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Daily-current-affairs / 27 Jul 2023

प्रतिबंधों के बीच चावल से इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख (Date): 28-07-2023

प्रासंगिकता: जीएस पेपर 3; ऊर्जा - वैकल्पिक ईंधन।

की-वर्ड: भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), खुली बाजार बिक्री योजना-(ओएमएसएस),घरेलू इथेनॉल सम्मिश्रण।

सन्दर्भ:

  • भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, चावल से इथेनॉल के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। जून 2023 में, इथेनॉल उत्पादन के लिए आसवनशाला (डिस्टिलरीज) को रिकॉर्ड 2.77 लाख मीट्रिक टन चावल की आपूर्ति की गई, जिससे तीन साल से भी कम समय में आपूर्ति की गई कुल मात्रा बढ़कर 24 लाख टन हो गई।
  • इथेनॉल उत्पादन में यह वृद्धि पर्यावरणीय चिंताओं को दूर करते हुए ऊर्जा परिदृश्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करने की क्षमता रखती है। यहाँ महत्वपूर्ण यह है की, इथेनॉल आपूर्ति में यह वृद्धि खुले बाजार के तहत एफसीआई चावल की खरीद के संबंध में राज्यों पर लगाए गए प्रतिबंधों के बीच हुई है।

इथेनॉल क्या होता है?

इथेनॉल एक प्रकार का ईंधन है, जिसका इस्तेमाल गाड़ियों को चलाने में किया जाता है। इथेनॉल का उपयोग प्रदूषण को कम करने के लिए किया जाता है। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए यह कदम उठाया गया है. यानी इसके उपयोग से वाहन भी चलाए जा सकते हैं और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है। इथेनॉल, जिसे एथिल अल्कोहल या अनाज अल्कोहल के रूप में भी जाना जाता है । ईंधन के रूप में इसके उपयोग होने वाले जैव ईंधन को बनाने के लिए इथेनॉल को अक्सर गैसोलीन के साथ मिलाया जाता है।

इथेनॉल उत्पादन के लिए बढ़ती आपूर्ति:

  • आंकड़ों से यह स्पष्ट है है कि जून 2023 में, इथेनॉल उत्पादन के लिए चावल की आपूर्ति में वर्ष 2022 के इसी महीने की तुलना में 216% की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे इथेनॉल उत्पादन के लिए चावल की आपूर्ति 2.77 लाख मीट्रिक टन के उच्च स्तर तक पहुंच गई। इसके अलावा, इथेनॉल के लिए चावल की मासिक आपूर्ति मई 2023 में 2.95 लाख मीट्रिक टन थी, जो वर्तमान में बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाती है।
  • वर्ष 2020-21 के बाद से इथेनॉल उत्पादन के लिए आपूर्ति की गई चावल की कुल मात्रा लगातार बढ़ रही है, सरकार ने इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2022-23 के दौरान इथेनॉल के लिए कुल 32 लाख मीट्रिक टन चावल उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा है।

जैव ईंधन के संबंध में भारत की पहलें :

  • इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम: इसके तहत 2025 तक पेट्रोल (E20) में 20% इथेनॉल मिश्रण (2030 से आगे) का लक्ष्य है । जबकि 400 करोड़ लीटर इथेनॉल उत्पादन के साथ 10% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य पहले ही प्राप्त हो चूका है ।
  • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति-2018: 2030 तक इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के तहत 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित है ।
  • ई-100 पायलट प्रोजेक्ट: इस परियोजना का उद्देश्य पूरे देश में इथेनॉल के उत्पादन और वितरण के लिए एक नेटवर्क स्थापित करना है।
  • प्रधान मंत्री जी-वन योजना, 2019: इस योजना का उद्देश्य वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना और 2जी इथेनॉल क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना ।
  • प्रयुक्त खाना पकाने के तेल का पुनर्उपयोग (आरयूसीओ): इसके तहत एफएसएसएआई ने इस्तेमाल किए गए खाना पकाने के तेल को इकट्ठा करने और उसे बायोडीजल में बदलने के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया है ।

