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Blog / 31 Oct 2025

नई परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइल बुरेवेस्टनिक

संदर्भ:

रूस ने हाल ही में नई परमाणु-संचालित क्रूज़ मिसाइल बुरेवेस्टनिक” (Burevestnik) के सफल परीक्षण की घोषणा की है। रूस का दावा है कि यह असीमित मारक क्षमता” (Virtually Unlimited Range) की मिसाइल है। यह मिसाइल लंबे समय तक हवा में रह सकती है, बहुत कम ऊँचाई पर उड़ान भर सकती है और अप्रत्याशित दिशा में अपना मार्ग बदलने में सक्षम है, जिससे यह मौजूदा मिसाइल रक्षा प्रणालियों (Missile Defence Systems) को बायपास करने में सक्षम है।

मुख्य विशेषताएँ:

1. प्रणोदन (Propulsion) और रेंज (Range):

         इस मिसाइल में एक लघु परमाणु रिएक्टर लगा है, जो हवा को अत्यधिक गर्म कर थ्रस्ट (गति बल) उत्पन्न करता है। यह प्रणाली पारंपरिक जेट या रॉकेट इंजनों से बिल्कुल भिन्न है।

         इसकी सैद्धांतिक रेंज लगभग 20,000 किलोमीटर बताई गई है, जिससे रूस विश्व के किसी भी हिस्से तक प्रहार करने की क्षमता प्राप्त कर सकता है।

2. उड़ान प्रोफ़ाइल और पता लगाने की क्षमता:

         यह मिसाइल बहुत कम ऊँचाई (लगभग 50–100 मीटर) पर उड़ान भरने के लिए डिज़ाइन की गई है, और इसका मार्ग अनियमित होता है, जिससे रडार और वायु रक्षा प्रणालियाँ इसे आसानी से ट्रैक नहीं कर पातीं।

         यह भूमि-आधारित मिसाइल है, अर्थात इसे न तो पनडुब्बी से दागा जाता है और न ही विमान से।

Clash Report on X

रणनीतिक महत्व:

1. प्रतिरोध पर प्रभाव

·         यदि यह मिसाइल वास्तव में संचालन के लिए तैयार होती है, तो यह परमाणु प्रतिरोध (Nuclear Deterrence) की पूरी गणना बदल सकती है।

·         इतनी लंबी दूरी और अप्रत्याशित दिशा से हमला करने की क्षमता के कारण विरोधी देश की अर्ली वार्निंग (Early Warning) और रक्षा योजना बनाना बेहद कठिन हो जाएगा।

2. मिसाइल रक्षा प्रणाली के लिए चुनौती:

         यह मिसाइल अत्यंत कम ऊँचाई पर उड़ती है और अनियमित मार्ग अपनाती है, जिससे पारंपरिक बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम (जो ऊँचाई पर सीधी दिशा में आने वाली मिसाइलों को रोकने के लिए बनाए गए हैं) अप्रभावी हो सकते हैं।

         इसी कारण इसके बारे में कहा जा रहा है न इसे देखा जा सकता है, न इसे रोका जा सकता है।

3. भू-राजनीतिक और क्षेत्रीय असर:

         भारत, दक्षिण एशिया और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए, भले ही यह मिसाइल सीधे तौर पर लक्षित न हो, लेकिन इसका अस्तित्व वैश्विक रणनीतिक संतुलन में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है।

         यह दर्शाता है कि अब देशों को उन्नत हथियार प्रणालियों, परमाणु जोखिमों और नए रक्षा नवाचारों के प्रति और अधिक सतर्क रहना होगा।

         इसके अतिरिक्त, यह मिसाइल भविष्य में आर्म्स कंट्रोल समझौतों, हथियार निर्यात नीतियों और क्षेत्रीय हथियार प्रसार (Missile Proliferation) के स्वरूप को भी प्रभावित कर सकती है।

भारत के लिए संभावित प्रभाव:

         परमाणु नीति और प्रतिरोध क्षमता: भारत की परमाणु नीति विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध”, “पहले प्रयोग नहीं” (No-First-Use) और परस्पर संवेदनशीलता” (Mutual Vulnerability) के सिद्धांतों पर आधारित है। हालांकि, रूस जैसी परमाणु-संचालित लंबी दूरी की क्रूज़ मिसाइलों के आगमन से भारत को अपने निगरानी (surveillance), अर्ली वार्निंग सिस्टम (early warning systems) और प्रत्युत्तर योजना (retaliatory planning) की रणनीति की पुनः समीक्षा करनी पड़ सकती है, ताकि नई तकनीकी चुनौतियों का सामना किया जा सके।

         मिसाइल रक्षा प्रणाली: भारत वर्तमान में बहुस्तरीय मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित कर रहा है , जिसमें PAD, AAD और SRBM इंटरसेप्टर जैसी प्रणालियाँ शामिल हैं। लेकिन बुरेवेस्टनिक जैसी मिसाइलें (जो अनियमित मार्गों से उड़ सकती हैं, बहुत कम ऊँचाई पर उड़ान भर सकती हैं और लंबे समय तक हवा में रह सकती हैं)  इन मौजूदा रक्षा प्रणालियों के लिए गंभीर चुनौती बन सकती हैं।

         हथियारों की दौड़ की आशंका: ऐसे तकनीकी विकास से क्षेत्रीय असंतुलन की आशंका बढ़ सकती है। पाकिस्तान और चीन जैसे देश अपने मिसाइल कार्यक्रमों के आधुनिकीकरण और नई प्रौद्योगिकियों के विकास की दिशा में और तेज़ी ला सकते हैं। इससे हथियार नियंत्रण और रणनीतिक स्थिरता बनाए रखने के प्रयास और जटिल हो जाएंगे।

         रणनीतिक स्थिरता: ऐसी मिसाइलें, जो पारंपरिक रक्षा प्रणालियों को पूरी तरह से भ्रमित कर सकती हैं, किसी भी संकट की स्थिति में निर्णय लेने की समय-सीमा को बेहद संकुचित कर देती हैं। इससे गलत आकलन या जल्दबाजी में प्रतिक्रिया की संभावना बढ़ जाती है, जो अंततः परमाणु तनाव को और बढ़ा सकती है।