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Blog / 12 Apr 2025

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का एकीकरण

प्रसंग:

वित्त मंत्रालय ने वित्तीय सेवा विभाग (DFS) के माध्यम से "एक राज्य, एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB)" के सिद्धांत पर आधारित 26 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के एकीकरण की घोषणा की है।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRBs) के बारे में:

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना 1975 में एक अध्यादेश के तहत की गई थी, जो ग्रामीण ऋण पर नरसिंहम समिति की सिफारिशों पर आधारित थी। इसके बाद 1976 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम पारित हुआ, जिससे इनकी गतिविधियों को औपचारिक रूप मिला।
ये बैंक भारतीय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक होते हैं, जो विभिन्न राज्यों के क्षेत्रीय स्तर पर कार्य करते हैं। ये वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाते हैं, क्योंकि इनकी लगभग 92% शाखाएँ ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में स्थित हैं।
इनका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है, विशेषकर निम्नलिखित वर्गों को वित्तीय सहायता प्रदान करके:
लघु और सीमांत किसान
कृषि श्रमिक
कारीगर और छोटे उद्यमी

RRBs की स्वामित्व संरचना:
RRBs की पूंजी तीन प्रमुख भागीदारों के बीच इस अनुपात में वितरित होती है:
• 50% - केंद्र सरकार
• 35% - प्रायोजक या अनुसूचित बैंक
• 15% - राज्य सरकारें

एकीकरण के प्रयास और चरण:
RRBs के एकीकरण की प्रक्रिया 2004-05 में डॉ. व्यास समिति (2001) की सिफारिशों के बाद शुरू हुई थी। यह कई चरणों में किया गया है:

1.     पहला चरण (2006 – 2010): RRBs की संख्या 196 से घटाकर 82 की गई।

2.     दूसरा चरण (2013 – 2015): संख्या 82 से घटाकर 56 की गई।

3.     तीसरा चरण (2019 – 2021): संख्या 56 से घटाकर 43 की गई।

4.     चौथा चरण (2024): हालिया चरण में 12 राज्यों के 26 RRBs का विलय करके संख्या 43 से घटाकर 28 कर दी गई।

वर्तमान एकीकरण चरण (2024):
वित्त मंत्रालय ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) से परामर्श के बाद एक राज्य, एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकमॉडल लागू किया है। इसका उद्देश्य है:
परिचालन लागत को कम करना
पूंजी पर्याप्तता बढ़ाना
बैंकिंग दक्षता में सुधार करना
आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में, कई RRBs का एक संस्थान में एकीकरण किया जा रहा है ताकि बेहतर शासन और सेवा वितरण सुनिश्चित किया जा सके।

एकीकरण का प्रभाव:
एकीकरण के बाद अब 28 RRBs बचे हैं, जो 26 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत हैं। ये बैंक 22,000 से अधिक शाखाओं के नेटवर्क के माध्यम से 700 से अधिक जिलों में सेवाएँ प्रदान करेंगे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक वित्तीय पहुँच सुनिश्चित होगी।
बेहतर पैमाने की दक्षता: बड़े RRBs संसाधनों का बेहतर प्रबंधन कर सकेंगे और उनकी वित्तीय स्थिरता बढ़ेगी।
लागत का युक्तिकरण: प्रशासनिक खर्चों में कमी से लाभप्रदता बढ़ेगी।
प्रौद्योगिकीय उन्नति: मजबूत बैंक डिजिटल बैंकिंग और आधुनिक वित्तीय सेवाओं में अधिक निवेश कर सकेंगे।
मजबूत वित्तीय समावेशन: एकीकृत RRBs ग्रामीण आबादी को बेहतर ऋण और वित्तीय सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम होंगे।

निष्कर्ष:
RRBs का यह संरचित एकीकरण भारत में ग्रामीण बैंकिंग को सशक्त बनाने की एक रणनीतिक पहल है। छोटे बैंकों को मिलाकर उन्हें बड़े और अधिक कुशल संस्थानों में बदलने से सरकार का उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना, बैंकिंग सेवाओं में सुधार करना और ग्रामीण आर्थिक विकास को सहयोग देना है।