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Blog / 18 Jun 2025

लॉन्ग कोविड पर एक वैश्विक आनुवंशिक अध्ययन

संदर्भ:
हाल ही में 'नेचर जेनेटिक्स' पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला है कि लॉन्ग कोविड में जेनेटिक्स यानी आनुवंशिकी की क्या भूमिका हो सकती है। इस अध्ययन में जीनोम-वाइड एसोसिएशन स्टडी (जीडब्ल्यूएएस) नामक शोध पद्धति का उपयोग किया गया, जो कई लोगों के डीएनए को स्कैन करके छोटे-छोटे परिवर्तनों (जिन्हें एसएनपी कहा जाता है) का पता लगाता है, जो विशिष्ट रोग वाले लोगों में अधिक बार दिखाई देते हैं।

इस अध्ययन में 19 देशों के 33 अनुसंधान समूहों से डेटा लिया गया।
इसमें 6,450 लॉन्ग कोविड वाले लोग और 1 मिलियन से अधिक बिना लॉन्ग कोविड वाले लोग शामिल थे।
एक फॉलो-अप अध्ययन में 9,500 लॉन्ग कोविड मामलों और 800,000 नियंत्रण समूहों पर निष्कर्षों की दोबारा जांच की गई।

मुख्य खोज: FOXP4 जीन
अध्ययन में यह पाया गया कि जिन लोगों में FOXP4 जीन के पास एक विशेष आनुवंशिक बदलाव था, उनमें लॉन्ग कोविड होने की संभावना 63% अधिक थी। इस बदलाव को rs9367106 के नाम से जाना जाता है।

• FOXP4 फेफड़ों में सक्रिय होता है, खासकर टाइप-2 अल्वेओलर कोशिकाओं मेंजो फेफड़ों की मरम्मत करती हैं और संक्रमण के विरुद्ध लड़ती हैं।
जिन लोगों में यह बदलाव पाया गया, उनके फेफड़ों में FOXP4 की सक्रियता अधिक थी।
यहां तक कि जो लोग कोविड के दौरान अस्पताल में नहीं भर्ती हुए थे, उनमें भी अगर यह आनुवंशिक बदलाव था, तो लॉन्ग कोविड का जोखिम अधिक था।
यह बदलाव पूर्वी एशियाई लोगों में 36% पाया गया, जबकि यूरोपीय लोगों में केवल 1.6%—यह दर्शाता है कि आनुवंशिक जोखिम वंशानुसार अलग-अलग होता है।

आगे की जांच में यह पाया गया कि जिन लोगों में संक्रमण के बाद FOXP4 का स्तर थोड़ा अधिक था, उनमें लॉन्ग कोविड होने की संभावना दोगुनी से भी अधिक थी।

एक अंतिम विधि जिसे को-लोकेलाइजेशन एनालिसिस कहा जाता है, से यह 91% संभावना पाई गई कि यह आनुवंशिक बदलाव FOXP4 गतिविधि और लॉन्ग कोविड दोनों को प्रभावित करता है।

लॉन्ग कोविड क्या है?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, लॉन्ग कोविड वे लक्षण हैं जो कोविड संक्रमण के तीन महीनों के भीतर शुरू होते हैं और कम से कम दो महीनों तक बिना किसी अन्य ज्ञात कारण के बने रहते हैं। ये लक्षण सामान्यतः निम्नलिखित होते हैं:
लगातार थकान या कमजोरी
सांस लेने में तकलीफ
ब्रेन फॉग या याददाश्त में कमी

भारत के लिए महत्व
भारत में कोविड-19 की कई लहरें देखी गई हैं और अब भी लॉन्ग कोविड के मामलों की व्यापक जागरूकता या निगरानी नहीं है। भारत में किए गए कुछ अध्ययनों के अनुसार लॉन्ग कोविड के लक्षण:
अलग-अलग अध्ययनों में 45% से 80% मरीजों में पाए गए
अस्पताल में भर्ती 16.5% मरीजों में संक्रमण के एक साल बाद भी थकावट और सांस की तकलीफ जैसे लक्षण बने रहे

हालांकि, इस वैश्विक अध्ययन में दक्षिण एशियाई डेटा बहुत ही सीमित था। यह एक बड़ी कमी है, क्योंकि:
भारत में उच्च वायु प्रदूषण, कम पहचानी गई फेफड़ों की बीमारियाँ, और असमान स्वास्थ्य सेवाएं जैसी विशिष्ट स्वास्थ्य चुनौतियाँ हैं।
भारतीय आबादी में FOXP4 जीन बदलाव का क्या प्रभाव है, यह अभी तक अज्ञात है।

भारत की जीनोमिक प्रगति
भारत की जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट (GenomeIndia Project) ने देश के विभिन्न क्षेत्रों के 10,000 लोगों का आनुवंशिक डेटा एकत्र किया है। भले ही यह डेटा किसी बीमारी पर केंद्रित नहीं है, लेकिन यह एक शुरुआती कदम है जिससे भारतीयों में स्वास्थ्य पर जीन का प्रभाव समझा जा सकता है।

यह डेटाबेस भविष्य में भारत में लॉन्ग कोविड जैसी बीमारियों पर अध्ययन को समर्थन दे सकता है, जिससे डॉक्टर और शोधकर्ता अधिक अनुकूलित इलाज और देखभाल मॉडल बना सकें।

निष्कर्ष
इस वैश्विक अध्ययन ने FOXP4 जीन के माध्यम से लॉन्ग कोविड और आनुवंशिकी के बीच संबंध स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। लेकिन भारत जैसे देशों के लिए ज़रूरी है कि वे स्थानीय अनुसंधान करें ताकि यह समझा जा सके कि ये निष्कर्ष भारतीय आबादी पर कैसे लागू होते हैं।