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Blog / 07 Oct 2025

2025 का चिकित्सा (मेडिसिन) में नोबेल पुरस्कार

संदर्भ:

अक्टूबर 2025 को फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से शिमोन सकागुची (जापान), फ्रेड रैम्सडेल (अमेरिका) और मैरी ई. ब्रनकाउ (अमेरिका) को उनके प्रतिरक्षा सहनशीलता (immune tolerance) से संबंधित क्रांतिकारी खोजों के लिए प्रदान किया गया। विशेष रूप से, उन्होंने रेगुलेटरी टी सेल्स (Tregs) और FOXP3 जीन की पहचान और उनकी भूमिका को स्पष्ट किया। इन खोजों ने स्व-प्रतिरक्षित रोगों (autoimmune diseases), कैंसर और अंग प्रत्यारोपण चिकित्सा के प्रति हमारी समझ को पूरी तरह बदल दिया है।

परिधीय प्रतिरक्षा सहनशीलता (Peripheral Immune Tolerance) के बारे में:

    • प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को "स्व" (self) और "पराया" (non-self) में अंतर करना होता है, ताकि वह बाहरी आक्रमणकारियों पर हमला कर सके लेकिन शरीर के सामान्य ऊतकों को नुकसान न पहुँचाए।
    • केंद्रीय सहनशीलता (Central Tolerance) वह प्रक्रिया है, जिसमें आत्म-प्रतिक्रियाशील (self-reactive) प्रतिरक्षा कोशिकाओं को उनके विकास के दौरान समाप्त या निष्क्रिय कर दिया जाता है टी कोशिकाओं के लिए थाइमस (thymus) में और बी कोशिकाओं के लिए अस्थि मज्जा (bone marrow) में।
    • हालांकि, कुछ आत्म-प्रतिक्रियाशील कोशिकाएँ इस प्रारंभिक जाँच से बच निकलती हैं। परिधीय सहनशीलता (Peripheral Tolerance) उन अतिरिक्त सुरक्षा तंत्रों को संदर्भित करती है, जो केंद्रीय अंगों के बाहर कार्य करते हैं ताकि ये बची हुई कोशिकाएँ शरीर के खिलाफ हानिकारक प्रतिक्रिया न करें।
    • 2025 का मेडिसिन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार विशेष रूप से इन परिधीय नियंत्रण तंत्रों की खोज के लिए दिया गया है।

The Nobel Prize on X: "BREAKING NEWS The 2025 #NobelPrize in Physiology or  Medicine has been awarded to Mary E. Brunkow, Fred Ramsdell and Shimon  Sakaguchi “for their discoveries concerning peripheral immune

पुरस्कार विजेताओं के योगदान (The Laureates’ Contributions):

1. रेगुलेटरी टी कोशिकाएँ (Regulatory T Cells - Tregs) – शिमोन सकागुची

      • 1990 के दशक में, सकागुची ने प्रतिरक्षा कोशिकाओं के ऐसे उपसमूह की खोज की जो प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को दबा सकता था और स्व-प्रतिरक्षा को रोक सकता था।
      • इन कोशिकाओं को रेगुलेटरी टी कोशिकाएँ (Tregs) नाम दिया गया।
      • उनके प्रयोगों से यह सिद्ध हुआ कि जब इन कोशिकाओं को चूहों से हटाया गया, तो उनमें स्व-प्रतिरक्षा रोग उत्पन्न हो गया जिससे यह प्रमाणित हुआ कि ये कोशिकाएँ परिधीय प्रतिरक्षा सहनशीलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

2. FOXP3 जीन मैरी ई. ब्रनकाउ और फ्रेड रैम्सडेल

      • 2001 में, ब्रनकाउ और रैम्सडेल ने FOXP3 जीन की पहचान की, जो Treg कोशिकाओं के विकास और कार्य का प्रमुख नियामक है।
      • उन्होंने पाया कि FOXP3 में उत्परिवर्तन (mutation) IPEX सिंड्रोम नामक एक दुर्लभ लेकिन घातक स्व-प्रतिरक्षित विकार का कारण बनता है, जो शिशुओं में देखा जाता है।
      • अब FOXP3 को Tregs का "मास्टर कंट्रोल जीन" माना जाता है।

इन खोजों ने यह स्पष्ट कर दिया कि प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं को कैसे नियंत्रित करती है  ताकि वह शरीर पर हमला न करे, लेकिन बाहरी खतरों से रक्षा करती रहे।

स्वास्थ्य और रोग में निहितार्थ (Implications in Health & Disease):

    • स्व-प्रतिरक्षित रोग (Autoimmune Diseases): कई रोग जैसे टाइप 1 मधुमेह, लुपस, और रूमेटॉयड आर्थराइटिस प्रतिरक्षा नियमन की विफलता से उत्पन्न होते हैं। Treg और FOXP3 पर आधारित अध्ययन ऐसी नई लक्षित चिकित्सा (targeted therapies) के मार्ग खोलते हैं जो प्रतिरक्षा संतुलन को पुनर्स्थापित कर सकती हैं।
    • अंग प्रत्यारोपण (Transplantation): Treg-आधारित प्रतिरक्षा सहनशीलता को बढ़ाकर जीवनभर की इम्यूनोसप्रेशन दवाओं की आवश्यकता को कम किया जा सकता है, जिससे ग्राफ़्ट (graft) की दीर्घायु बढ़ेगी और दुष्प्रभाव घटेंगे।
    • कैंसर इम्यूनोथैरेपी (Cancer Immunotherapy): कुछ ट्यूमर Tregs का उपयोग प्रतिरक्षा प्रणाली को दबाने के लिए करते हैं। Treg गतिविधि को संशोधित कर, कैंसर के खिलाफ शरीर की रक्षा प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है।
    • चिकित्सकीय और नैदानिक अनुप्रयोग (Therapeutics & Clinical Translation): वर्तमान में कई जैव-प्रौद्योगिकी और क्लिनिकल प्रयास Tregs को चिकित्सा में उपयोग करने के लिए चल रहे हैं जैसे एडॉप्टिव टीरेग ट्रांसफर (Adoptive Treg Transfer), जीन एडिटिंग (Gene Editing)और स्मॉल मॉलिक्यूल रेगुलेटर्स (Small Molecule Regulators) समाचार रिपोर्टों के अनुसार, वर्तमान में 200 से अधिक मानव परीक्षण (human trials) नियामक टी कोशिका उपचारों (Treg therapies) पर चल रहे हैं।

निष्कर्ष:

2025 का चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार, जो ब्रनकाउ, रैम्सडेल और सकागुची को इस खोज के लिए दिया गया कि प्रतिरक्षा प्रणाली स्वयं को कैसे सीमित करती है (अर्थात् परिधीय प्रतिरक्षा सहनशीलता), इम्यूनोलॉजी के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है।
यह हमारी स्व-प्रतिरक्षा रोगों, अंग प्रत्यारोपण, और कैंसर की समझ को गहराता है और भविष्य की चिकित्सकीय नवाचारों के लिए नई दिशाएँ खोलता है।