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Blog / 04 Sep 2025

आदि वाणी

संदर्भ:

हाल ही में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने जनजातीय भाषाओं के लिए भारत का पहला एआई-आधारित अनुवादक "आदि वाणी" का बीटा संस्करण लॉन्च किया है। यह पहल लुप्तप्राय जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और जनजातीय समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

आदि वाणी के बारे में:

·        आदि वाणी एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित अनुवाद उपकरण है, जो हिंदी/अंग्रेज़ी और जनजातीय भाषाओं के बीच पाठ और भाषण का अनुवाद करने में सक्षम है।

·        इसका विकास आईआईटी दिल्ली, बिट्स पिलानी, आईआईआईटी हैदराबाद और आईआईआईटी रायपुर जैसे प्रमुख तकनीकी संस्थानों द्वारा, विभिन्न राज्यों के जनजातीय अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से किया जा रहा है।

·        बीटा संस्करण किसी सॉफ़्टवेयर या एप्लिकेशन का पूर्व-रिलीज़ संस्करण होता है, जिसे अंतिम रूप से लॉन्च करने से पहले सीमित उपयोगकर्ताओं के लिए परीक्षण और सुझाव जुटाने हेतु जारी किया जाता है।

·        'आदि कर्मयोगी' पहल के अंतर्गत, इस ऐप का देश भर के आदिवासी जिलों में क्षेत्रीय परीक्षण किया जाएगा। इस पहल का लक्ष्य 550 जिलों के 1 लाख आदिवासी गांवों में 20 लाख स्वयंसेवकों और सामुदायिक नेताओं को प्रशिक्षित करना है।

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आदि वाणी की मुख्य विशेषताएँ:

·        यह हिंदी/अंग्रेज़ी और जनजातीय भाषाओं के बीच पाठ (Text) और भाषण (Speech) का अनुवाद करने में सक्षम है।

·        यह टेक्स्ट-टू-स्पीच, स्पीच-टू-टेक्स्ट और स्पीच-टू-स्पीच जैसी सुविधाओं का समर्थन करता है।

·        यह छात्रों को भाषा सीखने के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करता है, जिससे मातृभाषा आधारित शिक्षा को बढ़ावा मिलता है।

·        यह एआई (AI) और ओसीआर (OCR) तकनीकों की सहायता से पारंपरिक जनजातीय पांडुलिपियों और पुस्तकों का डिजिटलीकरण करता है।

·        यह आदिवासी भाषाओं में प्रधानमंत्री के भाषणों, स्वास्थ्य संबंधी संदेशों और सरकारी योजनाओं की जानकारी को उपशीर्षकों (Subtitles) के माध्यम से उपलब्ध कराता है।

बीटा संस्करण में शामिल भाषाएँ:

संथाली (ओडिशा)
भीली (मध्य प्रदेश)
मुंडारी (झारखंड)
गोंडी (छत्तीसगढ़)
कुई और गारो (जल्द शामिल की जाएंगी)

आदि वाणी का महत्व:

भारत में 461 से अधिक आदिवासी भाषाएँ बोली जाती हैं, जिनमें से अनेक विलुप्ति की कगार पर हैं। यदि समय रहते ठोस प्रयास नहीं किए गए, तो कई भाषाएँ पूरी तरह लुप्त हो सकती हैं। ऐसे में "आदि वाणी" पहल निम्नलिखित क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान देती है:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के माध्यम से आदिवासी भाषाओं के संरक्षण और दस्तावेज़ीकरण में सहायता।
आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को सुलभ और प्रभावी बनाना।
नागरिकों को उनकी मातृभाषा में सरकारी योजनाओं, अधिकारों और सूचनाओं की समझ प्रदान करना।
दूरस्थ और वंचित समुदायों में समावेशन और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना।
मौखिक परंपराओं, लोककथाओं और सांस्कृतिक धरोहरों को डिजिटल रूप में संरक्षित करना।

भारत की आदिवासी भाषाई विविधता:

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में विविध आदिवासी भाषाओं का व्यापक वितरण है, जिनमें प्रमुख भाषाएँ निम्नलिखित हैं

भीली 1.04 करोड़ से ज़्यादा लोगों द्वारा बोली जाती है (मुख्यतः मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात में)

संथाली - 73.68 लाख (झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, असम)

गोंडी - 29.84 लाख (छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र)

मुंडारी - 11.28 लाख (झारखंड, ओडिशा)

कुई - 9.41 लाख (ओडिशा)

गारो - 11.45 लाख (मेघालय, असम)

निष्कर्ष:

आदि वाणी केवल एक अनुवादक नहीं, बल्कि एक समावेशी डिजिटल पहल है, जो आदिवासी नागरिकों को उनकी भाषाओं में शिक्षा, सरकारी सेवाओं और जानकारी तक पहुँच प्रदान करती है। यह डिजिटल इंडिया, एक भारत श्रेष्ठ भारत, प्रधानमंत्री जनमन, आदि कर्मयोगी और ग्राम उत्कर्ष जैसे अभियानों का समर्थन करती है। एआई के माध्यम से यह पहल भाषाई संरक्षण, सामुदायिक सशक्तिकरण और सुशासन को सुदृढ़ करते हुए भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर करती है।