होम > Daily-current-affairs

Daily-current-affairs / 26 Jun 2025

"जनजातीय सशक्तिकरण : कल्याणकारी योजनाओं से समावेशी भारत की ओर अग्रसर"

image

सन्दर्भ:
भारत की अनुसूचित जनजाति (
ST) जनसंख्या लगभग 10.42 करोड़ है, जो कुल जनसंख्या का 8.6% है। 705 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त जनजातीय समूहों में फैली ये अधिकांश आबादी दूरदराज़, वनों से आच्छादित और अविकसित क्षेत्रों में निवास करती है। ऐतिहासिक रूप से, इन समुदायों को सामाजिक, आर्थिक और बुनियादी ढांचे की मुख्य धारा से बहिष्करण का सामना करना पड़ा है। भारत सरकार ने मुख्य धारा में लाने के उद्देश्य से सामाजिक-आर्थिक उत्थान, आधारभूत विकास और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं।

·        इस उद्देश्य में जनजातीय मामलों का मंत्रालय (MoTA) जनजातीय विकास में केंद्रीय भूमिका निभाता है। इसने वित्तीय आवंटन में वृद्धि की है, मंत्रालयों के बीच समन्वय को प्रोत्साहित किया है और सरकारी लाभों की अंतिम छोर तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए योजना और क्रियान्वयन में पुनर्गठन किया है।

धरती आबा जनभागीदारी अभियान:
हाल की सबसे महत्वपूर्ण पहलों में से एक है धरती आबा जनभागीदारी अभियान, जो भारत का सबसे बड़ा जनजातीय संपर्क और लाभ संतृप्ति अभियान है। यह 15 जून से 30 जून 2025 तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें शामिल हैं:

  • 549 जनजातीय बहुल जिले
  • 207 पीवीटीजी (विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह) जिले
  • 1 लाख से अधिक गाँव और बस्तियाँ
  • 31 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 5.5 करोड़ जनजातीय नागरिक

यह अभियान दो प्रमुख कार्यक्रमों के अंतर्गत संचालित होता है:

1.        प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM-JANMAN)

2.      धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (DAJGUA)

यह जनजातीय गौरव वर्ष के अंतर्गत एक प्रमुख पहल है, जो लाभ संतृप्ति शिविरों के माध्यम से सेवाओं की द्वार-पर-डोर आपूर्ति पर केंद्रित है। इन शिविरों में प्रदान की जाने वाली सेवाएँ हैं:

  • आधार नामांकन
  • आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कार्ड
  • प्रधानमंत्री जन धन खाता
  • पीएम-किसान पंजीकरण
  • पेंशन नामांकन
  • छात्रवृत्ति और बीमा योजनाएँ
  • कौशल प्रशिक्षण और रोजगार से जोड़ने की पहल

इस अभियान को पाँच प्रमुख स्तंभों द्वारा निर्देशित किया गया है:

1.        जनभागीदारीसमुदाय की भागीदारी द्वारा संचालित

2.      संतृप्तिहर पात्र परिवार को कवर करना

3.      सांस्कृतिक समावेशनजनजातीय भाषाओं, कला और विरासत का उपयोग

4.     संविलयन (कन्वर्जेंस)मंत्रालयों, नागरिक समाज और युवा समूहों के बीच सहयोग

5.      अंतिम छोर तक सेवा पहुंचसबसे दूरस्थ जनजातीय बस्तियों तक पहुँचना

भारत में जनजातियों की समझ
भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनजातीय आबादी वाला देश है (अफ्रीका के बाद)। 2011 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जनजातियाँ देश की 8.9% जनसंख्या हैं।

नामकरण और पहचान

  • आदिवासी: भारत के मूल निवासी समुदाय, जिनका प्रकृति से गहरा संबंध होता है और जिनकी विशिष्ट संस्कृति, भाषा और पारंपरिक ज्ञान प्रणाली होती है।
  • अनुसूचित जनजातियाँ (STs): संविधान के अनुच्छेद 366(25) में परिभाषित और अनुच्छेद 342 के तहत अधिसूचित समुदाय, जिन्हें सकारात्मक भेदभाव का लाभ दिया जाता है।
  • विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs): 1975 में पहचानी गई एक उप-श्रेणी, जो अत्यधिक कमजोर मानी जाती है। इनमें शामिल हैं:
    • सीमित, समरूप आबादी
    • कृषि-पूर्व तकनीक
    • कम साक्षरता
    • भौगोलिक अलगाव और जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट

जनजातीय समुदायों का योगदान

1.        पर्यावरण संरक्षण: जैसे आंध्र प्रदेश के चेंचू समुदाय ने पीढ़ियों से वन और वन्यजीवों की रक्षा की है।

2.      आर्थिक योगदान: जैसे मध्य प्रदेश के गोंड समुदाय की पारंपरिक हस्तकला और कृषि।

3.      स्थानीय ज्ञान: जैसे अफ्रीकी मूल के सिद्धी समुदाय का औषधीय पौधों, मधुमक्खी पालन और पारिस्थितिकी का ज्ञान।

4.     राजनीतिक प्रतिनिधित्व: जनजातीय लोगों ने भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं, नीतिगत विमर्श और सांस्कृतिक पहचान में अहम योगदान दिया है।

