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Daily-current-affairs / 20 Sep 2023

भारत-अमेरिका: सशक्त शैक्षिक साझेदारी - डेली न्यूज़ एनालिसिस

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तारीख (Date): 21-09-2023

प्रासंगिकता - जीएस पेपर 2 - अंतर्राष्ट्रीय संबंध

की-वर्ड - G20, GIAN, फुलब्राइट-नेहरू मास्टर फेलोशिप, SDG

सन्दर्भ:

  • जी 20 नई दिल्ली की घोषणा ने, अकादमिक सहयोग का समर्थन करने और अनुसंधान एवं उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों, विद्वानों, शोधकर्ताओं सहित वैज्ञानिकों की गतिशीलता को बढ़ावा देने हेतु अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है। सीमा पार शैक्षिक साझेदारी और विनिमय कार्यक्रम ज्ञान-आधारित सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संबंधों के माध्यम से वैश्विक शक्ति निर्माण के लिए एक सशक्त उपकरण के रूप में उभरे हैं।
  • बेंजामिन फ्रैंकलिन ने एक बार ठीक ही कहा था, "ज्ञान में निवेश सर्वोत्तम ब्याज देता है।" आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में, यह मानते हुए कि शिक्षा प्रगति और विकास की आधारशिला है, कई राष्ट्रों ने इस ज्ञान को आत्मसात कर लिया है। यह भावना सदस्य देशों को उनके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) या सार्वजनिक व्यय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा; शिक्षा के लिए आवंटित करने के यूनेस्को के आदेश जैसी वैश्विक पहलों में स्पष्ट है। इसके अलावा, G20 समूह, जो मूल रूप से आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था , अब आर्थिक विकास में मानव पूंजी को बढ़ावा देने में शिक्षा की भूमिका पर भी जोर दे रहा है।

भारत और अमेरिका: एक समृद्ध साझेदारी

  • भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच मजबूत शैक्षिक संबंधों का विकास उनकी समृद्ध साझेदारी का उदाहरण है। प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के दौरान अमेरिकी प्रथम महिला जिल बाइडेन ने दोनों देशों के बीच संबंधों में शिक्षा की केंद्रीयता पर जोर दिया था।
  • भारतीय प्रधानमंत्री ने यह स्वीकार करते हुए, कि जहां अमेरिका शीर्ष श्रेणी के शैक्षणिक संस्थानों और उन्नत प्रौद्योगिकियों का दावा करता है, वहीं भारत दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी का घर है; उन्होंने "प्रतिभा की पाइप लाइन (pipeline of talent)" पर भी बल दिया था। दोनों देशों के बीच यह तालमेल सहयोग के लिए आशाजनक अवसर प्रस्तुत करता है।

प्रतिभा पलायन चुनौती को संबोधित करना:

  • ऐतिहासिक रूप से, भारत "प्रतिभा पलायन” के मुद्दे से जूझता रहा है। इस कारण प्रतिभाशाली व्यक्तियों की एक बड़ी संख्या अमेरिका और अन्य देशों में पलायन कर गई। इस घटना ने भारत के घरेलू मानव पूंजी निर्माण पर नकारात्मक प्रभाव डाला। हालांकि, प्रमुख द्विपक्षीय शैक्षिक पहलों की स्थापना ने इस प्रवृत्ति को बदल दिया है।
  • कृषि शिक्षा पर “अमेरिका-भारत शैक्षिक पहल’ और ‘भारत-अमेरिका 21वीं सदी ज्ञान पहल” जैसे प्रयासों ने दोनों देशों में उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच सहयोग का विस्तार किया है। इसमें जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, सतत ऊर्जा और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं। इन पहलों का उद्देश्य न केवल आर्थिक विकास बल्कि आपसी समझ और शैक्षिक सुधार को बढ़ावा देना भी है।
  • इसके अतिरिक्त, 2015 में लॉन्च किए गए भारत द्वारा ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर एकेडमिक नेटवर्क्स (GIAN) ने भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित वैश्विक विशेषज्ञों के बीच आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान की। “फुलब्राइट-नेहरू कार्यक्रम’ ने दोनों देशों के बीच शैक्षणिक और व्यावसायिक विनिमय को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इस प्रक्रिया ने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत किया।

2024-2025 फुलब्राइट-नेहरू मास्टर फेलोशिप (Fulbright-Nehru Master’s Fellowships):

