संदर्भ:
साल 2025 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार वैज्ञानिक जॉन क्लार्क (John Clarke), मिशेल एच. डेवोरेट (Michel H. Devoret) और जॉन एम. मार्टिनिस (John M. Martinis) को उनके अभूतपूर्व प्रयोगों के लिए प्रदान किया गया है। 1980 के दशक में किए गए उनके इन प्रयोगों ने क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम क्रिप्टोग्राफी और उन्नत सेंसर तकनीक जैसी आधुनिक क्वांटम तकनीकों के विकास की मजबूत नींव रखी।
नोबेल पुरस्कार विजेता की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ:
1980 के दशक के मध्य में, तीनों वैज्ञानिकों ने सुपरकंडक्टिंग सर्किट्स का उपयोग करते हुए प्रयोग किए, विशेष रूप से जोसेफसन जंक्शनों पर ध्यान केंद्रित किया, जो दो सुपरकंडक्टरों के बीच पतली इन्सुलेटिंग बाधाएं होती हैं।
• इन प्रयोगों से यह पता चला कि क्वांटम टनलिंग और ऊर्जा परिमाणीकरण (Energy Quantisation) जैसे क्वांटम प्रभाव उन प्रणालियों में भी प्रकट हो सकते हैं जो देखने और छूने योग्य बड़े आकार की होती हैं। यह उस पारंपरिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण परिवर्तन था, जिसके अनुसार क्वांटम घटनाएँ केवल सूक्ष्म कणों तक ही सीमित मानी जाती थीं।
• इन्हीं प्रयोगों से क्यूबिट (Qubit) की अवधारणा का जन्म हुआ, जो क्वांटम सूचना की मूल इकाई है। यह उपलब्धि क्वांटम कंप्यूटिंग तकनीकों के विकास में अत्यंत सहायक रही है।
क्वांटम तकनीकों पर प्रभाव:
क्लार्क, डेवोरेट और मार्टिनिस की खोजों ने विज्ञान और तकनीक के अनेक क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव डाला है।
• क्वांटम कंप्यूटिंग: सुपरकंडक्टिंग सर्किट्स पर उनका कार्य क्यूबिट के विकास की आधारशिला बना। इसने ऐसे क्वांटम कंप्यूटरों के निर्माण को संभव बनाया जो पारंपरिक कंप्यूटरों की सीमाओं से आगे बढ़कर अत्यंत जटिल और तीव्र गणनाएँ करने में सक्षम हैं।
• क्वांटम क्रिप्टोग्राफी: उनके खोजे गए सिद्धांतों का उपयोग आज सुरक्षित संचार प्रणालियों के विकास में किया जा रहा है, जो सैद्धांतिक रूप से जासूसी या डाटा चोरी से पूरी तरह सुरक्षित मानी जाती हैं।
• उन्नत सेंसर: उनके अनुसंधान से विकसित अत्यधिक संवेदनशील सेंसर अब अनेक क्षेत्रों में उपयोग किए जा रहे हैं, जिनमें चिकित्सा इमेजिंग (Medical Imaging), भूवैज्ञानिक अन्वेषण (Geological Exploration) और वैज्ञानिक मापन प्रणालियाँ प्रमुख हैं।
नोबेल विजेताओं के बारे में:
• जॉन क्लार्क (John Clarke):कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में प्रोफेसर हैं। वे सुपरकंडक्टिंग क्वांटम इंटरफेरेंस डिवाइस (SQUIDs) पर अपने उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रसिद्ध हैं। इसका उपयोग अत्यंत कमज़ोर चुंबकीय क्षेत्रों का सटीक पता लगाने में किया जाता है, जो चिकित्सा, भूविज्ञान और भौतिकी अनुसंधान में अत्यंत उपयोगी तकनीक है।
• मिशेल एच. डेवोरेट (Michel H. Devoret): वे येल विश्वविद्यालय और कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा (UCSB) से संबद्ध रहे हैं। उन्होंने क्वांटम सर्किट्स के विकास और क्वांटम कोहेरेंस (Quantum Coherence) के अध्ययन में अग्रणी भूमिका निभाई है। उनके अनुसंधान ने यह समझने में मदद की कि क्वांटम प्रणालियाँ बाहरी प्रभावों के बावजूद अपनी स्थिरता कैसे बनाए रख सकती हैं।
• जॉन एम. मार्टिनिस (John M. Martinis): वे गूगल के क्वांटम एआई लैब के प्रमुख रह चुके हैं और वर्तमान में कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय, सांता बारबरा में प्रोफेसर हैं। उन्होंने क्वांटम कंप्यूटिंग तकनीकों को प्रयोगशाला से व्यावहारिक उपयोग तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
नोबेल पुरस्कार के बारे में:
नोबेल पुरस्कार एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार है जिसकी स्थापना डायनामाइट के स्वीडिश आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल ने की थी। 1896 में उनकी वसीयत के माध्यम से स्थापित यह पुरस्कार मानवता के लिए उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों और संगठनों को सम्मानित करता है।
· 1901 में पहली बार दिए गए ये पुरस्कार छह श्रेणियों में दिए जाते हैं: भौतिकी, रसायन विज्ञान, चिकित्सा, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र। विजेताओं को एक स्वर्ण पदक, एक डिप्लोमा और एक नकद पुरस्कार दिया जाता है।
· ये पुरस्कार प्रतिवर्ष 10 दिसंबर को अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि पर प्रदान किये जाते हैं।
निष्कर्ष:
2025 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार यह दर्शाता है कि क्वांटम यांत्रिकी ने हमारी दुनिया को समझने का नजरिया कितना बदल दिया है। क्लार्क, डेवोरेट और मार्टिनिस के इन अद्भुत प्रयोगों ने क्वांटम तकनीक के ऐसे नए रास्ते खोले हैं जो आने वाले समय में कंप्यूटिंग, संचार और विज्ञान की दिशा को पूरी तरह बदल सकते हैं।