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Blog / 27 Oct 2025

माहे-श्रेणी के एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट

संदर्भ:

कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (Cochin Shipyard Ltd - CSL) ने आधिकारिक रूप से भारतीय नौसेना को आठ "एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट" (ASW SWC) में से पहला जहाज सौंप दिया है। ये सभी जहाज माहे श्रेणी (Mahe-class) के हैं।

माहे के बारे में:

    • माहे-श्रेणी के आठ जहाजों के निर्माण हेतु रक्षा मंत्रालय और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के बीच अनुबंध 30 अप्रैल 2019 को हस्ताक्षरित हुआ था।
    • सार्वजनिक रिपोर्टों के अनुसार, सभी आठ जहाजों की आपूर्ति अगस्त 2025 से जून 2028 के बीच पूरी होने की योजना है।

डिज़ाइन, भूमिका और विशेषताएँ:

माहे-श्रेणी के जहाज भारतीय नौसेना के पुराने अभय श्रेणी एंटी-सबमरीन कॉर्वेट्स को प्रतिस्थापित करने के लिए बनाए गए हैं। इनका मुख्य उद्देश्य उथले या तटीय जलक्षेत्रों में पनडुब्बी रोधी युद्ध (Anti-Submarine Warfare), माइन बिछाने, निगरानी, खोज और बचाव (Search & Rescue - SAR) तथा निम्न-तीव्रता समुद्री अभियानों (Low-Intensity Maritime Operations - LIMO) का संचालन करना है।

    • मुख्य विनिर्देश: लंबाई लगभग 78 मीटर, विस्थापन लगभग 900 से 1,100 टन (स्रोत के अनुसार), गति लगभग 25 नॉट्स तक और सहनशीलता (Endurance) लगभग 1,800 नौटिकल मील (CSL के अनुसार)।
    • प्रणोदन (Propulsion): डीज़ल इंजन और वॉटर-जेट के संयोजन का उपयोग, जो उथले जल में संचालन और गतिशीलता को बढ़ाता है।
    • स्वदेशीकरण स्तर: अत्यधिक माहे श्रेणी में 80% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है।

Indian Navy Inducts 'Mahe' – First Indigenous Anti-Submarine Warfare  Shallow Water Craft Built by CSL

एंटी-सबमरीन वॉरफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (ASW-SWC) के बारे में:

ASW-SWC श्रेणी भारतीय नौसेना के लिए विकसित एक नई उथले जल की कॉर्वेट श्रेणी है, जिसका निर्माण दो शिपयार्ड द्वारा किया जा रहा है कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE)

    • कुल 16 जहाजों का लक्ष्य है — 8 GRSE द्वारा और 8 CSL द्वारा निर्मित।
    • आयाम: GRSE संस्करण (अर्नाला-श्रेणी”) की लंबाई लगभग 77–78 मीटर और चौड़ाई लगभग 10.5 मीटर है। CSL संस्करण (माहे-श्रेणी”) की माप लगभग समान है।
    • प्रणोदन: डीज़ल इंजन और वॉटर-जेट का संयोजन, जो उथले जल में उत्कृष्ट प्रदर्शन और नियंत्रण प्रदान करता है।
    • गति: लगभग 25 नॉट्स (शैलो/तटीय जलक्षेत्रों में)।

सामरिक महत्व:

माहे-श्रेणी का निर्माण भारतीय नौसेना की तटीय और निकटवर्ती समुद्री क्षेत्रों में पनडुब्बी रोधी क्षमता को सुदृढ़ करेगा, विशेष रूप से भारतीय महासागर क्षेत्र में, जहाँ प्रतिद्वंद्वी देशों की पनडुब्बी गतिविधियाँ लगातार बढ़ रही हैं।

    • यह पुराने अभय श्रेणी प्लेटफॉर्म को आधुनिक, तेज़ और स्वदेशी जहाजों से प्रतिस्थापित करेगा।
    • उच्च स्वदेशी सामग्री भारत की रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भरता (Self-Reliance) की नीति के अनुरूप है।
    • यह जहाज केवल एंटी-सबमरीन वॉरफेयर ही नहीं, बल्कि माइन बिछाने, सतही और वायु रक्षा, तथा तटीय खोज एवं बचाव अभियानों को भी अंजाम दे सकते हैं।

निष्कर्ष:

माहे जहाज की सफल आपूर्ति से आने वाले सात और सडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाजों के समावेशन का मार्ग प्रशस्त हुआ है। प्रत्येक जहाज को उन्नत तकनीकों से सुसज्जित किया जा रहा है ताकि उभरती समुद्री चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके।
जैसे-जैसे भारत अपनी नौसैनिक क्षमता को सुदृढ़ कर रहा है, माहे और उसके समान जहाज देश की समुद्री रक्षा रणनीति की अग्रिम पंक्ति में रहेंगे।