संदर्भ:
ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसिस (GRFC) 2024 ने वैश्विक भूख की स्थिति का और अधिक बिगड़ने का खुलासा किया है, जिसमें 53 देशों और क्षेत्रों में 29.5 करोड़ से अधिक लोग तीव्र खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।
रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
- 53 देशों और क्षेत्रों में 29.5 करोड़ से अधिक लोग गंभीर भूख का सामना कर रहे हैं, जो 2023 की तुलना में 1.37 करोड़ की वृद्धि है।
- प्रसार: यह मूल्यांकित जनसंख्या का लगभग 23 प्रतिशत है; जो लगातार पांचवें वर्ष 20 प्रतिशत की सीमा से ऊपर है।
- विनाशकारी भूख (IPC/CH चरण 5): यह दोगुनी होकर 19 लाख लोगों तक पहुँच गई है जो 2016 में ट्रैकिंग शुरू होने के बाद से सबसे अधिक है।
- बाल कुपोषण: पाँच वर्ष से कम उम्र के लगभग 3.8 करोड़ बच्चे तीव्र रूप से कुपोषित पाए गए, जिनमें ग़ाज़ा पट्टी, माली, सूडान और यमन जैसे क्षेत्रों में “बेहद उच्च” दरें दर्ज की गईं।
- वित्तीय कमी और परिदृश्य:
- 2025 में खाद्य और पोषण आपात स्थितियों के लिए फंडिंग में 45% तक की गिरावट आने की आशंका है, GRFC के इतिहास में यह अब तक की सबसे बड़ी कटौती होगी।
- कुछ प्रमुख दाता देश अचानक से अपना समर्थन बंद करने की योजना बना रहे हैं। इससे अफगानिस्तान, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इथियोपिया, हैती, दक्षिण सूडान, सूडान और यमन जैसे देशों में महत्वपूर्ण सहायता कार्यक्रम खतरे में आ सकते हैं।
- इन फंडिंग में कटौतियों के कारण कम से कम 1.4 करोड़ बच्चों के लिए पोषण सेवाएं बाधित हो सकती हैं, जिससे कुपोषण और बाल मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है।
संकट के प्रमुख कारण:
1. सशस्त्र संघर्ष: यह प्रमुख कारण है, जिसने 20 देशों में 14 करोड़ लोगों को प्रभावित किया। सूडान में अकाल की पुष्टि हुई और ग़ाज़ा पट्टी, दक्षिण सूडान, हैती और माली में विनाशकारी भूख की स्थिति बनी हुई है।
2. बाध्य विस्थापन: लगभग 9.5 करोड़ जबरन विस्थापित लोग (आंतरिक विस्थापित, शरणार्थी, शरण मांगने वाले) ऐसे देशों में रह रहे हैं जो पहले से ही खाद्य संकट झेल रहे हैं, जैसे कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, कोलंबिया, सूडान और सीरिया।
3. जलवायु आपदाएं: एल नीनो से प्रेरित सूखा और बाढ़ ने 18 देशों में 9.6 करोड़ लोगों को संकट की स्थिति में धकेल दिया। विशेष रूप से दक्षिणी अफ्रीका में अत्यधिक उच्च तापमान और व्यापक बाढ़ से फसलें खराब हुईं।
4. आर्थिक झटके: मुद्रास्फीति और मुद्रा अवमूल्यन ने 15 देशों में 5.94 करोड़ लोगों को भूख की ओर धकेला, ये स्तर COVID-19 महामारी से पहले की तुलना में लगभग दोगुने हैं, भले ही साल-दर-साल इसमें थोड़ी गिरावट आई हो। अफगानिस्तान, दक्षिण सूडान, सीरियाई अरब गणराज्य और यमन सबसे अधिक प्रभावित हुए।
ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसिस (GRFC) 2024 के बारे में:
ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसिस (GRFC) 2024 हर साल ग्लोबल नेटवर्क अगेंस्ट फूड क्राइसिस (GNAFC) द्वारा प्रकाशित की जाती है, जिसमें फूड सिक्योरिटी इंफॉर्मेशन नेटवर्क का विश्लेषण शामिल होता है।
- ग्लोबल नेटवर्क अगेंस्ट फूड क्राइसिस (GNAFC) एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है जिसमें संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियाँ शामिल हैं, जो मिलकर खाद्य संकट से निपटने का काम करती हैं।
रणनीतिक सिफारिशें:
- प्रमाण आधारित और प्रभाव केंद्रित हस्तक्षेप; सिद्ध मॉडलों का विस्तार और मापनीय परिणामों को प्राथमिकता।
- संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, सरकारों और NGO के बीच संसाधनों का एकीकरण ताकि अधिकतम प्रभाव सुनिश्चित हो सके।
- स्थानीयकरण: स्थानीय खाद्य प्रणालियों को मजबूत करना ताकि चुनौतियों के प्रति उनकी सहनशीलता बढ़े।
- एकीकृत पोषण सेवाएं जो तत्काल जरूरतों और दीर्घकालिक कमजोरियों दोनों को संबोधित करें।
- समुदाय की भागीदारी: प्रभावित आबादी को उत्तरदायित्व की योजना और क्रियान्वयन के केंद्र में रखना।
निष्कर्ष:
2024 की ग्लोबल रिपोर्ट ऑन फूड क्राइसिस यह दर्शाती है कि भूख की समस्या तीव्र रूप से बढ़ रही है, जिसका कारण आपस में जुड़े कई संकट हैं — सशस्त्र संघर्ष, विस्थापन, चरम मौसम और आर्थिक अस्थिरता। भूख मुक्त भविष्य के लिए मिलकर कार्य करना अत्यंत आवश्यक है।