संदर्भ:
हाल ही में शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) द्वारा जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) 2025 रिपोर्ट ने भारत में वायु प्रदूषण के कारण होने वाले गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक:
· शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति संस्थान (EPIC) द्वारा विकसित वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) PM2.5 वायु प्रदूषण के जीवन प्रत्याशा पर पड़ने वाले प्रभाव को मापता है।
· यह वायु प्रदूषण के संपर्क को संभावित जीवन हानि में रूपांतरित करता है, जिससे गंदी हवा की सार्वजनिक स्वास्थ्य लागत को समझने में सहायता मिलती है।
· AQLI का 2025 संस्करण वर्ष 2023 के वैश्विक प्रदूषण आंकड़ों पर आधारित है।
मुख्य निष्कर्ष:
· रिपोर्ट में वायु प्रदूषण को भारत के लिए सबसे गंभीर स्वास्थ्य खतरा बताया गया है, जिससे औसत जीवन प्रत्याशा 3.5 वर्ष कम हो जाती है।
· रिपोर्ट के अनुसार, भारत की पूरी 1.4 अरब जनसंख्या ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहाँ PM2.5 प्रदूषण का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के 5 µg/m³ के मानक से अधिक है। भारत के अपेक्षाकृत उदार 40 µg/m³ मानक के अनुसार भी, लगभग 46% लोग अब भी अस्वस्थ वायु गुणवत्ता के संपर्क में हैं।
· सिंधु-गंगा का मैदान देश का सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र बना हुआ है, जहाँ लगभग 544.4 मिलियन लोग अत्यधिक प्रदूषित वायु परिस्थितियों में निवास कर रहे हैं।
· दिल्ली-एनसीआर सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र है, जहाँ प्रदूषण की वर्तमान स्थिति बनी रहने पर औसत जीवन प्रत्याशा में 8.2 वर्षों की कमी आंकी गई है। बिहार (5.6 वर्ष), हरियाणा (5.3 वर्ष) और उत्तर प्रदेश (5 वर्ष) जैसे राज्य भी जीवन प्रत्याशा में उल्लेखनीय गिरावट दर्शाते हैं।
स्वास्थ्य और नीतिगत निहितार्थ:
· AQLI 2025 रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण कुपोषण, असुरक्षित जल और अपर्याप्त स्वच्छता जैसे कारकों की तुलना में अधिक गंभीर स्वास्थ्य हानि पहुंचाता है। रिपोर्ट तत्काल नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता पर बल देती है।
· भारत यदि अपने PM2.5 प्रदूषण मानकों को पूरी तरह लागू कर ले, तो औसत जीवन प्रत्याशा में लगभग 1.5 वर्ष की वृद्धि संभव है।
· यदि वायु प्रदूषण को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानकों तक सीमित किया जाए, तो अपेक्षाकृत स्वच्छ क्षेत्रों में भी जीवन प्रत्याशा में 9.4 महीने तक की वृद्धि हो सकती है।
क्षेत्रीय और वैश्विक रुझान:
• दक्षिण एशिया वर्ष 2023 में PM2.5 स्तर में 2.8% वृद्धि के साथ विश्व का सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्र बना रहा।
• चीन ने आक्रामक प्रदूषण नियंत्रण नीतियों के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति की है, भारत और बांग्लादेश अब भी वायु प्रदूषण से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
• वैश्विक स्तर पर PM2.5 वायु प्रदूषण अब मानव जीवन प्रत्याशा के लिए सबसे बड़ा बाहरी जोखिम बन गया है, जो धूम्रपान, कुपोषण और संक्रामक रोगों से भी अधिक नुकसानदेह है।
निष्कर्ष:
AQLI 2025 के निष्कर्ष एक गंभीर चेतावनी हैं। चूंकि लगभग आधी आबादी भारतीय मानकों के अनुसार भी असुरक्षित वायु में सांस ले रही है, इसलिए वायु गुणवत्ता में सुधार अब विकल्प नहीं, बल्कि अत्यावश्यक बन चुका है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) को सशक्त करना, स्वच्छ ऊर्जा में निवेश बढ़ाना, तथा निगरानी और प्रवर्तन तंत्र को मजबूत बनाना सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता की रक्षा के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए।