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Daily-current-affairs / 01 Feb 2024

भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी: समान दृष्टिकोण और साझा मूल्यों का गतिशील प्रक्षेप पथ

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संदर्भ:

     भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन की उपस्थिति भारत और फ्रांस के के बीच दीर्घकालिक 'रणनीतिक साझेदारी' का प्रतीक है। फ्रांसीसी राष्ट्रपति की यह उपस्थिति भारत-फ्रांस द्विपक्षीय संबंधों के समान दृष्टिकोण और साझा मूल्यों की रणनीतिक यात्रा को रेखांकित करता है।  हालांकि रणनीतिक स्वायत्तता और बहुध्रुवीयता के साझा मूल्यों में निहित दोनों देशों के बीच तालमेल की शुरुआत वर्ष 1998 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैक्स शिराक की यात्रा के बाद से ही माना जा रहा है। लेकिन हालिया यात्रा मैक्रॉन और भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बीच व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत करती है और इस बात पर जोर देती है, कि दोनों नेता इस अद्वितीय द्विपक्षीय रिश्ते को कितना महत्व देते हैं।

रणनीतिक अभिसरण की उत्पत्ति:

     भारत-फ्रांस 'रणनीतिक साझेदारी' की नींव वर्ष 1998 में रखी गई थी, जब राष्ट्रपति शिराक ने वैश्विक परमाणु व्यवस्था से भारत के बहिष्कार का विरोध कर उसे एक विसंगति घोषित किया था।  फ्रांस ने अपने परमाणु परीक्षणों के बाद भारत की सुरक्षा चिंताओं की सूक्ष्म समझ का प्रदर्शन किया और स्थायी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता के लिए भारत के दावे का समर्थन करने वाला पहला पी-5 देश बन गया। ऐतिहासिक रुप से दोनों राष्ट्र, आपसी संरेखण में भिन्न थे, रणनीतिक स्वायत्तता को महत्व देते थे और शीत युद्ध के बाद के युग में दोनों देशों ने बहुध्रुवीयता को भी अपनाया।  इसके अलावा वर्ष 1966 में नाटो की एकीकृत सैन्य कमान से फ्रांस की वापसी ने भारत के गुटनिरपेक्ष रुख को प्रतिबिंबित किया।

     एशिया-प्रशांत पर बदलते भू-राजनीतिक महत्व को पहचानते हुए, फ्रांस ने भारत की रणनीतिक स्वायत्तता के क्षेत्र में भारत को एक पसंदीदा भागीदार के रूप में चिन्हित किया है।  दोनों देशों ने असाधारण रुप से एक-दूसरे पर अपने मूल्यों को थोपने के बजाय आपसी सम्मान पर बने रिश्ते की नींव रखी।

द्विपक्षीय साझेदारी की नींव:

     वर्तमान भारत और फ्रांस के बीच का द्विपक्षीय संबंध परमाणु सहयोग से आगे बढ़कर एक व्यापक रणनीतिक वार्ता में विकसित हो चुका है। पनडुब्बियों, विमानों और प्रौद्योगिकी साझाकरण तक विस्तृत रक्षा सहयोग, उनकी साझेदारी की अमूल्य पहचान रही है। 36 राफेल विमानों के लिए सरकार-से-सरकार समझौते के साथ-साथ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण ने भारत के एयरोस्पेस उद्योग को बढ़ावा दिया।  मैक्रॉन की हालिया यात्रा भारत-फ्रांस रक्षा औद्योगिक रोडमैप के साथ-साथ आत्मनिर्भरता के प्रति भारतीय प्रतिबद्धता को दर्शाता है।  टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड, एयरबस और सफ्रान के बीच समझौते स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के विकास का प्रतीक हैं।

     अंतरिक्ष क्षेत्र में, 1960 के दशक में शुरू किए गए द्विपक्षीय सहयोग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन रणनीतिक बातचीत के माध्यम से इसे पुनर्जीवित किया गया। इसरो और सीएनईएस का संयुक्त मिशन, अंतरिक्ष प्रक्षेपण पर सहयोग के साथ, उनकी साझेदारी के व्यापक दायरे को दर्शाते हैं।  भारत में रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और फ्रांस का वायु और अंतरिक्ष बल में परिवर्तन अंतरिक्ष डोमेन जागरूकता को अनुकूलित करने में साझा रुचि का संकेत देता है।

साझेदारी का विस्तार और उसकी गहनता:

