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Blog / 13 Oct 2025

प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन  का शुभारंभ

सन्दर्भ:

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो प्रमुख कृषि योजनाएँ प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PMDDKY) और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन  (Mission for Aatmanirbharta in Pulses) का शुभारंभ किया। इन दोनों योजनाओं का कुल वित्तीय प्रावधान ₹35,440 करोड़ है। इन योजनाओं का औपचारिक उद्घाटन नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) में आयोजित एक विशेष कृषि कार्यक्रम में किया गया।

प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PMDDKY) के बारे में:

प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (PMDDKY) एक केंद्र अनुमोदित, लक्षित कृषि कार्यक्रम है जो छह वर्षों (2025–26 से शुरू होकर) तक चलेगा और देश के 100 जिलों को कवर करेगा। इसका उद्देश्य पिछड़े कृषि क्षेत्रों का आधुनिकीकरण करना है जिसमें कई योजनाओं का एकीकरण, बुनियादी ढांचे को मजबूत करना, उत्पादकता में वृद्धि, और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना शामिल है।

मुख्य विशेषताएँ एवं घटक:

घटक

विवरण / लक्षित हस्तक्षेप

वित्तीय प्रावधान एवं अवधि

योजना छह वर्षों तक चलेगी, जिसकी वार्षिक राशि ₹24,000 करोड़ होगी।

मौजूदा योजनाओं का एकीकरण

इस योजना के तहत 11 मंत्रालयों की 36 केंद्रीय योजनाओं को राज्यों और स्थानीय प्रयासों के साथ जोड़ा जाएगा ताकि बेहतर समन्वय हो सके।

फसल विविधीकरण एवं स्थिरता

मोनो-क्रॉपिंग (एक ही फसल पर निर्भरता) से दूर जाने, स्थायी कृषि पद्धतियाँ अपनाने, मिश्रित खेती, संतुलित उर्वरक उपयोग और लचीली फसल प्रणालियाँ विकसित करने को प्रोत्साहन दिया जाएगा।

ऋण तक पहुँच

कम प्रदर्शन करने वाले जिलों के किसानों को अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रकार के ऋण की सहज उपलब्धता कराई जाएगी।

जिला योजना एवं प्रशासन

प्रत्येक जिले में जिला धन-धान्य समितिका गठन किया जाएगा, जिसमें प्रगतिशील किसान, स्थानीय अधिकारी आदि शामिल होंगे। यह समिति जिला कृषि एवं संबद्ध गतिविधि योजनातैयार करेगी।

लाभार्थी

अनुमान है कि यह योजना 100 जिलों में लगभग 1.7 करोड़ किसानों को लाभान्वित करेगी।

 

PM Dhan-Dhaanya Krishi Yojana (PMDDKY): Boosting Agricultural Self-Reliance  - Rau's IAS

मिशन फॉर आत्मनिर्भरता इन पल्सेस के बारे में:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मिशन फॉर आत्मनिर्भरता इन पल्सेसको 2025–26 से 2030–31 की अवधि के लिए स्वीकृति दी है, जिसकी कुल राशि ₹11,440 करोड़ है। इस मिशन का उद्देश्य दालों में आत्मनिर्भरता (Aatmanirbharta) हासिल करना है जिसमें घरेलू उत्पादन को बढ़ाना, मूल्य श्रृंखला को सशक्त करना, और आयात पर निर्भरता को कम करना शामिल है।

उद्देश्य एवं लक्ष्य:

सूचकांक

लक्ष्य (2030–31 तक)

दाल उत्पादन

350 लाख टन (35 मिलियन टन)

दालों का क्षेत्रफल

310 लाख हेक्टेयर (31 मिलियन हेक्टेयर)

अतिरिक्त क्षेत्र विस्तार

35 लाख हेक्टेयर, विशेषकर धान की परती भूमि (rice fallows) और अन्य विविध भूमि में

क्रय (Procurement)

चार वर्षों तक तूर, उड़द और मसूर की 100% खरीद मूल्य समर्थन योजना (PSS) / प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) के तहत NAFED और NCCF जैसी एजेंसियों के माध्यम से की जाएगी।

इसके अतिरिक्त, यह मिशन लगभग 2 करोड़ किसानों को बेहतर बीज उपलब्धता, फसल कटाई के बाद की सुविधाओं, सुनिश्चित खरीद और अन्य सहायताओं के माध्यम से लाभ पहुँचाने का लक्ष्य रखता है।

निष्कर्ष:

ये दोनों योजनाएँ हाल के समय में भारतीय कृषि क्षेत्र में सबसे बड़े हस्तक्षेपों में से हैं। पिछड़े जिलों पर ध्यान केंद्रित करके और दालों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देकर सरकार का लक्ष्य क्षेत्रीय असमानताओं को कम करना, पोषण सुरक्षा को मजबूत करना और किसानों को वैश्विक वस्तु बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाना है। यदि इन योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो इनका प्रभाव परिवर्तनकारी हो सकता है किसानों की आय में वृद्धि, आयात बोझ में कमी, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती, और भारत की कृषि के भविष्य के लिए एक नए दृष्टिकोण की स्थापना।