संदर्भ:
हाल ही में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के तहत औद्योगिक क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने हेतु एडीईटीआई योजना की शुरुआत की।
एडीईटीआईई योजना के बारे में:
एडीईटीआई का पूरा नाम- "उद्योगों और प्रतिष्ठानों में ऊर्जा दक्ष तकनीकों की तैनाती में सहायता" (Assistance in Deploying Energy Efficient Technologies in Industries and Establishments) है।
यह एक राष्ट्रीय योजना है जिसे विद्युत मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य एमएसएमई को ऊर्जा-कुशल तकनीकों को अपनाने में सहायता प्रदान करना है, ताकि ऊर्जा की खपत में कमी लाई जा सके, कार्बन उत्सर्जन घटाया जा सके, और उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में वृद्धि हो।
एडीईटीआई योजना की प्रमुख विशेषताएँ:
· कुल बजट: ₹1,000 करोड़
· ब्याज में छूट:
o सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए 5%
o मध्यम उद्यमों के लिए 3%
· तकनीकी और वित्तीय सहायता का वितरण:
o ब्याज अनुदान हेतु ₹875 करोड़
o ऊर्जा ऑडिट के लिए ₹50 करोड़
o तकनीक लागू करने के लिए ₹75 करोड़
· शामिल क्षेत्र: यह योजना 14 ऊर्जा-गहन औद्योगिक क्षेत्रों को कवर करती है जैसे कि वस्त्र उद्योग, स्टील री-रोलिंग, खाद्य प्रसंस्करण आदि।
कार्यान्वयन अवधि और लक्ष्य:
· समय-सीमा: वित्त वर्ष 2025-26 से 2027-28 तक (कुल 3 वर्ष)
· दो चरणों में क्रियान्वयन:
o पहला चरण: 60 औद्योगिक क्लस्टर
o दूसरा चरण: 100 अतिरिक्त क्लस्टर
· लक्षित निवेश: ₹9,000 करोड़ (जिसमें ₹6,750 करोड़ एमएसएमई ऋण के रूप में शामिल है)
· योजना का उद्देश्य 14 औद्योगिक क्षेत्रों और 160 क्लस्टरों में फैले एमएसएमई को शामिल कर उन्हें ऊर्जा-कुशल विकास की दिशा में प्रेरित करना है।
योजना का प्रभाव:
· ऊर्जा की बचत: एमएसएमई 30% से 50% तक ऊर्जा खपत में कमी ला सकेंगे, जिससे प्रति उत्पाद ऊर्जा लागत घटेगी।
· निवेश प्रोत्साहन: योजना से ₹9,000 करोड़ का कुल निवेश आकर्षित होने की संभावना है, जिसमें ₹6,750 करोड़ एमएसएमई द्वारा लिया जाने वाला संभावित ऋण है।
· निम्न-कार्बन विकास: यह योजना भारत को एक पर्यावरण अनुकूल, कम-कार्बन अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ाने में मदद करेगी।
एमएसएमई के बारे में:
भारत का सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है।
यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 30% का योगदान, 10 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार, और निर्यात में 49% हिस्सेदारी प्रदान करता है।
आर्थिक दृष्टि से इसका प्रभाव इतना व्यापक है कि यह थाईलैंड या स्वीडन जैसे संपूर्ण देशों की अर्थव्यवस्था से भी बड़ा है। देशभर में एमएसएमई की लगभग 6.34 करोड़ इकाइयाँ कार्यरत हैं।
निष्कर्ष:
एडीईटीआई योजना एमएसएमई क्षेत्र को ऊर्जा दक्षता, स्थायित्व और प्रतिस्पर्धात्मकता की ओर ले जाने में सक्षम है। यदि इसमें दिए गए प्रोत्साहन और सहायता का सही तरीके से उपयोग किया जाए, तो यह योजना भारत को हरित और टिकाऊ औद्योगिक विकास की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ा सकती है।