संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निर्यात संवर्धन मिशन (Export Promotion Mission – EPM) को मंजूरी प्रदान की है। यह एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2025–26 में भारत के निर्यात को, विशेष रूप से एम.एस.एम.ई के पहली बार के निर्यातकों और श्रम क्षेत्रों को मजबूत करने के लिए की गई थी।
निर्यात संवर्धन मिशन के बारे में:
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- निर्यात संवर्धन मिशन (EPM) विभिन्न योजनाओं को एकीकृत कर एक परिणाम-आधारित ढांचे के रूप में विकसित किया गया है। इसे वाणिज्य विभाग, एमएसएमई मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, वित्तीय संस्थानों, निर्यात संवर्धन परिषदों, कमोडिटी बोर्डों, उद्योग संगठनों और राज्य सरकारों के सहयोग से तैयार किया गया है।
- इस मिशन का लक्ष्य 2025–26 से 2030–31 की अवधि के लिए कुल ₹25,060 करोड़ के बजट के साथ एक सरल, अधिक सक्षम और डिजिटल रूप से संचालित निर्यात सहायता प्रणाली स्थापित करना है।
- निर्यात संवर्धन मिशन (EPM) विभिन्न योजनाओं को एकीकृत कर एक परिणाम-आधारित ढांचे के रूप में विकसित किया गया है। इसे वाणिज्य विभाग, एमएसएमई मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, वित्तीय संस्थानों, निर्यात संवर्धन परिषदों, कमोडिटी बोर्डों, उद्योग संगठनों और राज्य सरकारों के सहयोग से तैयार किया गया है।

यह मिशन दो प्रमुख उप-योजनाओं के माध्यम से लागू किया जाएगा:
• निर्यात प्रोत्साहन : इस उप-योजना का उद्देश्य एमएसएमई को सुलभ और आसान व्यापार वित्त उपलब्ध कराना है। इसके तहत ब्याज सब्सिडी, एक्सपोर्ट फैक्टरिंग, जमानत गारंटी, ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट क्रेडिट कार्ड तथा नए बाजारों में प्रवेश के लिए क्रेडिट समर्थन जैसी सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी।
• निर्यात दिशा : यह उप-योजना गैर-वित्तीय सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है। इसमें “गुणवत्ता और अनुपालन सहायता, अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग एवं पैकेजिंग समर्थन, व्यापार मेलों में भागीदारी, निर्यात वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स सहायता, आंतरिक परिवहन की प्रतिपूर्ति, व्यापार संबंधी जानकारी तथा क्षमता-विकास सहायता” शामिल हैं।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) इस पूरे मिशन को एक पूर्ण डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से लागू करेगा। यह प्लेटफॉर्म मौजूदा व्यापार प्रणालियों के साथ एकीकृत होगा, जिससे आवेदन, निगरानी और भुगतान की प्रक्रिया अधिक सहज, सुगम और पारदर्शी बन सकेगी।
अपेक्षित लाभ:
• एमएसएमई के लिए सुलभ और आसान व्यापार वित्त तक पहुँच में सुधार।
• गुणवत्ता, प्रमाणन और अनुपालन क्षमता में वृद्धि।
• भारतीय उत्पादों की ब्रांडिंग, दृश्यता और वैश्विक बाजारों तक पहुँच का विस्तार।
• गैर-पारंपरिक जिलों से निर्यात को प्रोत्साहन।
• विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स और संबंधित क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि।
निष्कर्ष:
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर निर्यात संवर्धन मिशन एक दूरदर्शी पहल है, जो भारत के निर्यात क्षेत्र को अधिक समावेशी, तकनीक-सक्षम और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिशन विकसित भारत @2047 की दृष्टि को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
