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Blog / 06 Oct 2025

आकांक्षी कृषि ज़िले

संदर्भ:

4 अक्टूबर 2025 को भारत सरकार ने प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PMDDKY) के तहत देशभर में 100 आकांक्षी कृषि ज़िलों की पहचान की। ये ज़िले 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं। इस पहल का उद्देश्य इन चयनित ज़िलों में कृषि उत्पादकता बढ़ाना और कृषि से जुड़ी गतिविधियों में सुधार लाना है। इनमें सबसे अधिक 12 ज़िले उत्तर प्रदेश से चुने गए हैं, जो राज्य के कृषि क्षेत्र के संतुलित विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पृष्ठभूमि:

         प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना को जुलाई 2025 में केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंज़ूरी प्राप्त हुई। यह योजना वर्ष 2025–26 से शुरू होकर अगले छह वर्षों तक लागू रहेगी।

         यह देश की पहली ऐसी पहल है जो केवल कृषि और उससे संबंधित क्षेत्रों पर मिशन मोड में केंद्रित है। इसका मूल विचार नीति आयोग के आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम से प्रेरित है।

         इस योजना की घोषणा केंद्रीय बजट 2025–26 में की गई थी।

         योजना का प्रमुख उद्देश्य कृषि क्षेत्र में पिछड़े ज़िलों के प्रदर्शन में सुधार लाना है। इसके लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच समन्वित प्रयासों के माध्यम से कार्य किया जाएगा।

मुख्य विशेषताएँ और चयन के मानदंड:

         100 ज़िलों का चयन तीन प्रमुख संकेतकों के आधार पर किया गया है

1.        कम कृषि उत्पादकता

2.      मध्यम या कम फसल तीव्रता (Cropping Intensity)

3.      कृषि ऋण तक औसत से कम पहुँच

         प्रत्येक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से कम से कम एक ज़िला चुना गया है। इसके अतिरिक्त, किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में चयनित ज़िलों की संख्या उसके शुद्ध फसल क्षेत्र और कार्यशील जोतों (Operational Holdings) की संख्या के अनुपात में तय की गई है।

         इस योजना के लिए कोई नई बजटीय व्यवस्था नहीं की गई है। इसका कार्यान्वयन 11 केंद्रीय मंत्रालयों के 36 मौजूदा कार्यक्रमों के साथ-साथ राज्य सरकारों की योजनाओं और निजी क्षेत्र / स्थानीय साझेदारियों के संकलन के माध्यम से किया जाएगा।

निगरानी और कार्यान्वयन ढांचा निम्नलिखित होगा:

    • प्रत्येक ज़िले मेंजिला धन धान्य समितिका गठन किया जाएगा, जिसमें प्रगतिशील किसान भी शामिल होंगे। यह समिति जिला कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों की योजना तैयार करेगी।
    • ज़िला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी समितियाँ बनाई जाएँगी।
    • 117 प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों को एक डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से मासिक रूप से ट्रैक किया जाएगा।
    • प्रत्येक ज़िले के लिए एक केंद्रीय नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो निगरानी और समन्वय की जिम्मेदारी निभाएंगे।

चयनित ज़िले:

उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 12 ज़िले चुने गए हैं, जिसमें महोबा, सोनभद्र, हमीरपुर, बांदा, जालौन, झांसी, उन्नाव, प्रयागराज, चित्रकूट, प्रतापगढ़, श्रावस्ती और ललितपुर शामिल हैं।

अन्य राज्यों का वितरण इस प्रकार है:

·         महाराष्ट्र: 9 ज़िले

·         मध्य प्रदेश और राजस्थान: 8–8 ज़िले

·         बिहार: 7 ज़िले

·         आंध्र प्रदेश, गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल: 4–4 ज़िले

·         असम, छत्तीसगढ़, केरल: 3–3 ज़िले

·         जम्मू-कश्मीर, झारखंड, उत्तराखंड: 2–2 ज़िले

·         11 राज्यों (जैसे पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गोवा आदि) से 1–1 ज़िला चुना गया है।

अपेक्षित परिणाम:

         कमजोर प्रदर्शन वाले ज़िलों में कृषि उत्पादकता में उल्लेखनीय सुधार होगा, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर औसत उपज, फसल गहनता और कृषि ऋण की पहुँच में समग्र वृद्धि होगी।

         सतत कृषि प्रथाओं को प्रोत्साहन मिलेगा, साथ ही ब्लॉक और पंचायत स्तर पर बेहतर भंडारण, प्रसंस्करण एवं विपणन अवसंरचना (Post-Harvest Infrastructure) का विकास किया जाएगा।

         किसानों के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक ऋण सुविधाएँ सुलभ होंगी, जिससे उनकी वित्तीय बाधाएँ कम होंगी और निवेश की क्षमता बढ़ेगी।

         फसल विविधीकरण, मृदा एवं जल संरक्षण, तथा जैविक और प्राकृतिक खेती को प्रत्येक ज़िले की कृषि योजनाओं में प्राथमिकता दी जाएगी।

         कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में बेहतर आजीविका अवसर तथा मूल्य संवर्धन के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाया जाएगा।

निष्कर्ष:

प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना के तहत 100 आकांक्षी कृषि ज़िलों की घोषणा भारत की एक लक्षित कृषि नीति की दिशा में बड़ा कदम है। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय असमानताओं को घटाना और पिछड़े ज़िलों की कृषि क्षमता को बढ़ाना है। अगर यह योजना अपने उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा करती है, तो इससे कृषि उत्पादकता बढ़ेगी, किसानों की आमदनी में सुधार होगा, और ये ज़िले अधिक लचीले एवं सशक्त कृषि तंत्र की दिशा में आगे बढ़ेंगे।