सन्दर्भ:
लक्षद्वीप समूह में प्रवाल भित्तियों (Coral Reefs) पर किए गए 24 वर्षों के एक हालिया अध्ययन ने यह चिंताजनक बात सामने आई है कि 1998 से अब तक प्रवाल आवरण (coral cover) में 50% की गिरावट आई है। यह अध्ययन डाइवर्सिटी एंड डिस्ट्रीब्यूशन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है और यह जलवायु परिवर्तन से बढ़े समुद्री तापमान और बार-बार आने वाली समुद्री हीटवेव्स के इन पारिस्थितिकी तंत्रों पर पड़ते प्रभाव को रेखांकित करता है।
मुख्य निष्कर्ष:
• प्रवाल आवरण में गिरावट: 1998 में 37.24% से घटकर अब केवल 19.6% रह गया है, जो लगभग 50% की कमी है।
• पुनर्प्राप्ति दर में गिरावट: हर बार प्रवाल विरंजन (bleaching) के बाद प्रवाल की पुनर्प्राप्ति दर घटती जा रही है, हालांकि मृत्यु दर पहले की तुलना में कम हुई है।
• महत्वपूर्ण पुनर्प्राप्ति अवधि: अध्ययन से पता चलता है कि छह वर्षों तक विरंजन-रहित समय मिलने पर प्रवाल भित्तियों की पुनर्प्राप्ति दर में काफी वृद्धि होती है।
गिरावट के कारण:
लक्षद्वीप द्वीप समूह की प्रवाल भित्तियों में गिरावट के कई परस्पर जुड़े कारण हैं:
• जलवायु परिवर्तन: वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण समुद्र का सतही तापमान बढ़ रहा है, जो प्रवालों की सहनशीलता सीमा को पार कर देता है। इससे प्रवालों में विरंजन होता है, जिसमें वे अपने अंदर रहने वाली शैवाल (zooxanthellae) को बाहर निकाल देते हैं, जिससे उन्हें ऊर्जा और रंग मिलता है। यदि यह तनाव लंबे समय तक बना रहता है, तो प्रवाल की मृत्यु हो सकती है।
• समुद्री हीटवेव्स: इस क्षेत्र में 1998, 2010 और 2016 में तीन प्रमुख समुद्री हीटवेव्स आईं। इनमें 2010 की हीटवेव सबसे गंभीर थी, जिसमें ‘डिग्री हीटिंग वीक’ (DHW) सबसे अधिक था और प्रवालों में भारी गिरावट देखी गई।
प्रवाल भित्तियों के बारे में:
प्रवाल भित्तियाँ जटिल समुद्री पारिस्थितिक तंत्र हैं जो प्रवाल पॉलीप्स (coral polyps) नामक छोटे जीवों द्वारा बनाई जाती हैं। ये गर्म, उथले और स्वच्छ समुद्री जल में पाई जाती हैं और जैव विविधता के लिए जानी जाती हैं।
• ये प्रवाल अपने कैल्शियम कार्बोनेट के कंकाल से समय के साथ प्रवाल भित्तियाँ बनाते हैं।
• लक्षद्वीप की प्रवाल भित्तियाँ जैव विविधता के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। लक्षद्वीप में कुल 36 द्वीप, 12 एटोल (atolls), 3 प्रवाल भित्तियाँ और 5 जलमग्न तट शामिल हैं।
प्रवाल भित्तियों के सामान्य प्रकारों में शामिल हैं:
• फ्रिंजिंग रीफ (तट के निकट)
• बैरियर रीफ (एक लैगून द्वारा तट से अलग)
• एटोल (एक लैगून के चारों ओर वलयाकार रीफ)
प्रवाल भित्तियों का महत्त्व:
ये प्रवाल भित्तियाँ कई महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी सेवाएँ प्रदान करती हैं:
• तटीय सुरक्षा: ये लहरों और तूफानों से द्वीपों को प्राकृतिक अवरोध के रूप में बचाती हैं।
• जैव विविधता का केंद्र: यह समुद्री जीवन के असंख्य प्रजातियों का घर होती हैं – मछलियाँ, प्रवाल, अकशेरुकी आदि।
• मछली पालन और आजीविका: प्रवाल भित्तियाँ स्थानीय समुदायों के लिए भोजन और आजीविका का स्रोत हैं।
• पर्यटन: प्रवालों की सुंदरता और विविधता इन्हें पर्यटन का केंद्र बनाती हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।
निष्कर्ष:
इस अध्ययन के निष्कर्ष हमें प्रवाल भित्तियों की रक्षा और पुनर्प्राप्ति को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल देते हैं। जलवायु परिवर्तन, स्थानीय परिस्थितियों और प्रवाल स्वास्थ्य के बीच जटिल संबंधों को समझकर वैज्ञानिक और संरक्षणकर्ता मिलकर इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्रों को बचाने के प्रयास कर सकते हैं।