वैकल्पिक ईंधन के रूप में इथेनॉल:

  • चावल और अन्य नवीकरणीय स्रोतों से प्राप्त इथेनॉल, पारंपरिक जीवाश्म ईंधन का एक आशाजनक विकल्प है। यह पर्यावरण के अनुकूल विकल्प के रूप में कार्य करता है जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद करता है।
  • इथेनॉल उत्पादन में हालिया उत्पादन वृद्धि जलवायु परिवर्तन से निपटने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के व्यवहार्य समाधान के रूप में जैव ईंधन में बढ़ती रुचि को दर्शाता है। यह जैव ईंधन नीति के अनुरूप है, जिसमें 2025 तक पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण करने के सांकेतिक लक्ष्य की परिकल्पना की गई है।

एफसीआई और राजस्व सृजन पर प्रभाव:

  • आंकड़ों के अनुसार, एफसीआई ने दिसंबर 2020 से इथेनॉल उत्पादन के लिए 24 लाख मीट्रिक टन से अधिक चावल की आपूर्ति की है। आपूर्ति में इस बदलाव ने राजस्व सृजन के नए रास्ते खोल दिए हैं, एफसीआई ने इथेनॉल के लिए अधिशेष चावल बेचने से 4,844 करोड़ रुपये की पर्याप्त आय अर्जित की है।

चुनौतियाँ और प्रतिबंध:

  • इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि आशाजनक है, परन्तु खुले बाजार से चावल खरीदने में राज्यों के सामने आने वाली चुनौतियों और प्रतिबंधों पर विचार करना आवश्यक है। कर्नाटक सहित कई राज्यों ने 13 जून, 2023 से खुली बाजार बिक्री योजना (घरेलू) (ओएमएसएस) के तहत चावल और गेहूं की बिक्री बंद होने पर चिंता व्यक्त की है।
  • इस बंद का संबंधित राज्यों में आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता और मूल्य निर्धारण पर प्रभाव पड़ सकता है।

जलवायु और आर्थिक चिंताओं को संबोधित करना:

  • उत्पादन के लिए इथेनॉल आपूर्ति में वृद्धि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के सरकार के प्रयासों के अनुरूप है।
  • इथेनॉल उत्पादन न केवल कार्बन उत्सर्जन को कम करता है बल्कि विभिन्न क्षेत्रों के लिए नए आर्थिक अवसर भी सृजित करता है।

निष्कर्ष:

इथेनॉल उत्पादन के लिए चावल की रिकॉर्ड-उच्च आपूर्ति भारत में टिकाऊ ऊर्जा समाधानों की दिशा में सकारात्मक बदलाव का संकेत देती है। जैव ईंधन में बढ़ती रुचि और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए इथेनॉल की क्षमता पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। जबकि ओएमएसएस के तहत चावल की खरीद में राज्यों के सामने आने वाली चुनौतियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने और देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है। इथेनॉल जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की क्षमता का दोहन करने के निरंतर प्रयास भारत के सतत विकास लक्ष्यों और हरित भविष्य में योगदान देंगे।

मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न-

  • प्रश्न 1. भारत में चावल से इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि का क्या महत्व है, और यह देश के ऊर्जा परिदृश्य और पर्यावरणीय लक्ष्यों में कैसे योगदान देता है? विश्लेषण कीजिये । (10 अंक, 150 शब्द)
  • प्रश्न 2. इथेनॉल उत्पादन के लिए बढ़ती आपूर्ति के बीच, खुले बाजार से चावल की खरीद को लेकर राज्यों के सामने क्या चुनौतियाँ हैं, और इससे संबंधित क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता और मूल्य निर्धारण पर क्या प्रभाव पड़ा है? विवेचना कीजिये । (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत द : इंडियन एक्सप्रेस

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