संदर्भ:
हाल ही में भारत ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा अगली पीढ़ी का उपकरण विकसित किया है, जो केवल सौर ऊर्जा का उपयोग करके जल अणुओं को विभाजित करता है और हरित हाइड्रोजन (Green Hydrogen) उत्पन्न करता है। यह शोध रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के जर्नल में प्रकाशित हुआ है। यह उपलब्धि न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमता को दर्शाती है, बल्कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की दिशा में भी एक क्रांतिकारी कदम है।
शोध की मुख्य बातें:
· हरित ऊर्जा के क्षेत्र में प्रगति करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (CeNS), बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने एक अत्याधुनिक फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल (PEC) उपकरण विकसित किया है।
· इस उपकरण की सबसे प्रमुख बात यह है कि इसमें सौर ऊर्जा और पृथ्वी पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करता है।
· इसमें एक सिलिकॉन-आधारित फोटोएनोड का प्रयोग हुआ है जो N-i-P हेटेरोजंक्शन आर्किटेक्चर पर आधारित है।
· ये आर्किटेक्चर मिलकर फोटो-करंट के चार्ज को बेहतर तरीके से अलग और स्थानांतरित करते हैं।
· सामग्री को मैग्नेट्रॉन स्पटरिंग तकनीक से तैयार किया गया है जो औद्योगिक पैमाने पर दोहराई जा सकने वाली प्रक्रिया है।
· इस प्रयोग में सौर ऊर्जा से सीधे हाइड्रोजन उत्पादन में अत्यधिक प्रभावशीलता प्रदर्शित की हैं। सबसे उल्लेखनीय यह है कि डिवाइस ने 10 घंटे तक लगातार संचालन में केवल 4% प्रदर्शन गिरावट दिखाई जो सिलिकॉन-आधारित फोटोइलेक्ट्रोकेमिकल (PEC) प्रणालियों के लिए असाधारण है।
हरित हाइड्रोजन क्या है?
हरित हाइड्रोजन वह हाइड्रोजन गैस है जिसे पानी (H₂O) को विद्युत अपघटन (Electrolysis) की प्रक्रिया से तोड़कर प्राप्त किया जाता है, और इस प्रक्रिया में प्रयुक्त बिजली पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर या पवन ऊर्जा) से आती है। चूंकि इस उत्पादन प्रक्रिया में कोई कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) या ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित नहीं होतीं, इसलिए इसे “हरित” (Green) कहा जाता है।
हरित हाइड्रोजन के प्रमुख लाभ:
लाभ |
विवरण |
शून्य कार्बन उत्सर्जन |
यह जीवाश्म ईंधनों की तरह प्रदूषण नहीं करता, जिससे जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद मिलती है। |
उद्योगों का डी-कार्बोनाइजेशन |
इस्पात, उर्वरक, रसायन जैसे भारी उद्योगों में इसे उपयोग कर कार्बन उत्सर्जन कम किया जा सकता है। |
स्वच्छ परिवहन ईंधन |
हाइड्रोजन-चालित वाहन पारंपरिक वाहनों की तुलना में अधिक पर्यावरण-अनुकूल होते हैं। |
ऊर्जा भंडारण में सक्षम |
हरित हाइड्रोजन को संग्रहीत कर, आवश्यकता अनुसार ऊर्जा में बदला जा सकता है। |
ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम |
भारत अपने घरेलू नवीकरणीय संसाधनों से हाइड्रोजन बना सकता है, जिससे आयात पर निर्भरता घटेगी। |
निष्कर्ष-
हरित ऊर्जा के क्षेत्र में यह उपलब्धि न केवल भारत की वैज्ञानिक क्षमता को दर्शाती है, बल्कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों की दिशा में भी एक क्रांतिकारी कदम है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले वर्षों में यह तकनीक घरेलू उपयोग से लेकर औद्योगिक संयंत्रों तक, हाइड्रोजन-आधारित ऊर्जा प्रणालियों को पूरी तरह सौर ऊर्जा पर आधारित बना सकती है। भारत की यह उपलब्धि न केवल ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम है, बल्कि एक स्वच्छ, स्थायी और नवोन्मेषी भविष्य का निर्माण भी करती है।