संदर्भ:
हाल ही में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने लोकसभा में पेश अपनी ऑडिट रिपोर्ट में केंद्र सरकार की प्रमुख कौशल विकास योजना “प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY)” के क्रियान्वयन में पाई गई कई गंभीर अनियमितताओं, कमज़ोरियों और प्रशासनिक खामियों को उजागर किया है।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) के बारे में:
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- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की शुरुआत वर्ष 2015 में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) द्वारा की गई। इसका मुख्य उद्देश्य देश के युवाओं को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल प्रदान करना, उनकी रोजगारयोग्यता बढ़ाना तथा उद्यमिता को प्रोत्साहित करना है। यह योजना निःशुल्क, परिणाम-आधारित प्रशिक्षण और प्रमाणन की व्यवस्था पर आधारित है।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना को तीन चरणों “PMKVY 1.0 (2015–16), PMKVY 2.0 (2016–20) और PMKVY 3.0 (2021–22) में लागू किया गया। इन सभी चरणों में कुल ₹14,450 करोड़ का प्रावधान किया गया। योजना का उद्देश्य युवाओं में बढ़ती बेरोज़गारी की समस्या से निपटना है, जो मई 2025 में 15–29 आयु वर्ग में लगभग 15% दर्ज की गई थी।
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना की शुरुआत वर्ष 2015 में कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) द्वारा की गई। इसका मुख्य उद्देश्य देश के युवाओं को उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप कौशल प्रदान करना, उनकी रोजगारयोग्यता बढ़ाना तथा उद्यमिता को प्रोत्साहित करना है। यह योजना निःशुल्क, परिणाम-आधारित प्रशिक्षण और प्रमाणन की व्यवस्था पर आधारित है।
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CAG रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
दिसंबर 2025 में जारी ऑडिट रिपोर्ट में CAG ने PMKVY 2.0 और PMKVY 3.0 के क्रियान्वयन में कई गंभीर प्रणालीगत तथा संचालन संबंधी कमियों को उजागर किया है:
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- बैंक खातों में अनियमितताएँ: हजारों लाभार्थियों के मामलों में अमान्य या फर्जी बैंक खाता नंबर (जैसे “11111111111”), एक ही खाते का बार-बार उपयोग तथा निरर्थक प्रविष्टियाँ दर्ज पाई गईं।
- फोटो संबंधी गड़बड़ियाँ: बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में अनेक उम्मीदवारों के लिए एक ही फोटो का बार-बार उपयोग किया गया।
- निष्क्रिय प्रशिक्षण केंद्र: कई प्रशिक्षण केंद्र वास्तविक रूप से बंद पाए गए, जबकि पोर्टल पर उन्हें सक्रिय दिखाया जा रहा था।
- भुगतान में देरी: 34 लाख से अधिक प्रमाणित उम्मीदवारों को अब तक प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के तहत भुगतान नहीं मिल पाया।
- गुणवत्ता पर सवाल: ऐसे नियोक्ताओं द्वारा प्रमाणपत्र जारी किए गए जो “Best-in-Class” श्रेणी में शामिल नहीं थे, जिससे प्रदान किए गए कौशल की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगते हैं।
- कमज़ोर संचार व्यवस्था: ईमेल भेजने में 36.51% तक की विफलता दर दर्ज की गई और उम्मीदवारों की ओर से प्रतिक्रिया लगभग नगण्य रही।
- बैंक खातों में अनियमितताएँ: हजारों लाभार्थियों के मामलों में अमान्य या फर्जी बैंक खाता नंबर (जैसे “11111111111”), एक ही खाते का बार-बार उपयोग तथा निरर्थक प्रविष्टियाँ दर्ज पाई गईं।
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मुख्य प्रभाव:
CAG की रिपोर्ट नीति के घोषित उद्देश्यों और ज़मीनी स्तर पर उसके वास्तविक क्रियान्वयन के बीच मौजूद गहरी खाई को स्पष्ट रूप से उजागर करती है:
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- प्रौद्योगिकी–शासन अंतर: स्किल इंडिया पोर्टल (SIP) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अत्यधिक निर्भरता के बावजूद, कमजोर डेटा सत्यापन, सीमित निगरानी और अपर्याप्त नियंत्रण तंत्र के कारण योजना अपेक्षित रूप से प्रभावी नहीं हो सकी।
- निगरानी तंत्र की विफलता: बंद पड़े प्रशिक्षण केंद्रों का संचालनरत दिखाया जाना और एक ही प्रकार के प्रमाणपत्रों का बार-बार जारी होना यह दर्शाता है कि निरीक्षण, सत्यापन और ऑडिट व्यवस्था कमजोर रही।
- समानता और समावेशन पर नकारात्मक असर: DBT भुगतान में देरी और संचार की कमज़ोर व्यवस्था का सबसे अधिक प्रभाव हाशिए पर रहने वाले और वंचित लाभार्थियों पर पड़ा, जिससे योजना के समावेशी उद्देश्य को आघात पहुँचा।
- प्रतिक्रियात्मक जवाबदेही की प्रवृत्ति: आधार आधारित e-KYC, जियो-टैगिंग, QR-कोड युक्त प्रमाणपत्र और कौशल समीक्षा केंद्र जैसे सुधारात्मक कदम तब अपनाए गए जब प्रणालीगत कमियाँ पहले ही उजागर हो चुकी थीं, न कि उन्हें पहले से रोकने के लिए।
- प्रौद्योगिकी–शासन अंतर: स्किल इंडिया पोर्टल (SIP) जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अत्यधिक निर्भरता के बावजूद, कमजोर डेटा सत्यापन, सीमित निगरानी और अपर्याप्त नियंत्रण तंत्र के कारण योजना अपेक्षित रूप से प्रभावी नहीं हो सकी।
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निष्कर्ष:
CAG की ऑडिट रिपोर्ट भारत की प्रमुख कौशल विकास योजना की रूपरेखा, डेटा की विश्वसनीयता तथा निगरानी तंत्र में लंबे समय से बनी आ रही कमज़ोरियों को उजागर करती है, जिनका प्रत्यक्ष प्रभाव लाखों युवा लाभार्थियों पर पड़ा है। यद्यपि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) भारत की रोजगार सृजन और मानव पूंजी विकास रणनीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बनी हुई है, फिर भी यह रिपोर्ट स्पष्ट संकेत देती है कि कौशल प्रशिक्षण को वास्तविक, गुणवत्तापूर्ण और टिकाऊ रोजगार में परिवर्तित करने के लिए मजबूत संस्थागत निगरानी, बेहतर तकनीकी एकीकरण और सख्त अनुपालन तंत्र को तत्काल सुदृढ़ करना आवश्यक है।
