संदर्भ:
15 सितंबर 2025 को झारखंड के हजारीबाग ज़िले में चलाए गए नक्सल विरोधी अभियान में तीन माओवादी उग्रवादी मारे गए। इन पर कुल ₹1.35 करोड़ का इनाम घोषित था। यह अभियान सीआरपीएफ की विशेष कोबरा (CoBRA) बटालियन और झारखंड पुलिस के संयुक्त प्रयास से सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कार्रवाई राज्य में नक्सल उग्रवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण और निर्णायक उपलब्धि मानी जा रही है।
नक्सलवाद के बारे में:
नक्सलवाद, जिसे वामपंथी उग्रवाद (Left-Wing Extremism – LWE) भी कहा जाता है, 1967 से भारत की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में से एक रहा है।
· इसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से हुई, जब किसानों ने ज़मीन के बंटवारे, सामाजिक-आर्थिक असमानता और आदिवासी अधिकारों की मांगों को लेकर विद्रोह किया। इस आंदोलन का नेतृत्व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी – CPI-ML) ने किया।
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- यह उग्रवाद मुख्य रूप से "रेड कॉरिडोर" कहे जाने वाले इलाके में सक्रिय रहा है, जो छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैला है।
- यह उग्रवाद मुख्य रूप से "रेड कॉरिडोर" कहे जाने वाले इलाके में सक्रिय रहा है, जो छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैला है।
· इस आंदोलन को अक्सर गरीब और वंचित तबकों, विशेषकर आदिवासी समुदायों का समर्थन मिला, जिनकी समस्याएँ गरीबी, पिछड़ापन, विकास की कमी और सरकारी उपेक्षा से जुड़ी रही हैं।
नक्सलवाद को खत्म करने की भारत की रणनीति:
भारत ने नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाई है, जिसमें सुरक्षा उपायों के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक विकास और समुदायों को सशक्त बनाने की पहल भी शामिल है।
विकास संबंधी पहलें:
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- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY-II): दूर-दराज़ के आदिवासी इलाकों तक सड़क पहुँचाकर विकास और सुरक्षा बलों की आवाजाही आसान करना।
- एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय: आदिवासी बच्चों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराना, ताकि सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को कम किया जा सके।
- मोबाइल कनेक्टिविटी (USOF/डिजिटल भारत निधि): आदिवासी क्षेत्रों में मोबाइल और इंटरनेट पहुँचाकर अलगाव को कम करना और शासन को सशक्त बनाना।
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY-II): दूर-दराज़ के आदिवासी इलाकों तक सड़क पहुँचाकर विकास और सुरक्षा बलों की आवाजाही आसान करना।
सुरक्षा अभियान:
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- ऑपरेशन ग्रीन हंट: एक बड़े पैमाने पर चलाया गया अर्धसैनिक अभियान, जिसका उद्देश्य नक्सल गढ़ों को ख़त्म करना था।
- ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट: यह अभियान 21 अप्रैल 2025 को शुरू हुआ, जिसमें छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा से लगे जंगलों में सक्रिय नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों ने कार्रवाई की।
- विशेष बलों की तैनाती: सीआरपीएफ की कोबरा बटालियन और ग्रेहाउंड्स जैसे विशेष बलों को जंगल युद्ध और गुरिल्ला रणनीति में प्रशिक्षित किया गया है। इनकी तैनाती से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को सामरिक बढ़त मिलती है।
- ऑपरेशन ग्रीन हंट: एक बड़े पैमाने पर चलाया गया अर्धसैनिक अभियान, जिसका उद्देश्य नक्सल गढ़ों को ख़त्म करना था।
कानूनी और प्रशासनिक ढांचा:
· गैर-कानूनी गतिविधियाँ (निवारण) अधिनियम – UAPA: यह अधिनियम सरकार को नक्सली संगठनों पर प्रतिबंध लगाने और उनके सदस्यों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार देता है।
· वनाधिकार अधिनियम (2006): इस कानून के तहत आदिवासी समुदायों के पारंपरिक वन अधिकारों को मान्यता दी गई है, ताकि उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा सके और उनके अलगाव की भावना को कम किया जा सके।
· पेसा अधिनियम (1996): यह अधिनियम अनुसूचित क्षेत्रों की ग्राम सभाओं को विशेष अधिकार देकर उन्हें सशक्त बनाता है, ताकि वे स्थानीय संसाधनों और शासन पर अधिक नियंत्रण रख सकें।
अब तक की प्रगति:
गृह मंत्रालय और सीआरपीएफ के हाल के आँकड़े नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में सकारात्मक नतीजे दिखाते हैं:
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- नक्सल प्रभावित ज़िलों की संख्या 2014 में 126 से घटकर 2025 में सिर्फ 18 रह गई है।
- सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों की संख्या 2014 में 35 से घटकर अब केवल 6 हो गई है।
- हिंसक घटनाएँ 2014 में 1,080 से घटकर 2024 में सिर्फ 374 रह गईं।
- सुरक्षा बलों की शहादत 2014 में 287 से घटकर 2024 में केवल 19 रह गई।
- नक्सल प्रभावित ज़िलों की संख्या 2014 में 126 से घटकर 2025 में सिर्फ 18 रह गई है।
निष्कर्ष:
इन कुख्यात माओवादी नेताओं के मारे जाने से नक्सली आंदोलन की संगठनात्मक क्षमता और गतिविधियों पर गहरा असर पड़ेगा। हालाँकि, वर्तमान में देश के 18 ज़िले अब भी नक्सली हिंसा से प्रभावित हैं। सरकार ने स्पष्ट लक्ष्य रखा है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूर्णत: उन्मूलन किया जा सके और इसके लिए सुरक्षा अभियान, विकास योजनाएँ तथा प्रशासनिक सुधार एक साथ आगे बढ़ाए जा रहे हैं।