     सरकारी क्षेत्रों से आगे बढ़ते हुए, भारत और फ्रांस ने अपने सहयोग को वाणिज्यिक और नागरिक क्षेत्रों में विविधता प्रदान की है।  कृषि, पर्यावरण, नागरिक उड्डयन, आईटी और दूरसंचार जैसे विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त कार्य समूह स्थापित किए गए हैं।  सफलता की कहानियों में फ्रांस में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले भारतीय छात्रों की बढ़ती संख्या भी शामिल है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 30,000 करना है। इसके लिए वीजा मुद्दों को संबोधित करना और प्रवासन एवं गतिशीलता साझेदारी समझौते के तहत युवा पेशेवर योजना को संचालित करना लोगों से लोगों के आवागमन को और सुविधाजनक बनाता है।

     वाणिज्यिक परिदृश्य में भारत में लगभग 1,000 फ्रांसीसी कंपनियां, जबकि 150 से अधिक भारतीय व्यवसाय फ्रांस में अवस्थित है।  ब्रेक्सिट के बाद के परिदृश्य में, फ्रांस भारत के लिए यूरोप और फ्रैंकोफोनी में प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है।  भारत-फ्रांस संबंधों की परिपक्वता और लचीलापन, मतभेदों को निजी तौर पर संभालने की उनकी क्षमता में स्पष्ट है, जो एक चौथाई सदी लंबे रिश्ते को दर्शाता है।

चुनौतियाँ और संभावित विकास:

     वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत-फ्रांस 'रणनीतिक साझेदारी' में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है। दोनों देशों को सरकारी स्तर के सहयोग को सामाजिक और वाणिज्यिक बातचीत में बदलने हेतु कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इस दिशा में संयुक्त कार्य समूहों की स्थापना एक सकारात्मक प्रयास है, फिर भी विभिन्न क्षेत्रों में इन संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।  इस संदर्भ में भारत में सोरबोन विश्वविद्यालय परिसर स्थापित करने में फ्रांसीसी सहायता और विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए नियमों में संशोधन से शैक्षिक सहयोग बढ़ सकता है।

     अन्य बातों के अलावा रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग ने भी महत्वपूर्ण प्रगति दिखाई देती है, लेकिन विकसित प्रौद्योगिकियों और भू-राजनीतिक गतिशीलता के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए इस क्षेत्र में भी निरंतर प्रतिबद्धता आवश्यक है।  इस हेतु तीन स्कॉर्पीन और 26 राफेल एम विमानों की खरीद के लिए चल रही बातचीत रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।  साथ ही साथ रक्षा औद्योगिक रोडमैप और एयरोस्पेस प्रौद्योगिकी में सहयोग आत्मनिर्भरता की दिशा में एक पारस्परिक सहयोगी अभियान का प्रतीक है।

निष्कर्ष:

     निष्कर्षतः, भारत-फ्रांस 'रणनीतिक साझेदारी' द्विपक्षीय संबंधों की गहनता और लचीलेपन का एक प्रमाण है।  प्रारंभिक परमाणु सहयोग से लेकर व्यापक रक्षा और अंतरिक्ष सहयोग तक, सभी संबंध बहुआयामी हो गए हैं।  राष्ट्रपति मैक्रॉन की हालिया यात्रा दोनों देशों के नेताओं के बीच व्यक्तिगत तालमेल की पुष्टि करती है और इस अनूठी साझेदारी को दिए जाने वाले महत्व को भी रेखांकित करती है। दोनों देशों द्वारा वैश्विक चुनौतियों से निपटना, निजी तौर पर मतभेदों को संभालने में परिपक्वता और सरकारी स्तर से परे चल रहे प्रयास; इनके मजबूत रिश्ते को उजागर करते हैं।  इस प्रकार आत्मनिर्भरता, शैक्षिक आदान-प्रदान और वाणिज्यिक वार्ता आदि के प्रति प्रतिबद्धता भारत-फ्रांस के साझा मूल्यों और आकांक्षाओं के संभावित रणनीतिक विचारों से परे एक गतिशील प्रक्षेप पथ के नियंता हैं।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न:

  1. भारत-फ्रांस 'रणनीतिक साझेदारी' के विकास की जांच करें, प्रमुख पहलुओं, चुनौतियों और हाल के समझौतों पर प्रकाश डालें जिन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को आकार दिया है।  वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने में ऐसी साझेदारियों के समग्र महत्व का मूल्यांकन करें। (10 अंक, 150 शब्द)
  2. भारत और फ्रांस के बीच रक्षा और एयरोस्पेस सहयोग, उपलब्धियों, चुनौतियों और रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता की खोज पर चर्चा करें।  उभरती भू-राजनीतिक गतिशीलता के संदर्भ में ऐसी साझेदारियों के व्यापक निहितार्थों का विश्लेषण करें। (15 अंक, 250 शब्द)

 

स्रोत: The Hindu

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