और निजी संस्थाओं द्वारा जारी की जाती हैं, जिससे पारदर्शिता और नियामक निगरानी (regulatory oversight) पर सवाल उठते हैं।
- गवर्नर मल्होत्रा ने चेतावनी दी कि स्टेबलकॉइन का व्यापक उपयोग देशों की अर्थव्यवस्थाओं के डॉलरकरण (dollarization) का कारण बन सकता है, जिससे राष्ट्रीय मौद्रिक नीतियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- उन्होंने यह भी कहा कि स्टेबलकॉइन से वित्तीय स्थिरता (financial stability) और पूंजी प्रवाह (capital account flows) से संबंधित जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं।
- स्टेबलकॉइन अक्सर अमेरिकी डॉलर जैसी मुद्राओं से जुड़ी होती हैं और निजी संस्थाओं द्वारा जारी की जाती हैं, जिससे पारदर्शिता और नियामक निगरानी (regulatory oversight) पर सवाल उठते हैं।
सीबीडीसी के स्टेबलकॉइन पर लाभ:
केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राएँ (CBDCs) कई मामलों में स्टेबलकॉइन की तुलना में अधिक लाभ प्रदान करती हैं, जिससे वे सीमापार भुगतान और वित्तीय लेनदेन के लिए एक आकर्षक विकल्प बन जाती हैं।
सीबीडीसी के प्रमुख लाभ:
1. फिएट समर्थन (Fiat Backing):
सीबीडीसी केंद्रीय बैंकों द्वारा समर्थित होती हैं, जिससे उनमें स्थिरता और विश्वास बना रहता है, जबकि स्टेबलकॉइन निजी संस्थाओं या एल्गोरिदम द्वारा समर्थित होती हैं।
2. मौद्रिक नीति पर नियंत्रण (Monetary Policy Control):
सीबीडीसी केंद्रीय बैंकों को मौद्रिक नीति पर नियंत्रण बनाए रखने की अनुमति देती हैं, जबकि स्टेबलकॉइन इससे जुड़े जोखिम उत्पन्न कर सकती हैं।
3. वित्तीय अखंडता (Financial Integrity):
सीबीडीसी धन की अखंडता को बनाए रखती हैं और मनी लॉन्ड्रिंग तथा आतंकी वित्तपोषण से जुड़े जोखिमों को कम करती हैं।
4. सुरक्षा (Security):
सीबीडीसी केंद्रीय बैंकों के समर्थन और उन्नत क्रिप्टोग्राफिक तकनीकों के कारण स्टेबलकॉइन की तुलना में अधिक सुरक्षित हैं।
5. नियामक निगरानी (Regulatory Oversight):
सीबीडीसी पर नियामक संस्थाओं का नियंत्रण होता है, जिससे वे धन शोधन निरोधक (Anti-Money Laundering) और केवाईसी (Know Your Customer) नियमों का पालन सुनिश्चित करती हैं।
निष्कर्ष:
केंद्रीय बैंकों से सीबीडीसी को स्टेबलकॉइन पर प्राथमिकता देने का आह्वान भारत की वित्तीय संप्रभुता (financial sovereignty) और स्थिरता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। जैसे-जैसे वैश्विक वित्तीय परिदृश्य तेजी से बदल रहा है, सीबीडीसी का अपनाना (adoption) अंतरराष्ट्रीय भुगतानों और मौद्रिक प्रणालियों के भविष्य को आकार देने में एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
