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Daily-current-affairs / 19 May 2025

अमेरिकी राष्ट्रपति की अमेरिका-मध्य पूर्व यात्रा: आर्थिक कूटनीति और बदलती भू-राजनीतिक प्राथमिकताएं

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संदर्भ:
हाल ही में मई
2025 में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मध्य पूर्व की चार दिवसीय यात्रा पूरी की, जिसमें उन्होंने सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) का दौरा किया। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक कूटनीति के बजाय आर्थिक संबंधों को मजबूत करना था। व्हाइट हाउस ने घोषणा की कि इस यात्रा के दौरान रक्षा, विमानन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), अवसंरचना और ऊर्जा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के निवेश समझौते हुए।

  • यह यात्रा अमेरिकी विदेश नीति में एक बदलाव को दर्शाती है, जिसमें राष्ट्रपति ट्रंप ने व्यापार को प्राथमिकता देने वाला दृष्टिकोण अपनाया है, जो लंबे समय से चले आ रहे राजनीतिक गठबंधनों की तुलना में आर्थिक साझेदारियों को अधिक महत्व देता है। व्यापार और निवेश पर केंद्रित यह दौरा ट्रंप की उस रणनीति को दर्शाता है, जिसमें वे अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए आर्थिक प्रभाव को एक उपकरण के रूप में उपयोग कर रहे हैं। हालांकि, यह बदलाव अमेरिका के पारंपरिक सहयोगियों जैसे इज़राइल और भारत के साथ भविष्य के संबंधों को लेकर सवाल खड़े करता है और ये परिवर्तन मध्य पूर्व में क्षेत्रीय समीकरणों को कैसे प्रभावित करेंगे।

व्यापार समझौतों का अवलोकन:
व्हाइट हाउस के अनुमानों के अनुसार निम्नलिखित समझौते हुए:

  • सऊदी अरब: $600 बिलियन का निवेश प्रतिबद्धता, रक्षा और तकनीक पर केंद्रित
  • कतर: वाणिज्यिक और रक्षा समझौतों में $243.5 बिलियन; व्यापक $1.2 ट्रिलियन आर्थिक समझौते का हिस्सा
  • यूएई: $200 बिलियन के सौदे, पहले किए गए 10-वर्षीय $1.2 ट्रिलियन निवेश वादे को आगे बढ़ाते हुए

प्रमुख निवेश क्षेत्र

1. विमानन (Aviation)

  • यूएई: एतिहाद एयरवेज ने GE एयरोस्पेस इंजनों से लैस 28 बोइंग विमान खरीदने के लिए $14.5 बिलियन का समझौता किया।
  • कतर: कतर एयरवेज ने बोइंग के साथ अब तक का सबसे बड़ा वाइडबॉडी विमान सौदा किया—160 जेट्स (50 विकल्प सहित), कुल $96 बिलियन।
    विवाद
    : कतर ने ट्रंप को $400 मिलियन का बोइंग 747-8 विमान उपहार में दिया, जिससे अमेरिका में दोनों दलों की आलोचना हुई।

2. रक्षा और सुरक्षा (Defence and Security)

  • सऊदी अरब: $142 बिलियन का रक्षा समझौता, इसे अब तक का सबसे बड़ा रक्षा सौदा बताया गया।
  • कतर:
    • अमेरिकी कंपनी पार्सन्स को $97 बिलियन के ठेके
    • अमेरिकी सैन्य अड्डे में $10 बिलियन का निवेश
    • अमेरिकी कंपनियों से $42 बिलियन के हथियार खरीद समझौते

3. कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा अवसंरचना (Artificial Intelligence and Data Infrastructure)

  • सऊदी अरब: डाटावोल्ट (DataVolt) कंपनी ने अमेरिका में AI डेटा सेंटर और ऊर्जा अवसंरचना के लिए $20 बिलियन का वादा किया।
  • यूएस-सऊदी टेक भागीदारी: गूगल, ओरेकल, सेल्सफोर्स और उबर जैसी कंपनियों ने $80 बिलियन के संयुक्त निवेश की घोषणा की।
  • यूएई:: अबू धाबी में अमेरिका के बाहर का सबसे बड़ा AI डेटा सेंटर स्थापित करने की घोषणा, जिसकी डेटा प्रोसेसिंग क्षमता 5 गीगावाट होगी।

