होम > Daily-current-affairs

Daily-current-affairs / 27 Sep 2025

“पर्यटन एवं पर्यावरण: विकास और संरक्षण का संतुलन”

image

परिचय:

27 सितम्बर को विश्व पर्यटन दिवस मनाया जाता है, जो पर्यटन के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय महत्व को रेखांकित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित एक दिवस है। यह तिथि 1970 में संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) के संविधान को अंगीकृत किए जाने की याद दिलाती है, जो वैश्विक पर्यटन सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। पहली बार आधिकारिक रूप से विश्व पर्यटन दिवस 1980 में मनाया गया था। वर्ष 1997 से प्रतिवर्ष एक मेज़बान देश का चयन किया जाता है। इस वर्ष 27 से 29 सितम्बर 2025 तक आधिकारिक समारोह एवं विश्व पर्यटन सम्मेलन का आयोजन मलक्का, मलेशिया में किया जा रहा है।

    • विश्व पर्यटन दिवस 2025 का विषय है पर्यटन एवं सतत् रूपांतरण। इसका उद्देश्य केवल संकटों (जैसे COVID-19 महामारी) से पुनर्प्राप्ति तक सीमित न रहकर, पर्यटन को समावेशी, जलवायु-सचेत एवं लचीले रूपांतरण का माध्यम बनाना है।
    • इस वर्ष का विषय पर्यटन एवं सतत रूपांतरणभारत के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण संदर्भ में सामने आया है। जब विश्व जलवायु परिवर्तन, अति-पर्यटन और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं जैसी जटिल चुनौतियों से जूझ रहा है, तब भारत एक ऐसे निर्णायक मोड़ पर खड़ा है, जहाँ पर्यटन सतत् विकास का एक शक्तिशाली साधन बन सकता है। अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर, विविध भौगोलिक परिदृश्य और शताब्दियों पुरानी विरासत के साथ भारत वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर एक अद्वितीय स्थान रखता है। हिमालय की बर्फ़ से ढकी चोटियों से लेकर केरल की शांत बैकवाटर्स तक, प्राचीन मंदिरों और चहल-पहल वाले बाज़ारों से लेकर आधुनिक शहरी केंद्रों तकदेश की विविधता और विशालता हर वर्ष करोड़ों घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करती है।

भारत में पर्यटन: वर्तमान स्थिति और विकास की दिशा:

    • वित्त वर्ष 2022-23 में पर्यटन ने भारत की जीडीपी में 5% योगदान दिया और प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष चैनलों के माध्यम से 7.6 करोड़ नौकरियों का समर्थन किया। पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, 2024 में विदेशी पर्यटक आगमन (FTA) लगभग 1 करोड़ तक पहुंच गयाजो महामारी के बाद की गिरावट से उभरने का संकेत है। 2023 में पर्यटन से विदेशी मुद्रा आय $28 बिलियन से अधिक रहीजो इसकी आर्थिक महत्ता को दर्शाता है।
    • भारत इस समय पर्यटन प्राप्तियों में वैश्विक स्तर पर 14वें स्थान पर है और विश्व के केवल 1.45% अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसके विपरीतफ्रांसस्पेन और थाईलैंड जैसे देश इससे कई गुना अधिक पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
      हालाँकिभारत की मजबूत घरेलू पर्यटन बाजार इसकी एक अनोखी ताकत है। 2023 में भारतीयों ने 2 अरब से अधिक घरेलू यात्राएँ कींजिससे आंतरिक पर्यटन मांगबुनियादी ढांचे के विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का एक शक्तिशाली स्रोत बन गया।

भारत को एक अनोखा पर्यटन स्थल बनाने वाले कारक:

भारत की पर्यटन प्रतिस्पर्धा की ताकत इसकी विविधता में निहित हैभौगोलिकसांस्कृतिकआध्यात्मिक और चिकित्सकीय। यह देश को एक साथ कई बाजार क्षेत्रों की सेवा करने की क्षमता देता है।
भारत की प्रमुख पर्यटन पेशकशों के स्तंभ हैं:

    • आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत: वाराणसीअमृतसरहम्पीअजंता-एलोरा और चारधाम जैसे स्थलों के माध्यम से भारत आध्यात्मिक पर्यटन के लिए वैश्विक आकर्षण है। रामायण सर्किट और बौद्ध सर्किट को अब ‘देखो अपना देश’ अभियान के तहत सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है।
    • चिकित्सा और वेलनेस पर्यटन: चेन्नईदिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में उच्च गुणवत्ता वालीकम लागत वाली चिकित्सा सेवाएँ उपलब्ध हैंजो पश्चिम एशियाअफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया के रोगियों को आकर्षित करती हैं। केरल और उत्तराखंड के वेलनेस रिसॉर्ट आयुर्वेद और योग के पारंपरिक रूपों को आधुनिक देखभाल के साथ जोड़ते हैं।
    • प्राकृतिक और साहसिक पर्यटन: हिमालय से लेकर वेस्टर्न घाटकच्छ के रण से लेकर सुंदरबन तकभारत के जैव विविधता हॉटस्पॉट ट्रेकिंगवाइल्डलाइफ सफारीरिवर राफ्टिंग और इकोटूरिज्म की पेशकश करते हैं।
    • इवेंट्स और MICE पर्यटन: बेहतर कन्वेंशन सेंटर और उन्नत एयरपोर्ट्स के साथभारत अब मीटिंग्सइंसेंटिव्सकॉन्फ्रेंस और एग्ज़िबिशन (MICE) का केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है। 2023–24 के G20 से जुड़े पर्यटन आयोजनों ने भारत की वैश्विक आयोजन क्षमता को प्रदर्शित किया।

