संदर्भ:
हाल ही में 29 सितंबर से 1 अक्टूबर 2025 तक रोम, इटली में फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (FAO) मुख्यालय में सतत पशुपालन परिवर्तन पर द्वितीय वैश्विक सम्मेलन आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में भारत के केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन और डेयरी मंत्री, राजीव रंजन सिंह ने भाग लिया।
सम्मेलन के उद्देश्य:
· पशुपालन क्षेत्र में श्रेष्ठ प्रथाओं, नवाचारों और अनुभवों को साझा करना।
· पशुपालन क्षेत्र को सतत, समावेशी और लचीला बनाने के लिए व्यावहारिक समाधान को प्रोत्साहित करना।
· पशुधन प्रणालियों को एफएओ के "बेहतर उत्पादन, बेहतर पोषण, बेहतर पर्यावरण और बेहतर जीवन" के दृष्टिकोण के साथ संरेखित करना।
· सतत पशुपालन परिवर्तन के लिए वैश्विक कार्य योजना के विकास और कार्यान्वयन का समर्थन करना।
मुख्य परिणाम:
शिखर सम्मेलन के दौरान, एफएओ पशुधन पर्यावरण मूल्यांकन और प्रदर्शन (एलईएपी) साझेदारी ने दो नए तकनीकी दिशानिर्देश जारी किए:
1. पशुपालन कृषि-इकोसिस्टम में पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का मूल्यांकन
2. सर्कुलर बायोइकॉनॉमी सिस्टम में पशुपालन की भूमिका
यह दिशानिर्देश पशुपालन कृषि-इकोसिस्टम से खाद्य उत्पादन से परे पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की पहचान और मापने के लिए एक संरचित रूपरेखा प्रदान करता। इन सेवाओं में शामिल हैं:
· कार्बन अवशोषण
· जल प्रबंधन
· जैव विविधता का संरक्षण
· आजीविका और पोषण का समर्थन
· सांस्कृतिक परिदृश्य और विरासत का संरक्षण
भारत में पशुपालन क्षेत्र के बारे में:
· 20वीं पशुधन जनगणना, 2019 के अनुसार भारत की पशुधन संख्या 535.78 मिलियन है, जो विश्व में सबसे अधिक है।
· हाल के वर्षों में यह क्षेत्र 12.77% की सालाना औसत वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है और कृषि सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 31% तथा राष्ट्रीय GDP में 5.5% का योगदान देता है।
· यह क्षेत्र लगभग 8.8% जनसंख्या को रोजगार प्रदान करता है, जिसमे छोटे और सीमांत किसान तथा ग्रामीण महिला प्रमुखता से शामिल हैं।
· दूध, अंडा और मांस जैसे प्रोटीन युक्त उत्पादों के माध्यम से पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करता है, जिसमें डेयरी क्षेत्र पशुपालन उत्पादन मूल्य का लगभग दो-तिहाई हिस्सा है।
· पशुपालन निर्यात (भैंस का मांस, डेयरी, पोल्ट्री) USD 3.64 बिलियन (अप्रैल–दिसंबर 2024) तक पहुँच गया, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित हुई।
· भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है, जो वैश्विक दूध उत्पादन का 24.76% योगदान देता है।
भारत में प्रमुख पशुपालन पहल:
· राष्ट्रीय पशुपालन मिशन (NLM): विभिन्न जानवरों जैसे ऊंट और घोड़े के लिए उद्यमिता, नस्ल सुधार और चारे के विकास का समर्थन करता है।
· राष्ट्रीय गो-कुल मिशन (RGM): देशी गोवंश के संरक्षण, आनुवंशिक सुधार और AI और IVF तकनीक के माध्यम से दूध उत्पादन बढ़ाने पर केंद्रित।
· एनिमल हसबैंड्री इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (AHIDF): डेयरी, प्रजनन, चारे के संयंत्र और मांस प्रसंस्करण में निवेश के लिए $3.5 बिलियन का फंड।
· राष्ट्रीय डिजिटल पशुपालन मिशन – भारत पशुधन: पशुधन के डिजिटल ID बनाकर ट्रेसबिलिटी और रोग पहचान को बेहतर बनाना।
· राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (NPDD): दूध परीक्षण, कूलिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और डेयरी किसानों के लिए बाजार तक पहुँच मजबूत करना।
निष्कर्ष:
सतत पशुपालन परिवर्तन पर द्वितीय वैश्विक सम्मेलन ने सतत पशुपालन को अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। इस सम्मेलन ने परिवर्तन को बढ़ावा देने, नवाचारों का विस्तार करने और समाधान पेश करने का रोडमैप दिया। व्यावहारिक समाधानों और सहयोग पर जोर देकर, सम्मेलन ने पशुपालन क्षेत्र को अधिक सतत और लचीला बनाने का मंच तैयार किया।