4. विज्ञान और प्रौद्योगिकी

  • कतर:
    • Quantinuum के साथ क्वांटम तकनीक में $1 बिलियन का निवेश
    • Raytheon RTX से $1 बिलियन के एंटी-ड्रोन सिस्टम
    • General Atomics के साथ $2 बिलियन के ड्रोन सौदे

5. एल्युमिनियम और ऊर्जा (Aluminium and Energy)

  • यूएई:: एमिरेट्स ग्लोबल एल्युमिनियम द्वारा ओक्लाहोमा में $4 बिलियन का प्राथमिक एल्युमिनियम स्मेल्टर लगाने का निवेश
  • संयुक्त उपक्रम: अमेरिकी कंपनियां अबू धाबी की राष्ट्रीय तेल कंपनी (ADNOC) के साथ मिलकर तेल और गैस उत्पादन में $60 बिलियन का विस्तार करेंगी।

6. अवसंरचना (Infrastructure)

  • अमेरिकी कंपनियों ने सऊदी अरब में निम्नलिखित बड़े परियोजनाओं के लिए अनुबंध प्राप्त किए:
    • किंग सलमान अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा
    • किंग सलमान पार्क
    • द वॉल्ट
    • किद्दिया सिटी
      इन परियोजनाओं में कुल $2 बिलियन के अमेरिकी निवेश शामिल हैं।

The 2025 U.S. Middle East Visit

राजनयिक पुनर्संरचना: इज़राइल, सीरिया और ईरान:

1. इज़राइल को छोड़ना: एक महत्वपूर्ण बदलाव:
ट्रंप की यात्रा में इज़राइल को शामिल नहीं किया गया, जो क्षेत्र में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों की यात्राओं से एक बड़ा बदलाव है। यह निर्णय निम्नलिखित बातों को दर्शाता है:
गाजा में इज़राइल की सैन्य कार्रवाइयों को लेकर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ तनाव।
फिलिस्तीनियों के प्रति इज़राइली नीतियों को लेकर अमेरिकी घरेलू राय में बदलाव।
खाड़ी-केंद्रित आर्थिक संबंधों की ओर अमेरिकी क्षेत्रीय प्राथमिकताओं का पुनर्निर्देशन।

2. सीरिया के साथ पुनः संवाद:
यात्रा के दौरान एक ऐतिहासिक घटनाक्रम में ट्रंप ने सीरिया के नव-स्थापित राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से मुलाकात की, जो एक पूर्व अल-कायदा नेता हैं। ट्रंप ने:
सीरिया पर लगे सभी अमेरिकी प्रतिबंध हटा दिए, जो एक बड़ा कूटनीतिक परिवर्तन है।
सीरिया को अब्राहम समझौते (ट्रम्प के पहले कार्यकाल में शुरू हुई सामान्यीकरण प्रक्रिया) में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।
हालाँकि सैद्धांतिक रूप से इससे इज़राइल को क्षेत्रीय मान्यता मिलने में मदद मिल सकती है, लेकिन इज़राइल को प्रक्रिया से अलग रखने के कारण तेल अवीव में चिंता जताई गई है।

3. ईरान की ओर झुकाव:
ट्रंप ने ईरान के साथ संवाद की संभावना जताई, जिसमें परमाणु समझौते में दोबारा शामिल होने और प्रतिबंधों में राहत की संभावना है। यह दृष्टिकोण वैचारिक अलगाव के बजाय व्यावहारिक संपर्क को प्राथमिकता देता है।

