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Daily-current-affairs / 20 Apr 2024

अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत लक्षित हत्याएँ - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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संदर्भ-

अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार संदिग्ध आतंकवादियों की लक्षित हत्याएँ जटिल कानूनी और नैतिक प्रश्न उठाती हैं। इस चर्चा में हम अंतर्राष्ट्रीय कानून, राजनीतिक संदर्भ और द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में, इस तरह के कार्यों के औचित्य और निहितार्थ को समझेंगे।
लक्षित हत्याओं के लिए कानूनी ढांचा और इनका औचित्य
किसी देश की सीमाओं के बाहर आतंकवादियों को खत्म करने की रणनीति के रूप में लक्षित हत्याओं की अंतरराष्ट्रीय कानून में स्पष्ट कानूनी परिभाषा का अभाव है। हालांकि, इस तरह की कार्रवाई करने से पहले कुछ मानदंडों पर विचार किया जाता है। तीन प्रमुख कारकों को अक्सर इन मानदंडों के तहत देखा जाता हैः पहला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सूची के तहत इन व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में नामित करना, दूसरा प्रत्यर्पण या कानूनी कार्यवाही में आने वाली कठिनाई और तीसरा आतंकवादी गतिविधियों में इन व्यक्तियों की चल रही संलिप्तता। इन शर्तों को पूरा करने पर और संपार्श्विक क्षति को कम करने के उद्देश्य से इस तरह के कार्य को एक पूर्व-निवारक उपाय के रूप में उचित ठहराया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 51 में उल्लिखित आत्मरक्षा के सिद्धांत के तहत लक्षित हत्याओं के कानूनी आधार को रेखांकित किया गया है। ध्यातव्य हो कि आत्मरक्षा को सर्वोपरि माना जाता है, विशेष रूप से जब कोई राज्य आतंकवादी गतिविधियों से लगातार खतरों का सामना करता है, और मेजबान देश इस राज्य को इन खतरों से प्रभावी ढंग से निपटने में असमर्थ या अनिच्छुक मानता है।
अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून (आई. एच. एल.) इन्हें युद्ध के कानूनों के रूप में भी जाना जाता है, और यह सशस्त्र संघर्षों के दौरान लागू होते है। आईएचएल संघर्ष में भाग लेने वालों के आचरण और लक्ष्यीकरण को विनियमित करता है। यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून (आईएचआरएल) हर समय प्रासंगिक होते है, लेकिन सशस्त्र संघर्ष के दौरान आई. एच. एल. द्वारा इसका स्थान लिया जा सकता है।
आईएचएल के तहत, हमलों की अनुमति केवल सैन्य उद्देश्यों के खिलाफ दी जाती है, जैसे कि दुश्मन के लड़ाके या हथियार। नागरिक तब तक हमले से सुरक्षित रहते हैं, जब तक कि वे प्रत्यक्ष रूप से शत्रुता में भाग नहीं लेते। इन कानूनों के वैध होने के लिए, हमलों में लड़ाकों और नागरिकों के बीच भेदभाव होना चाहिए, और नागरिक जीवन का नुकसान सैन्य लाभ की वजह से नहीं किया जाना चाहिए।
सशस्त्र संघर्ष के बाहर, घातक बल तभी वैध मन जाता है, जब जीवन के आसन्न नुकसान को रोकने के लिए इनका प्रयोग आवश्यक हो, और गिरफ्तारी उचित रूप से संभव हो। आईएचआरएल जीवन के अधिकार पर जोर देता है, और विध्वंसक बल के उपयोग को आसन्न खतरों तक सीमित करता है। हालांकि इन कानूनों के तहत जवाबदेही और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हमले के बाद की जांच आवश्यक होती है।
भारत के कार्यों पर दृष्टिकोण
पाकिस्तान में लक्षित हत्याओं के संबंध में भारतीय अधिकारियों के हालिया बयानों की जांच की गई है। आतंकवादियों को खत्म करने के लिए पाकिस्तानी क्षेत्र में प्रवेश करने की भारत के प्रयासों ने इस तरह की कार्रवाइयों की वैधता पर बहस छेड़ दी है। जहां एक दृष्टिकोण इस तरह के कार्यों का समर्थन करता है, इसके अनुसार निरंतर संघर्ष और सीमा पार हमले अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत भारत की प्रतिक्रिया को उचित ठहराते हैं।
हालांकि, एक अन्य परिप्रेक्ष्य एक सूक्ष्म दृष्टिकोण प्रदान करता है, इसके समर्थक सवाल उठाते है, कि क्या ये कार्य निर्धारित मानदंडों को पूरा करते हैं। लक्षित व्यक्तियों द्वारा उत्पन्न तत्काल खतरों को निर्धारित करने के लिए विश्वसनीय खुफिया आकलन की आवश्यकता पर बल दिया जाता है। यह जांच अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचे के भीतर लक्षित हत्याओं को उचित ठहराने की जटिलताओं को रेखांकित करती है।
दोहरा मानक और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
लक्षित हत्याओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं में दोहरे मानकों को अक्सर प्रयोग किया जाता है। इस संदर्भ में ओसामा बिन लादेन के खिलाफ अमेरिका के नेतृत्व वाले अभियान और इजरायल के मोसाद अभियानों के बीच तुलना की जाती है, यह अभियान अक्सर महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय जांच से बच जाते हैं। इन देशों की शक्तियों में असमानताएँ उन्हें राजनीतिक गठबंधनों और वैश्विक शक्ति गतिशीलता के लिए जिम्मेदार बनाती है।

