होम > Blog

Blog / 27 Sep 2025

अग्नि-प्राइम मिसाइल का परीक्षण

संदर्भ:

भारत ने विशेष रूप से तैयार किए गए रेल-आधारित मोबाइल लांचर से अग्नि-प्राइम (Agni Prime) मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया। यह पहला अवसर है जब इस मिसाइल को रेल प्लेटफॉर्म से दागा गया। इस परीक्षण ने भारत की सामरिक प्रतिरोधक क्षमता (Strategic Deterrence) को एक नई मजबूती और व्यापक  आयाम प्रदान किया है।

अग्नि-प्राइम (अग्नि-पी) के बारे में:

अग्नि-प्राइम (अग्नि-पी) भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित अगली पीढ़ी की कैनिस्टरयुक्त, ठोस ईंधन से संचालित मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (एमआरबीएम) है। यह दो चरणों वाली मिसाइल है, जिसे सड़क और रेल दोनों प्लेटफॉर्म से दागा जा सकता है। इसकी परिचालन सीमा 2,000 किलोमीटर तक है। यह अग्नि मिसाइल श्रृंखला का हिस्सा है, लेकिन इसमें कई आधुनिक और महत्वपूर्ण उन्नयन शामिल किए गए हैं।

मुख्य विशेषताएँ:

         प्रणोदन (Propulsion): इसमें ठोस ईंधन आधारित चरणों का उपयोग होता है, जिसमें मिश्रित प्रोपेलेंट और एल्युमिनियम आधारित उच्च ऊर्जा वाला ईंधन प्रयोग किया गया है। इससे मिसाइल हल्की होती है और ज्यादा भार उठाने की क्षमता रखती है।

         कैनिस्टर लॉन्च और गतिशीलता (Mobility): यह एक सीलबंद डबल कैनिस्टर प्रणाली से सुसज्जित है, जो सड़क और रेल दोनों से चल सकती है। इसे ठंडी स्थिति (Cold Start) से भी संचालित किया जा सकता है, जिससे यह दुश्मन के हमले से बचने में सक्षम होती है।

         मार्गदर्शन और नेविगेशन (Guidance & Navigation): इसमें दोहरी नेविगेशन प्रणाली है:

      • रिंग लेज़र जाइरोस्कोप आधारित जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली (RLG-INS)
      • माइक्रो जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली (MINS)
      • इसके अलावा इसे NaVIC और GPS से भी जोड़ा जा सकता है, जिससे सटीकता और बढ़ जाती है।

         गतिशील पुनःप्रवेश वाहन (Maneuverable Reentry Vehicle या MARV): इसमें चार डेल्टा फिन्स लगे हैं, जिससे यह वायुमंडल में प्रवेश करते समय रास्ता बदल सकती है। इससे यह दुश्मन की मिसाइल रक्षा प्रणाली को चकमा देने और ज्यादा सटीकता से वार करने में सक्षम होती है।

         संचालन तत्परता: स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (SFC) द्वारा किए गए दिन और रात दोनों समय के परीक्षणों ने यह साबित कर दिया है कि यह मिसाइल सड़क और रेल दोनों से वास्तविक परिस्थितियों में पूरी तरह से विश्वसनीय है।

अग्नि-पी (Agni-P) का वजन अग्नि-III की तुलना में आधा है। इसमें जंग-रोधी (Corrosion-free) मिश्रित सामग्री का प्रयोग किया गया है। इसे जल्दी तैनात करने और सुरक्षित रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता (Nuclear Deterrence Posture) को और मजबूत बनाता है।

Agni‑Prime Fired from Train

रेल आधारित लॉन्च की सामरिक महत्ता:

·        बढ़ी हुई सुरक्षा और प्रतिरोधक क्षमता (Enhanced Survivability & Deterrence): रेल-आधारित मिसाइल प्रणाली का अर्थ है कि इन्हें देशभर की रेल लाइनों पर बिखेरकर, छिपाकर और लगातार स्थानांतरित किया जा सकता है। इससे दुश्मन के लिए इन्हें ढूँढ़ना और नष्ट करना बेहद कठिन हो जाता है। यह भारत की "सेकेंड स्ट्राइक कैपेबिलिटी" (पहले हमले के बाद भी जवाबी हमला करने की क्षमता) को और मजबूत बनाता है।

·        लचीलापन और त्वरित तैनाती (Flexibility & Rapid Deployment): रेल नेटवर्क के माध्यम से मिसाइल लांचर को दूरदराज़ और कठिन इलाकों तक आसानी से पहुँचाया जा सकता है। इसके लिए अलग से सड़कों या स्थायी लांच साइट की आवश्यकता नहीं पड़ती। इससे संचालन में गति और लचीलापन दोनों बढ़ते हैं।

·        कम दृश्यता और छिपाव : रेल-आधारित प्रणालियाँ सामान्य ट्रेनों के बीच छिपकर या सुरंगों में सुरक्षित रह सकती हैं। इससे उपग्रह या अन्य निगरानी प्रणालियों के लिए इन्हें पहचानना और भी कठिन हो जाता है। इस प्रकार की अप्रत्याशितता अपने आप में दुश्मन के लिए एक बड़ा मनोवैज्ञानिक दबाव पैदा करती है।

·        विशिष्ट देशों की सूची में भारत की मौजूदगी: इस परीक्षण के साथ भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास रेल-आधारित मिसाइल लांच क्षमता मौजूद है। इस श्रेणी में रूस, अमेरिका और चीन जैसे बड़े देश पहले से शामिल हैं। यह उपलब्धि भारत की तकनीकी क्षमता और सामरिक परिपक्वता को दर्शाती है।

निहितार्थ:

  • भारत की प्रतिरोधक क्षमता अब और अधिक सुदृढ़ हो गई है। दुश्मन के लिए मिसाइल की तैनाती का पता लगाना या उसे पहले ही नष्ट कर पाना लगभग असंभव हो गया है।
  • स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (SFC) को शांति काल और युद्धकाल दोनों ही स्थितियों में तैनाती और तैयारी के व्यापक विकल्प प्राप्त होते हैं।
  • यह परीक्षण दर्शाता है कि डीआरडीओ ने गतिशीलता (Mobility), उन्नत मिसाइल तकनीक और सामरिक प्रणालियोंजैसे कैनिस्टरयुक्त ठोस ईंधन और सड़क-रेल दोनों से दागने की क्षमताका सफल और प्रभावी संयोजन करने में महारत हासिल कर ली है।

निष्कर्ष:

रेल-आधारित अग्नि-पी का सफल परीक्षण भारत की सामरिक मिसाइल क्षमता को और अधिक सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। 2,000 किमी की मारक क्षमता, ठोस ईंधन, कैनिस्टराइजेशन और रेल से प्रक्षेपण की क्षमता इसे अत्यधिक घातक और विश्वसनीय बनाती है। यह न केवल भारत की सेकेंड स्ट्राइक क्षमता को मजबूत करता है, बल्कि देश की प्रतिरोधक नीति और रणनीतिक स्वायत्तता को भी नया आयाम प्रदान करता है। इसके दूरगामी क्षेत्रीय प्रभाव भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं।