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Blog / 05 Sep 2025

भारत-सिंगापुर संबंध

संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के तीन दिवसीय भारत दौरे के दौरान उनके साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। यह यात्रा भारत-सिंगापुर के राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई, जो द्विपक्षीय सहयोग को और गहरा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। वार्ता के समापन पर नागरिक उड्डयन, अंतरिक्ष, कौशल विकास, डिजिटल परिसंपत्ति नवाचार तथा हरित और डिजिटल शिपिंग कॉरिडोर से संबंधित पाँच समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

समझौते के प्रमुख क्षेत्र:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अर्धचालक:

      •  दोनों देशों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अर्धचालक निर्माण में सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया।
      • सिंगापुर, जो वैश्विक चिप्स का 10% और अर्धचालक उपकरणों का 20% उत्पादन करता है, 2025 के अंत तक भारत की पहली स्वदेशी चिप लॉन्च करने में एक प्रमुख भागीदार है।

बहु-क्षेत्रीय समझौता ज्ञापन और कौशल विकास पहल:

      • सिंगापुर ने भारत में विमानन और अर्धचालकों के लिए राज्य-स्तरीय कौशल केंद्र स्थापित करने की घोषणा की।
      • चेन्नई में राष्ट्रीय कौशल उत्कृष्टता केंद्र के लिए उन्नत विनिर्माण में प्रतिभाओं को बढ़ावा देने हेतु समर्थन बढ़ाया गया।

व्यापार और वित्तीय एकीकरण:

      • दोनों पक्ष व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) और आसियान मुक्त व्यापार समझौते की समयबद्ध समीक्षा पर सहमत हुए।
      • गिफ्ट सिटी (गुजरात) को दोनों देशों के बीच वित्तीय संपर्क के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में चिन्हित किया गया।

हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण और एक्ट ईस्ट नीति:

      • सिंगापुर को भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक प्रमुख स्तंभ माना गया।
      • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए आसियान केंद्रीयता और क्षेत्रीय सहयोग को महत्व दिया गया।

India–Singapore Relations

भारत-सिंगापुर संबंधों के विषय में:

    • ऐतिहासिक संबंध: सिंगापुर की स्थापना 1819 में ब्रिटिश शासन के तहत एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र के रूप में हुई थी, जिसका प्रशासन कोलकाता से संचालित होता था। भारत 1965 में सिंगापुर की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था, जिससे दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक और राजनयिक संबंधों की नींव पड़ी।
    • व्यापार और आर्थिक सहयोग: सिंगापुर आसियान क्षेत्र में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और वैश्विक स्तर पर भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार भी है। वित्त वर्ष 2023-24 में द्विपक्षीय व्यापार ₹34.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।  भारत एक शुद्ध आयातक बना हुआ है। कर चोरी पर अंकुश लगाने के लिए 1994 में दोहरे कर बचाव समझौते (DTAA) पर हस्ताक्षर किए गए।
    • रक्षा सहयोग: भारत और सिंगापुर के रणनीतिक संबंध हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र तक विस्तारित हैं। दोनों देशों की सेनाओं के बीच नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यास होते हैं, जिनमें अग्नि योद्धा’ (सेना), ‘सिम्बेक्स’ (नौसेना) और जेएमटी’ (संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण, वायु सेना) प्रमुख हैं।
    • फिनटेक और डिजिटल सहयोग: दोनों देशों के बीच फिनटेक और डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। इसके अंतर्गत सिंगापुर में भारतीय रुपे कार्ड की स्वीकृति और यूपीआई-पेनाउ डिजिटल भुगतान लिंक जैसे सहयोग शामिल हैं
    • बहुपक्षीय जुड़ाव: भारत और सिंगापुर कई बहुपक्षीय मंचों में सक्रिय भागीदार हैं, जिनमें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, राष्ट्रमंडल, आईओआरए, और आईओएनएस शामिल हैं। इसके अलावा, सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन का सदस्य है। दोनों देश हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचे (IPEF) के भी समर्थक हैं, जो क्षेत्रीय समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
    • सिंगापुर में प्रवासी भारतीय: जातीय भारतीय सिंगापुर की कुल निवासी आबादी का लगभग 9.1% हिस्सा हैं। देश में रहने वाले 16 लाख विदेशी निवासियों में से लगभग 20% भारतीय नागरिक हैं। इसके अलावा, तमिल भाषा सिंगापुर की चार आधिकारिक भाषाओं में से एक है, जो दोनों देशों के बीच मजबूत सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है।

निष्कर्ष:

भारत-सिंगापुर संबंध मजबूत और बहुआयामी हैं, जो ऐतिहासिक जुड़ाव, साझा मूल्य और रणनीतिक हितों पर आधारित हैं। व्यापार, प्रौद्योगिकी, रक्षा और प्रवासी समुदायों में गहरा सहयोग मौजूद है। प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग की हालिया यात्रा के दौरान हुए समझौते दोनों देशों के बीच भविष्य की भागीदारी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, समृद्धि व स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण हैं।