अमेरिका लक्षित हत्याएँ
संयुक्त राज्य अमेरिका ने पाकिस्तान, यमन और सोमालिया जैसे देशों में ड्रोन का उपयोग करके कई लक्षित हत्याएं की हैं। हताहतों के अनुमान अलग-अलग हैं, विभिन्न रिपोर्टों से सपस्ट होता है, कि बड़ी संख्या में कथित आतंकवादी और नागरिक मारे गए हैं। अमेरिकी कानूनी तर्क है कि अल कायदा जैसे समूहों के साथ चल रहे, सशस्त्र संघर्ष का हवाला देते हुए आतंकवादी खतरों के विरुद्ध आत्मरक्षा पर बल देता है। 

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं को आकार देने में अक्सर स्व-हित और घरेलू राजनीति की भूमिका का उल्लेख किया जाता है। विदेश नीति के विमर्श पर घरेलू निर्वाचन क्षेत्रों का प्रभाव विकसित वैश्विक गतिशीलता के बीच राजनयिक संबंधों की बहुआयामी प्रकृति को रेखांकित करता है।
भारत के विदेश संबंधों पर असर
भारत के द्विपक्षीय संबंधों पर लक्षित हत्याओं के संभावित परिणामों का विश्लेषण किया गया है। कनाडा और अमेरिका जैसे देशों के आरोपों की प्रतिक्रियाओं का भी विश्लेषण किया गया है, इसमें राजनयिक नतीजों को कम करने के लिए रणनीतिक संदेश और प्रभावी संचार के महत्व पर बल दिया जाता है।
आलोचना के बीच भारत की अंतर्राष्ट्रीय छवि को बनाए रखने के लिए एक सक्रिय जनसंपर्क रणनीति की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है। लोकतंत्रों के भीतर आवाजों की विविधता और प्रभावी कार्रवाई एवं संचार के माध्यम से आलोचनाओं को संबोधित करने की आवश्यकता को पहचानने के लिए सूक्ष्म राजनयिक दृष्टिकोण की वकालत की जाती है।
निष्कर्ष
अंत में, अंतर्राष्ट्रीय कानून और राजनयिक संबंधों को निर्धारित करने में लक्षित हत्याएँ  जटिलताओं पैदा करती है। कानूनी और नैतिक मानकों को बनाए रखते हुए सुरक्षा खतरों से निपटने में पारदर्शी और सैद्धांतिक दृष्टिकोण की अनिवार्यता पर प्रकाश डाला गया है।
अंतर्राष्ट्रीय धारणाओं को आकार देने में रणनीतिक संचार और सार्वजनिक कूटनीति के महत्व को रेखांकित किया जाता है। लोकतांत्रिक विमर्श की बहुआयामी प्रकृति और आलोचनाओं को रचनात्मक रूप से संबोधित करने की अनिवार्यता को पहचानते हुए सूक्ष्म राजनयिक जुड़ाव की वकालत की जाती है।
अंततः, लक्षित हत्याओं पर विमर्श अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों को बनाए रखने और एक विकसित वैश्विक परिदृश्य में राजनयिक संबंधों को संरक्षित करने के लिए कानूनी, नैतिक और राजनीतिक जटिलताओं को नेविगेट करने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

1.    अंतरराष्ट्रीय कानून में लक्षित हत्याओं को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे, इस तरह के कार्यों को सही ठहराने वाले प्रमुख मानदंडों पर प्रकाश डालिए। ये ढांचे आत्मरक्षा की अनिवार्यता को मानवीय और मानवाधिकार कानून के सिद्धांतों के साथ कैसे संतुलित करते हैं? विश्लेषण कीजिए और अपनी बातों को स्पष्ट करने के लिए उदाहरण दें। (10 Marks, 150 Words)

2.    भारत के विदेशी संबंधों पर लक्षित हत्याओं के निहितार्थ, पाकिस्तान में कार्यों के संबंध में हाल के बयानों पर ध्यान केंद्रित अकरते हुए इस तरह के अभियानों से उत्पन्न होने वाली संभावित राजनयिक चुनौतियों को प्रभावी रणनीतिक संचार कैसे कम कर सकता है? विश्लेषण करें ( 15 Marks, 250 Words)

 

 

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