चुनौतियाँ:
अपार संभावनाओं के बावजूदभारत का वैश्विक पर्यटन में हिस्सा कम है। कई संरचनात्मक चुनौतियाँ विकास को बाधित कर रही हैं:

    • अपर्याप्त अंतिम-मील कनेक्टिविटी: कई पर्यटन स्थलों तक उचित सड़करेलवे या सीधी हवाई पहुँच नहीं हैजिससे दूरदराज़ और उभरते स्थलों तक पहुँचना कठिन होता है।
    • सुरक्षा और स्वच्छता की चिंताएँ: स्वच्छतासार्वजनिक शौचालयों की कमी और महिलाओं की सुरक्षा अब भी ग्रामीण और अर्ध-शहरी पर्यटन स्थलों पर प्रमुख समस्याएँ हैं।
    • वीज़ा और प्रवेश की बाधाएँ: उच्च वीज़ा शुल्कसमूह पर्यटन की सुविधा की कमी और जटिल ई-वीज़ा प्रक्रियाएँ विदेशी यात्रियों के लिए प्रमुख बाधाएँ हैं।
    • हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में कौशल की कमी: पर्यटन-सामना करने वाली भूमिकाओं में प्रशिक्षित कर्मियों की कमीजैसे गाइडहोटल कर्मचारी और अनुवादकअतिथियों के अनुभव को प्रभावित करती है।
    • डिजिटल अवसंरचना का अभाव: पर्यटक अब निर्बाध डिजिटल अनुभव की अपेक्षा करते हैंबुकिंगनेविगेशनभुगतान और समीक्षा तक। भारत के कई पर्यटन स्थलों में अब भी मजबूत डिजिटल एकीकरण की कमी है।
      ये समस्याएँ न केवल पर्यटकों की संतुष्टि को प्रभावित करती हैंबल्कि भारत की वैश्विक रैंकिंग को भीजैसे कि 2021 में भारत का TTDI (ट्रैवल एंड टूरिज्म डेवलपमेंट इंडेक्स) में 54वाँ स्थान।

सरकारी प्रयास और नीतिगत प्रोत्साहन:

पर्यटन की परिवर्तनकारी शक्ति को पहचानते हुएसरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ाने के लिए कई योजनाएँ और पहल शुरू की हैं।

    • स्वदेश दर्शन 2.0: 50 स्थलों में स्थायी और थीम-आधारित पर्यटन अवसंरचना विकास पर केंद्रित।
    • प्रसाद योजना: धार्मिक विरासत स्थलों पर बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने का उद्देश्यविशेष रूप से आध्यात्मिक पर्यटन पर फोकस।
    • उड़ान योजना: क्षेत्रीय हवाई कनेक्टिविटी को बेहतर बनाकर टियर-और टियर-शहरों को पर्यटन सर्किट से जोड़ना।
    • देखो अपना देश: घरेलू यात्रा और जागरूकता को बढ़ावा देने का अभियानजिसमें समूह यात्रा के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और राज्य स्तरीय प्रतिस्पर्धाएँ शामिल हैं।
      इसके अतिरिक्तगुजरातकेरल और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों ने अपने-अपने पर्यटन नीति बनाए हैंजिनमें ईको-टूरिज्महेरिटेज हॉस्पिटैलिटी और सिनेमाई पर्यटन पर विशेष ध्यान है।

2047 की दृष्टि: भारत को वैश्विक पर्यटन शक्ति बनाना
सरकार की 2047 की दृष्टि में पर्यटन क्षेत्र के जीडीपी में योगदान को दोगुना करना और 15 करोड़ पर्यटन-संबंधित नौकरियाँ सृजित करना शामिल है। इसे साकार करने की प्रमुख प्राथमिकताएँ हैं:

    • डिजिटल-फर्स्ट पर्यटन सेवाएँ: डिजिटल बुकिंगबहुभाषी वर्चुअल गाइड्स और एआई-आधारित पर्यटक सहायता का सार्वभौमिक उपयोग।
    • अवसंरचना का ओवरहॉल: बेहतर सड़केंरेल और हवाई कनेक्टिविटीस्वच्छ शौचालय और स्मार्ट साइनेज पर्यटक सर्किट में।
    • वीज़ा उदारीकरण: वीज़ा-ऑन-अराइवल और मल्टी-एंट्री ग्रुप वीज़ा का विस्तारजिससे भारत को पर्यटकों के लिए अधिक अनुकूल बनाना।
    • रणनीतिक ब्रांडिंग: “इनक्रेडिबल इंडिया” अभियान का एकीकृत और सुसंगत रूपजो दूतावासोंअंतरराष्ट्रीय उत्सवों और सोशल मीडिया के माध्यम से वैश्विक पहुँच बनाए।
    • समुदाय-आधारित पर्यटन: स्थानीय समुदायों और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) को होमस्टेईको-गाइड और सांस्कृतिक आयोजनों का प्रबंधन सौंपकर समावेशी विकास को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष:

जब विश्व, जलवायु परिवर्तन, असमानता, जैव-विविधता की हानि और सांस्कृतिक क्षरण जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है, तब पर्यटन क्षेत्र को सक्रिय रूप से समाधान का हिस्सा बनना होगा। विशेष रूप से भारत के लिए यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि पर्यटन की वृद्धि संतुलित और न्यायसंगत हो। जब पर्यटन उत्पीड़क (extractive) न रहकर पुनर्योजी (regenerative) बनता है, तब यह आजीविकाओं को सशक्त कर सकता है, सांस्कृतिक पहचानों को संरक्षित कर सकता है और जलवायु लचीलापन (climate resilience) का आधार बन सकता है।

UPSC/PCS मुख्य प्रश्न- अति-पर्यटन (Overtourism) और जलवायु परिवर्तन के दौर में सतत पर्यटन ही भविष्य है। चर्चा कीजिये।