प्रमुख जनजातीय कल्याणकारी योजनाएँ

1. प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (PM-JANMAN)
15 नवंबर, 2023 को प्रारंभ, यह योजना 18 राज्यों और 1 केंद्रशासित प्रदेश के PVTG समुदायों के उत्थान पर केंद्रित है।

  • बजट: ₹24,000 करोड़ (3 वर्षों में)
  • उद्देश्य:
    • आवास और पेयजल
    • शिक्षा और स्वास्थ्य
    • सड़क और दूरसंचार संपर्क
    • विद्युतीकरण
    • सतत आजीविका
  • जनवरी 2025 तक:
    • ₹4,450 करोड़ के प्रोजेक्ट स्वीकृत
    • ₹7,356 करोड़ स्वीकृत
  • एक सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) अभियान 23 अगस्त से 10 सितंबर 2024 तक चला:
    • 44.6 लाख लोगों (10.7 लाख परिवारों) तक पहुँचा
    • 206 जिलों के 28,700 PVTG बस्तियाँ कवर की गईं
    • आवश्यक दस्तावेज और सेवाएँ द्वार तक पहुँचीं

2. प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (PMAAGY)
पूर्व में "विशेष केन्द्रीय सहायता योजना" (1977-78 से), 2021-22 में पुनः रूपांतरित।

  • उद्देश्य: जनजातीय बहुल गाँवों में आधारभूत ढाँचे की कमी को दूर करना
  • लक्ष्य: 36,428 गाँव जिनमें ≥50% ST जनसंख्या
  • 58 केंद्रीय व राज्य योजनाओं का समन्वय
  • बजट: ₹7,276 करोड़ (5 वर्षों में)
  • 17,616 ग्राम विकास योजनाएँ स्वीकृत
  • ₹2,357.5 करोड़ जारी

3. प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (PMJVM)
जनजातीय उद्यमिता को बढ़ावा देना और "वोकल फॉर लोकल बाय ट्राइबल" की पहल।

  • लघु वन उत्पादों (MFPs) में मूल्यवर्धन
  • TRIFED द्वारा क्रियान्वयन
  • बजट: ₹1,612 करोड़ (5 वर्षों में)
  • मुख्य घटक:
    • 3,000 हाट बाज़ार
    • 600 गोदाम
    • वन धन विकास केंद्र (VDVKs) और उत्पादक कंपनियाँ
  • प्रगति:
    • 3,959 VDVK स्वीकृत (28 राज्य/UT में), 12 लाख लाभार्थी
    • ₹319.65 करोड़ की राशि MFP खरीद हेतु जारी
    • 87 नए MFPs MSP योजना में जोड़े गए
    • ₹89.14 करोड़ स्वीकृत (1,316 हाट, 603 स्टोरेज, 22 प्रोसेसिंग यूनिट)
    • ₹665.34 करोड़ मूल्य की MFP खरीद पूरी

4. एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS)
2018-19 में प्रारंभ, कक्षा VI से XII तक जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण आवासीय शिक्षा।

  • 2024 तक: 728 स्कूल स्वीकृत
  • 2023-24 में 1.33 लाख छात्र नामांकित (2013-14 में 34,365 से बढ़कर)
  • प्रति छात्र वार्षिक लागत: ₹24,200 से बढ़ाकर ₹1,09,000
  • अक्टूबर 2024: 40 स्कूल उद्घाटन, 25 नए शुरू
  • ₹2,800+ करोड़ निवेश
  • 38,800 शिक्षक/स्टाफ की भर्ती योजना; 9,023 नियुक्तियाँ हो चुकी हैं
  • विशेष पहलें:
    • राष्ट्रीय EMRS सांस्कृतिक एवं साहित्यिक महोत्सव
    • छात्रों की दिल्ली और अमृत उद्यान शैक्षिक यात्राएँ
    • अमेज़न फ्यूचर इंजीनियर प्रोग्राम के साथ सहयोग – 50 EMRS में AI और कोडिंग शुरू

निष्कर्ष
भारत की जनजातीय कल्याण नीति अब अधिक जन-केंद्रित, समावेशी और प्रौद्योगिकी-सक्षम बनती जा रही है। धरती आबा जनभागीदारी अभियान जैसे प्रयास समुदाय-नेतृत्व वाले विकास की ओर बदलाव को दर्शाते हैं, जो अंतिम छोर तक सेवा आपूर्ति और बहु-मंत्रालयीय समन्वय को प्राथमिकता देते हैं।
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (PM-JANMAN), प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (PMAAGY), प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन (PMJVM) और एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) जैसी प्रमुख योजनाएं केवल पिछड़ेपन को दूर नहीं करतीं, बल्कि जनजातीय समुदायों को राष्ट्रीय विकास यात्रा से जोड़ती हैं, उनकी पहचान को बनाए रखते हुए।
यदि इन पहलों द्वारा बनाए गए गति को बनाए रखा गया और सशक्त किया गया, तो भारत की दीर्घकालिक जनजातीय विकास खाई को पाटने में यह निर्णायक भूमिका निभा सकती हैं, और एक सशक्त, समतामूलक और समावेशी भारत की दिशा में मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं।

 

मुख्य प्रश्न: "बड़े बजटीय आवंटन और योजनाओं के बावजूद, भारत में जनजातीय कल्याण अक्सर क्रियान्वयन की खामियों से ग्रस्त रहता है।" जनजातीय कल्याण कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में मुख्य चुनौतियों की पहचान कीजिए और उन्हें दूर करने के लिए सुझाव भी दीजिए।