प्रसंग:
वित्त मंत्रालय ने वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के माध्यम से "एक राज्य, एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB)" के सिद्धांत पर आधारित 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण की घोषणा की है।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs) के बारे में:
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना 1975 में एक अध्यादेश के तहत की गई थी, जो ग्रामीण ऋण पर नरसिंहम समिति की सिफारिशों पर आधारित थी। इसके बाद 1976 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम पारित हुआ, जिससे इनकी गतिविधियों को औपचारिक रूप मिला।
• ये बैंक भारतीय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक होते हैं, जो विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय स्तर पर कार्य करते हैं। ये वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं, क्योंकि इनकी लगभग 92% शाखाएँ ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं।
इनका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है, विशेषकर निम्नलिखित वर्गों को वित्तीय सहायता प्रदान करके:
• लघु और सीमांत किसान
• कृषि श्रमिक
• कारीगर और छोटे उद्यमी
RRBs की स्वामित्व संरचना:
RRBs की पूंजी तीन प्रमुख भागीदारों के बीच इस अनुपात में वितरित होती है:
• 50% - केंद्र सरकार
• 35% - प्रायोजक या अनुसूचित बैंक
• 15% - राज्य सरकारें
एकीकरण के प्रयास और चरण:
RRBs के एकीकरण की प्रक्रिया 2004-05 में डॉ. व्यास समिति (2001) की सिफारिशों के बाद शुरू हुई थी। यह कई चरणों में किया गया है:
1. पहला चरण (2006 – 2010): RRBs की संख्या 196 से घटाकर 82 की गई।
2. दूसरा चरण (2013 – 2015): संख्या 82 से घटाकर 56 की गई।
3. तीसरा चरण (2019 – 2021): संख्या 56 से घटाकर 43 की गई।
4. चौथा चरण (2024): हालिया चरण में 12 राज्यों के 26 RRBs का विलय करके संख्या 43 से घटाकर 28 कर दी गई।
वर्तमान एकीकरण चरण (2024):
वित्त मंत्रालय ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) से परामर्श के बाद “एक राज्य, एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक” मॉडल लागू किया है। इसका उद्देश्य है:
• परिचालन लागत को कम करना
• पूंजी पर्याप्तता बढ़ाना
• बैंकिंग दक्षता में सुधार करना
आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में, कई RRBs का एक संस्थान में एकीकरण किया जा रहा है ताकि बेहतर शासन और सेवा वितरण सुनिश्चित किया जा सके।