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Blog / 09 Oct 2025

2025 का रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार

सन्दर्भ:

हाल ही में, रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने 2025 का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार जापान के सुज़ुमु कितागावा, ऑस्ट्रेलिया के रिचर्ड रॉब्सन, और अमेरिका के ओमर एम. याघी को "मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स" (Metal-Organic Frameworks - MOFs) के विकास के लिए प्रदान किया है।

मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (MOFs) के बारे में:

मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (MOFs) एक प्रकार की स्फटिकीय छिद्रयुक्त (crystalline porous) सामग्री होती हैं, जो धातु आयनों या क्लस्टरों को कार्बनिक लिगैंड्स से जोड़कर बनाई जाती हैं।
इनकी विशेषता अत्यधिक आंतरिक सतह क्षेत्र (internal surface area), कम घनत्व (low density) और समायोज्य रंध्र आकार (tunable pore size) होती है, जो इन्हें अनेक अनुप्रयोगों के लिए अत्यंत उपयोगी बनाती है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • उच्च छिद्रता और सतह क्षेत्रफल:
    MOFs अत्यधिक छिद्रयुक्त होती हैं इनमें रंध्र (pores) का आयतन संपूर्ण स्फटिक के आयतन का 90% तक हो सकता है।
    कुछ MOFs, जैसे MOF-5, का सतह क्षेत्रफल 3000 वर्ग मीटर प्रति ग्राम से भी अधिक हो सकता है।
  • संरचना का नियंत्रण:
    MOF के रंध्रों का आकार और आकृति अलग-अलग लंबाई और ज्यामिति वाले कार्बनिक लिंकरों (organic linkers) के चयन से सटीक रूप से नियंत्रित की जा सकती है।

2025 Nobel Prize in Chemistry

नोबेल विजेताओं का योगदान:

  • 1980 के दशक के अंत में रिचर्ड रॉब्सन ने तांबे (Copper) आयनों और बहु-भुज (multi-armed) कार्बनिक लिगैंड्स के साथ प्रयोग करते हुए यह अवधारणा प्रस्तुत की कि धात्विक नोड्स (metal nodes) और लिंकरों (linkers) को जोड़कर छिद्रयुक्त स्फटिकीय संरचनाएँ बनाई जा सकती हैं।
  • हालाँकि, प्रारंभिक संरचनाएँ अस्थिर थीं और उनमें मजबूती की कमी थी।
    बाद में कितागावा और याघी ने अधिक स्थायी और कार्यात्मक (stable and functional) MOFs का विकास और संश्लेषण किया, जिससे यह क्षेत्र वास्तविक रूप से विकसित हुआ।

मुख्य अनुप्रयोग और वैश्विक महत्व:

MOFs को नोबेल पुरस्कार द्वारा मान्यता मिलने से यह स्पष्ट होता है कि इनका उपयोग बहुआयामी और भविष्य के लिए अत्यंत उपयोगी है। नीचे इनके प्रमुख अनुप्रयोग क्षेत्र दिए गए हैं:

1.        कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण और जलवायु शमन (Climate Mitigation):
MOFs गैस मिश्रणों (जैसे औद्योगिक धुएँ से निकलने वाली गैसों) से चयनात्मक रूप से CO
को अवशोषित कर सकती हैं, जिससे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम किया जा सकता है और जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।

2.      जल-संग्रहण और शुद्धिकरण (Water Harvesting & Purification):
कुछ MOFs को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि वे शुष्क हवा (arid air) से भी नमी खींचकर जल प्राप्त कर सकती हैं यहाँ तक कि कम आर्द्रता पर भी।
यह तकनीक शुष्क क्षेत्रों में विकेन्द्रित जल आपूर्ति (decentralized water supply) के लिए नई संभावनाएँ खोलती है।
इसके अतिरिक्त, MOFs विषैले तत्वों या प्रदूषकों को अवशोषित कर जल शुद्धिकरण में भी सहायक हैं।

3.      गैस संग्रहण और पृथक्करण (Gas Storage & Separation):
MOFs का उपयोग हाइड्रोजन या मीथेन जैसी गैसों को मध्यम दाब (mild pressure) पर संग्रहित करने के लिए किया जा सकता है, क्योंकि इनमें सतह क्षेत्रफल बहुत अधिक होता है।
वे गैस मिश्रणों को पृथक (separate) करने में भी सक्षम हैं, जैसे अशुद्धियों को छानना या गैसों को छाँटना।

4.     उत्प्रेरण और रासायनिक रूपांतरण (Catalysis & Chemical Transformations):
MOFs की छिद्रयुक्त संरचना में धातु नोड्स या लिगैंड्स पर सक्रिय उत्प्रेरक स्थल (catalytic sites) बनाए जा सकते हैं।
इससे ऑक्सीकरण (oxidation), अपचयन (reduction) या छोटे अणुओं के रूपांतरण जैसी प्रतिक्रियाएँ अधिक सौम्य परिस्थितियों में संभव हो पाती हैं।

5.      ऊर्जा और स्वच्छ प्रौद्योगिकी (Energy & Clean Technologies):
ऊर्जा क्षेत्र में MOFs का उपयोग बैटरी इलेक्ट्रोड, सुपरकैपेसिटर, ईंधन सेल में गैस पृथक्करण और अन्य स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में किया जा रहा है।

6.     पर्यावरण संरक्षण और संसाधन पुनर्प्राप्ति (Environmental & Resource Recovery):
MOFs का उपयोग प्रदूषकों को पकड़ने, विषैले या भारी धातु तत्वों को हटाने, और अपशिष्ट धारा (waste streams) से उपयोगी संसाधन पुनर्प्राप्त करने के लिए किया जा सकता है।

निष्कर्ष:

2025 का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार, जिसे कितागावा, रॉब्सन, और याघी को मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स पर उनके अग्रणी कार्य के लिए प्रदान किया गया है, समय की दृष्टि से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
यह दिखाता है कि रचनात्मक आणविक संरचना (creative molecular architecture) यदि सतत विकास (sustainability) के उद्देश्य से की जाए, तो यह रसायन विज्ञान और प्रौद्योगिकी दोनों में नए युग की शुरुआत कर सकती है।