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Blog / 16 May 2025

भार्गवास्त्र काउंटर-ड्रोन प्रणाली

संदर्भ:

सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस (SDAL) ने हाल ही में गोपालपुर (ओडिशा) के सीवार्ड फायरिंग रेंज में हार्ड किल मोड में एक नई कम लागत वाली काउंटर-ड्रोन प्रणाली भार्गवास्त्रका परीक्षण किया है। इन प्रणालियों का उद्देश्य आधुनिक युद्ध की बदलती प्रकृति जैसे ड्रोन झुंड और मोबाइल लक्ष्यों के वातावरण के लिए लागत-प्रभावी और उत्तरदायी समाधान प्रदान करना है।

भार्गवास्त्र के बारे में:

भार्गवास्त्र प्रणाली भारत की पहली माइक्रो मिसाइल-आधारित काउंटर-ड्रोन प्रणाली है जिसे सोलर डिफेंस एंड एयरोस्पेस लिमिटेड (SDAL) ने इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया है। यह प्रणाली काउंटर-ड्रोन तकनीक में एक बड़ी उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करती है। यह कम लागत वाली हार्ड-किल प्रणाली है, जिसे गाइडेड माइक्रो रॉकेट्स के माध्यम से ड्रोन, विशेष रूप से झुंड के रूप में आने वाले ड्रोन को पहचानने और निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • पता लगाने की सीमा: 6 किलोमीटर से अधिक दूरी पर छोटे हवाई खतरों को पहचानने में सक्षम।
  • प्रभावी सीमा: 2.5 किलोमीटर से अधिक दूरी पर लक्ष्यों को प्रभावी रूप से निष्क्रिय करने की क्षमता।
  • एकसाथ प्रहार: एक बार में 64 से अधिक माइक्रो मिसाइलें दागने में सक्षम।
  • गतिशीलता: इसे मोबाइल प्लेटफॉर्म पर लगाया गया है ताकि इसे विविध भौगोलिक क्षेत्रों में तेजी से तैनात किया जा सके, जिनमें उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्र भी शामिल हैं।
  • भूमिका: इसे विशेष रूप से सेना की वायु रक्षा के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो एक महत्वपूर्ण क्षमता अंतर को भरता है। भारतीय वायु सेना ने भी इस प्रणाली में रुचि दिखाई है।

इस प्रणाली का 13 मई, 2025 को वरिष्ठ भारतीय सेना अधिकारियों की उपस्थिति में तीन सफल परीक्षण किए गए। इनमें से दो परीक्षणों में एक-एक रॉकेट दागे गए, जबकि तीसरे परीक्षण में दो रॉकेट्स को दो सेकंड के भीतर सैल्वो मोड में दागा गया। सभी रॉकेट्स ने अपने लॉन्च मापदंडों को पूरा किया, जिससे यह सिद्ध हुआ कि यह प्रणाली ड्रोन खतरों का प्रभावी ढंग से मुकाबला कर सकती है।
भार्गवास्त्र एक वैश्विक चुनौती को संबोधित करता है: कम लागत वाले ड्रोन की बढ़ती संख्या, विशेष रूप से झुंड रूप में, जो पारंपरिक वायु रक्षा प्रणालियों पर निरंतर दबाव बनाते हैं, जो महंगे मिसाइल इंटरसेप्टर्स पर निर्भर होती हैं।

निष्कर्ष:

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली ने पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तानी ड्रोन, मिसाइल और विमानों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, ऐसे महंगे मिसाइल प्रणालियों का उपयोग कम लागत वाले ड्रोन खतरों से निपटने के लिए दीर्घकालिक रूप से आर्थिक रूप से व्यावहारिक नहीं है। यह परिचालन अनुभव भार्गवास्त्र जैसी लागत-प्रभावी और मापनीय समाधानों की आवश्यकता को रेखांकित करता है। जैसे-जैसे ड्रोन अधिकाधिक सुलभ होते जा रहे हैं और विषम खतरे उत्पन्न कर रहे हैं, भारत की किफायती, मोबाइल और सटीकता-निर्देशित प्रणालियों को तैनात करने की क्षमता महत्वपूर्ण हो जाती है।