संदर्भ:
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) को 6 महीने के लिए बढ़ाने की घोषणा की है। यह विस्तार 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा। इसका उद्देश्य कानून-व्यवस्था बनाए रखना और चल रही उग्रवादी गतिविधियों से निपटना है।
विस्तार का अर्थ:
· मणिपुर के अधिकांश हिस्सों को धारा 3 के तहत "अशांत क्षेत्र" घोषित किया गया है। हालांकि, पाँच जिलों “इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थौबल, विष्णुपुर और काकचिंग" के कुछ पुलिस थाना क्षेत्रों को इसमें शामिल नहीं किया गया है।
· नागालैंड में आठ जिले पूर्ण रूप से तथा पाँच अन्य जिलों के कुल 21 पुलिस थाना क्षेत्र "अशांत क्षेत्र" घोषित किए गए हैं।
· अरुणाचल प्रदेश में तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिले, साथ ही नामसाई जिले के कुछ पुलिस थाना क्षेत्र "अशांत क्षेत्र" की श्रेणी में रखे गए हैं।
इसके प्रभाव:
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- सुरक्षा बल कुछ परिस्थितियों में बिना वारंट तलाशी और गिरफ्तारी कर सकते हैं।
- ज़रूरत पड़ने पर (सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने या आतंकवाद विरोधी अभियानों में) घातक बल का प्रयोग किया जा सकता है।
- सुरक्षा बलों को कानूनी संरक्षण / प्रक्रियात्मक छूट मिलती है, यानी उनके खिलाफ कार्रवाई करने से पहले केंद्र सरकार की अनुमति ज़रूरी होती है।
- सुरक्षा बल कुछ परिस्थितियों में बिना वारंट तलाशी और गिरफ्तारी कर सकते हैं।
सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम, 1958 के बारे में:
अफस्पा (AFSPA) भारत का एक विशेष कानून है, जिसे संसद ने 11 सितंबर 1958 को पारित किया था। प्रारंभ में इसका नाम "सशस्त्र बल (असम और मणिपुर) विशेष अधिकार अधिनियम, 1958" था। बाद में इसके प्रावधानों का दायरा अन्य राज्यों और क्षेत्रों तक बढ़ाया गया और इसका नाम बदलकर "सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम, 1958" कर दिया गया।
उद्देश्य:
इस अधिनियम का उद्देश्य सशस्त्र बलों को उन क्षेत्रों में अतिरिक्त अधिकार देना है, जहाँ नागरिक प्रशासन अकेले कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सक्षम नहीं होता। यह विशेष रूप से उन इलाकों के लिए लागू किया जाता है, जहाँ उग्रवाद, विद्रोह, आंतरिक संघर्ष या गंभीर अशांति की स्थिति होती है।
अफस्पा (AFSPA) की प्रमुख धाराएँ और प्रावधान:
प्रावधान |
विवरण |
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अशांत क्षेत्र की घोषणा |
धारा 3 के तहत राज्यपाल या केंद्र सरकार किसी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के हिस्से को “अशांत क्षेत्र” घोषित कर सकती है। इसके बाद उस क्षेत्र में एएफएसपीए लागू हो जाता है। |
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बल का प्रयोग (धारा 4) |
अशांत क्षेत्र” में तैनात सशस्त्र बलकर्मी बल प्रयोग कर सकते हैं, और आवश्यकता पड़ने पर प्राणघातक बल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह अधिकार तब लागू होता है जब कोई व्यक्ति प्रतिबंधित आदेश का उल्लंघन करे, हथियार रखे या प्रतिबंधित सभा में शामिल हो। हालाँकि गोली चलाने से पहले, जहाँ संभव हो, चेतावनी देना अनिवार्य है। |
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बिना वारंट गिरफ्तारी और तलाशी |
इस क़ानून के तहत बलकर्मी “तर्कसम्मत संदेह” होने पर किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकते हैं। वे हथियार या अन्य सामान बरामद करने के लिए बिना वारंट किसी भी स्थान पर प्रवेश कर तलाशी भी कर सकते हैं।
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कानूनी संरक्षण / अनुमति की ज़रूरत |
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निष्कर्ष:
मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में एएफएसपीए को छह महीने के लिए बढ़ाने का अर्थ है कि सरकार अब भी इन क्षेत्रों की सुरक्षा स्थिति को संवेदनशील मानती है और उसे संभालने के लिए विशेष उपाय आवश्यक समझती है। यह कदम हिंसा की घटनाओं को नियंत्रित करने और क़ानून-व्यवस्था को मजबूत करने में सहायक हो सकता है। हालांकि, इसके साथ मानवाधिकार उल्लंघन की आशंकाएँ, स्थानीय समाज में अलगाव की भावना और राजनीतिक विरोध जैसी चुनौतियाँ भी मौजूद रहती हैं। इसलिए इस कानून का उपयोग अत्यंत सावधानी, सतत निगरानी और स्थानीय समुदायों से सक्रिय संवाद के साथ किया जाना चाहिए।