नैतिक विवाद और व्यापारिक उलझनें
राष्ट्रपति की इस यात्रा ने एक बार फिर राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियों और निजी व्यावसायिक हितों के टकराव पर बहस को जन्म दिया है:
रियल एस्टेट परियोजनाएं: ट्रंप संगठन दुबई में 80-मंज़िला ट्रंप टॉवर और कतर में गोल्फ रिसॉर्ट जैसी परियोजनाएं बाजार में ला रहा है।
क्रिप्टोकरेंसी साझेदारी: ट्रंप परिवार-समर्थित वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल ने अबू धाबी के संप्रभु निवेशकों के साथ सहयोग की घोषणा की।
उपहार विवाद: ट्रंप द्वारा कतर से $400 मिलियन मूल्य का बोइंग 747-8 लग्ज़री जेट स्वीकार करना आलोचना का कारण बना। विश्लेषकों ने इस पर निम्नलिखित चिंताएं जताईं:
o संविधान के एमोल्युमेंट क्लॉज का उल्लंघन।
o राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम, जो विदेशी उपहारों से जुड़ा है।
o लोक सेवा और निजी लाभ के बीच सीमाओं के धुंधले पड़ने की चिंता।

ये घटनाक्रम राष्ट्रपति आचरण की नैतिक सीमाओं पर गंभीर सवाल उठाते हैं, विशेषकर जब नीति निर्णयों से जुड़े वाणिज्यिक हितों को लाभ होता दिखे।

भारत-अमेरिका संबंधों पर प्रभाव
अमेरिका की यह पश्चिम एशिया नीति भारत-अमेरिका संबंधों पर रणनीतिक प्रभाव डालती है, विशेष रूप से बहुपक्षीय और त्रिपक्षीय आर्थिक ढांचों में:
अब्राहम एकॉर्ड और I2U2 (भारत-इज़राइल-UAE-USA) जैसे प्रयास भारत के लिए नई संभावनाएं खोलते हैं:
o अवसंरचना निवेश
o प्रौद्योगिकी सहयोग
o गल्फ भागीदारियों के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा
भारत-पाक तनाव को ट्रंप द्वारा व्यापारिक दबाव से कम करने की भूमिका के दावों को नई दिल्ली ने संदेह की नजर से देखा है। भारत का रुख स्पष्ट है कि कश्मीर मुद्दा द्विपक्षीय है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
सऊदी अरब की समानांतर मध्यस्थता कोशिशें भारत को सावधानीपूर्वक कूटनीति अपनाने के लिए मजबूर करती हैं, जिससे वह अपने पारंपरिक विदेश नीति सिद्धांतों से समझौता किए बिना आर्थिक साझेदारी को आगे बढ़ा सके।

निष्कर्ष:
राष्ट्रपति ट्रंप की 2025 की पश्चिम एशिया यात्रा पारंपरिक कूटनीति का दोहराव नहीं, बल्कि अमेरिकी विदेश नीति में एक सौदाबाज़, व्यापार-केंद्रित सोच का प्रतिबिंब है। पारंपरिक गठबंधनों के स्थान पर आर्थिक सहयोग को प्राथमिकता देकर, विवादास्पद नेताओं से संपर्क करके, और नीति तथा व्यापार के बीच की रेखाओं को धुंधला करके, अमेरिका की मध्य पूर्व से जुड़ने की शैली में महत्वपूर्ण परिवर्तन दिखा है।

हालाँकि इस नई रणनीति से अमेरिका का आर्थिक प्रभाव बढ़ सकता है, लेकिन इससे उसकी संस्थागत विश्वसनीयता को नुकसान और ऐतिहासिक सहयोगियों (जैसे इज़राइल और संभवतः भारत) से दूरी बढ़ने का भी खतरा है। यह रणनीति कितनी सफल होगी, यह आने वाले समय में तय होगा जब तक भू-राजनीतिक समीकरण, नैतिक प्रश्न और जनमत लगातार विकसित होते रहेंगे।

 

प्रश्न: राष्ट्रपति ट्रम्प की 2025 की मध्य पूर्व यात्रा के दौरान सीरिया और ईरान के साथ अमेरिकी जुड़ाव के महत्व का विश्लेषण करें। यह क्षेत्रीय स्थिरता के लिए क्या चुनौतियाँ और अवसर प्रस्तुत करता है?