संदर्भ:
हाल ही में असम वन विभाग ने 2,573 गैंडों के सींगों के नमूनों की जीन जांच की प्रक्रिया शुरू की है। यह पहल भारत में वन्यजीव अपराधों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रयास RhoDIS इंडिया (Rhino DNA Index System) कार्यक्रम का हिस्सा है, एक वैज्ञानिक और फॉरेंसिक प्रणाली, जो सींग से प्राप्त डीएनए के ज़रिए हर गैंडे की पहचान करने में सक्षम है।
RhoDIS इंडिया कार्यक्रम क्या है?
RhoDIS इंडिया एक राष्ट्रीय स्तर का फॉरेंसिक डीएनए डाटाबेस है, जिसका उद्देश्य है:
- प्रत्येक गैंडे की अनूठी जीन प्रोफाइल तैयार करना।
- जब्त किए गए सींगों की उत्पत्ति का पता लगाना (शिकार या अवैध व्यापार से जुड़े मामलों में)।
- कानून प्रवर्तन एजेंसियों को वैज्ञानिक प्रमाण प्रदान करना।
मुख्य विशेषताएँ:
- यह प्रणाली दक्षिण अफ्रीका की मॉडल पर आधारित है, जहाँ इसने शिकार पर रोक लगाने में अहम भूमिका निभाई है।
- इसमें शॉर्ट टैंडम रिपीट्स (एसटीआर) तकनीक का उपयोग होता है, जो डीएनए की वह विशिष्ट संरचना होती है जो व्यक्ति या जानवर की पहचान में ‘जैविक फिंगरप्रिंट’ की तरह काम करती है।
- इसे भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) संचालित करता है और इसे सहयोग मिलता है:
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC)
- WWF-India
- गैंडा-आवास वाले राज्य: असम, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश
वर्तमान डीएनए अध्ययन के उद्देश्य:
1. व्यक्तिगत डीएनए प्रोफाइल तैयार करना:
o इससे हर गैंडे की सटीक पहचान संभव होती है और भविष्य में जब्त सींगों से उसकी तुलना की जा सकती है।
2. STR जीन वेरिएंट में बदलावों का विश्लेषण:
o आनुवंशिक विविधता में समय के साथ होने वाले बदलावों की निगरानी
o इनब्रिडिंग, आवास क्षरण या शिकार के प्रभावों का आकलन
3. जनसंख्या निगरानी को सशक्त बनाना:
o गैंडे की आबादी की संरचना, आवागमन और आनुवंशिक स्वास्थ्य की समझ बेहतर करना
एक सींग वाले गैंडे के बारे में:
मुख्य बातें:
- दुनिया में पाई जाने वाली पाँच गैंडे प्रजातियों में से एक।
- भारत में पाई जाने वाली अकेली गैंडे की प्रजाति।
- आकार में सबसे बड़ा, एक काले सींग और मोटी मोड़दार त्वचा वाला प्राणी।
- शाकाहारी: घास, पत्ते, फल और जल पौधों का सेवन करता है।
आवास क्षेत्र:
- भारत-नेपाल तराई, उत्तरी पश्चिम बंगाल और असम में निवास करता है।
- भारत में प्रमुख रूप से:
- असम में लगभग 2,640 गैंडे
- जिनमें से लगभग 2,400 काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में
- शेष पबितोरा, मानस और ओरांग राष्ट्रीय उद्यानों में
- पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में सीमित संख्या
संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: वल्नरेबल (संकटग्रस्त)
- CITES परिशिष्ट-I: अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध
- भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची-I (उच्चतम कानूनी संरक्षण)
मुख्य चुनौतियाँ:
- अवैध शिकार (मुख्यतः सींग के लिए)
- प्राकृतिक आवास की हानि और विखंडन
- सीमित क्षेत्रों में अत्यधिक जनसंख्या घनत्व
- आनुवंशिक विविधता में गिरावट
प्रमुख संरक्षण प्रयास:
- राष्ट्रीय गैंडा संरक्षण रणनीति (2019)
- इंडियन राइनो विजन 2020 (2005–2020):
- असम के 7 संरक्षित क्षेत्रों में 3,000 गैंडों का लक्ष्य
- RhoDIS इंडिया:
- हर गैंडे की डीएनए प्रोफाइल तैयार करना
- एशियाई गैंडों पर नई दिल्ली घोषणा (2019):
- भारत, नेपाल, भूटान, इंडोनेशिया और मलेशिया द्वारा हस्ताक्षरित
निष्कर्ष:
2,600 से अधिक गैंडे के सींगों की डीएनए जांच शुरू कर असम ने विज्ञान और संरक्षण नीति को साथ लाकर एक मिसाल पेश की है। RhoDIS इंडिया जैसे कार्यक्रम न केवल शिकार विरोधी कार्रवाई में मददगार हैं, बल्कि भारत के राष्ट्रीय गौरव – एक-सींग वाले गैंडे – की आनुवंशिक विरासत को संरक्षित रखने में भी निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।