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Blog / 22 Dec 2025

ब्लूबर्ड संचार उपग्रह

संदर्भ:

हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 24 दिसंबर 2025 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC-SHAR) से 'ब्लूबर्ड ब्लॉक 2' (BlueBird-6) संचार उपग्रह लॉन्च करेगा। इस मिशन को LVM3-M6 नाम दिया गया है, जिसमें इसरो के सबसे भारी रॉकेट LVM3 का उपयोग किया जाएगा। यह प्रक्षेपण इसरो की वाणिज्यिक शाखा 'न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड' (NSIL) के एक व्यावसायिक समझौते के तहत किया जा रहा है।

उपग्रह के विषय में:

      • ब्लूबर्ड ब्लॉक 2 उपग्रह को अमेरिकी कंपनी AST स्पेसमोबाइल  ने विकसित किया है। लगभग 6,500 किलोग्राम भार के साथ, यह इसरो (ISRO) द्वारा प्रक्षेपित अब तक का सबसे भारी व्यावसायिक पेलोड  है।
      • यह मिशन वैश्विक स्तर पर भारत के LVM3 रॉकेट की विश्वसनीयता और भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की उत्कृष्ट क्षमता को सिद्ध करता है। यह उपग्रह सीधे सामान्य स्मार्टफोन पर 'स्पेस-आधारित सेलुलर ब्रॉडबैंड' (इंटरनेट) सेवा प्रदान करेगा, जिसके लिए किसी विशेष ज़मीनी बुनियादी ढांचे की ज़रूरत नहीं होगी। इसके विशाल एंटीना दुर्गम क्षेत्रों में भी 24/7 हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेंगे, जिससे वैश्विक 'डिजिटल डिवाइड' को कम करने में मदद मिलेगी।

BlueBird Communications Satellite

LVM3 रॉकेट के बारे में:

      • LVM3 (लॉन्च व्हीकल मार्क-3), जिसे पहले GSLV Mk-III के नाम से जाना जाता था, इसरो का सबसे शक्तिशाली रॉकेट है।
      • यह 8,000 किलोग्राम तक का भार निचली पृथ्वी कक्षा (LEO) में ले जा सकता है।
      • यह तीन चरणों वाला रॉकेट है जिसमें ठोस, तरल और क्रायोजेनिक ईंधन प्रणालियों का उपयोग होता है।
      • इसने चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 और वनवेब (OneWeb) जैसे महत्वपूर्ण मिशनों को सफलतापूर्वक पूरा किया है। यही रॉकेट भारत के गगनयान (मानव अंतरिक्ष मिशन) कार्यक्रम का भी मुख्य आधार है।

इसरो की वाणिज्यिक शाखाएं:

इसरो का व्यावसायिक कार्य मुख्य रूप से दो संस्थाओं द्वारा संचालित होता है:

      • एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (ACL): 1992 में स्थापित, यह इसरो की पुरानी वाणिज्यिक शाखा है जो लॉन्च सेवाओं, सैटेलाइट डेटा और तकनीक हस्तांतरण का प्रचार करती है।
      • न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL): 2019 में गठित यह संस्था उपग्रह निर्माण और लॉन्च सेवाओं में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय अनुबंधों को पूरा करने का काम करती है।

रणनीतिक और आर्थिक महत्व:

      • रणनीतिक आयाम: अमेरिकी कंपनी के लिए इस जटिल उपग्रह को लॉन्च करना भारत-अमेरिका के बीच अंतरिक्ष सहयोग और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करता है। यह दुनिया भर में भारत की छवि एक विश्वसनीय लॉन्च सेवा प्रदाता के रूप में बेहतर बनाता है।
      • आर्थिक आयाम: ब्लूबर्ड-6 मिशन से भारत को विदेशी मुद्रा और उच्च-मूल्य वाले अंतरराष्ट्रीय अनुबंध प्राप्त होते हैं। इससे वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में, विशेष रूप से उभरते हुए ब्रॉडबैंड संचार बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी।

निष्कर्ष:

LVM3-M6 / ब्लूबर्ड ब्लॉक 2 का प्रक्षेपण भारी उपग्रहों को लॉन्च करने की इसरो की बढ़ती क्षमता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को दर्शाता है। अपनी व्यावसायिक शाखाओं के माध्यम से भारत अब वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में एक प्रमुख देश के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।