  • यह फेलोशिप इच्छुक भारतीयों के लिए विरासत संरक्षण तथा संग्रहालय अध्ययन सहित कला एवं संस्कृति प्रबंधन के क्षेत्रों में चुनिंदा अमेरिकी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में मास्टर डिग्री कार्यक्रम के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  •  इस फेलोशिप में अर्थशास्त्र; पर्यावरण विज्ञान/अध्ययन; उच्च शिक्षा प्रशासन; अंतरराष्ट्रीय मामले; अंतरराष्ट्रीय कानूनी अध्ययन; पत्रकारिता एवं जनसंचार; लोक प्रशासन; सार्वजनिक स्वास्थ्य; शहरी और क्षेत्रीय योजना; और महिला अध्ययन/लिंग अध्ययन भी शामिल हैं।
  • ये फेलोशिप उन व्यक्तियों के लिए भी हितकर हैं जो नेतृत्व गुणों का प्रदर्शन करते हैं, जिन्होंने अमेरिकी स्नातक की डिग्री के समकक्ष पूरा कर लिया है और कम से कम तीन वर्ष का पेशेवर कार्य अनुभव रखते हैं। साथ ही अपने समुदायों में वापस लौटने और योगदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह फेलोशिप एक से दो वर्ष के लिए होती है।

अकादमिक नेटवर्क की वैश्विक पहल (GIAN)

  • उच्च शिक्षा में अकादमिक नेटवर्क की वैश्विक पहल (जीआईएएन) को मानव संसाधन और विकास मंत्रालय के तहत, एक पहल के रूप में 2015 में लांच किया गया था।
  • उद्देश्य:
  • GIAN का प्राथमिक लक्ष्य भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ सहयोग करने के लिए वैज्ञानिकों और उद्यमियों की विशेषज्ञता का उपयोग करना है।
  • इस सहयोग का उद्देश्य भारत की वर्तमान शैक्षणिक क्षमताओं को बढ़ाना, उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक सुधारों के कार्यान्वयन में तेजी लाना और देश की वैज्ञानिक एवं तकनीकी शक्ति को भी बढ़ाना है।

2020 में पुनरुत्थान:

  • 2020 में विभिन्न कारकों से प्रेरित होकर भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त शैक्षिक गतिविधियों में पुनरुत्थान देखा गया है। COVID-19 महामारी ने ऑनलाइन शिक्षण के विकास को तेज़ कर दिया, जिससे ई-लर्निंग उत्पादों और सेवाओं का तेजी से प्रसार हुआ।
  • भारत, अमेरिका के बाहर कोर्सेरा, उडेमी और उडासिटी जैसी अमेरिकी एडटेक कंपनियों के लिए सबसे बड़े बाजारों में से एक बन गया है।
  • इसके साथ ही, भारतीय एडटेक फर्मों, जैसे बायजू, सिंपलीलर्न, एमेरिटस और स्केलर ने अमेरिका और अन्य बाजारों में अपने परिचालन का विस्तार किया है।
  • इस प्रतिस्पर्धी माहौल में अत्याधुनिक शिक्षण समाधानों को मुख्यधारा में लाने और वैश्विक स्तर पर शैक्षिक मानकों को ऊपर उठाने की क्षमता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के साथ उपलब्ध अवसर:

  • भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 ने भारत-अमेरिका शिक्षा सहयोग के लिए कई संभावनाओं के द्वार को खोल दिया है। विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर खोलने की अनुमति देने के लिए विधायी ढांचे की स्थापना की जा रही है, जिसमें विश्व स्तर पर शीर्ष क्रम के विश्वविद्यालयों को आकर्षित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
  • भारत ने दस से अधिक उच्च रैंकिंग वाले अमेरिकी विश्वविद्यालयों के साथ बातचीत शुरू की है और अमेरिकी संस्थानों के साथ विभिन्न संयुक्त शैक्षणिक कार्यक्रमों की संभावना की तलाश की है। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय विश्वविद्यालयों के अमेरिका में संचालन पर भी विचार चल रहा है।
  • एक उच्च-स्तरीय भारत-अमेरिका टास्क फोर्स ने वैश्विक विश्वविद्यालयों को एक-दूसरे के देशों में शाखा परिसर स्थापित करने की सिफारिश की है। इसके सहायता के लिए राजनयिक तंत्रों में समर्पित कार्यालयों की स्थापना की जाएगी, जो पाठ्यक्रम, शिक्षा शास्त्र और अनुसंधान के वैश्वीकरण के लिए मॉडल के रूप में काम करेंगे।

कौशल विकास पर फोकस:

  • अप्रैल 2022 में भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता ने दोनों देशों के बीच गतिशील शैक्षिक संबंधों को उजागर किया है। शिक्षा और कौशल विकास पर भारत-अमेरिका कार्य समूह के गठन के तुरंत बाद आगे सहयोग करने की उनकी प्रतिबद्धता की पुष्टि की गई।
  • कौशल, तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा तथा उद्योग-अकादमिक इंटरफेस पर कार्य समूह का फोकस प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बिडेन द्वारा उल्लिखित प्राथमिकताओं के साथ संरेखित है, विशेष रूप से तकनीकी साझेदारी और उभरती प्रौद्योगिकियों में।

सतत विकास लक्ष्यों (SDG) को आगे बढ़ाना:

  • जैसे-जैसे दुनिया 2030 एजेंडा के लक्ष्य को प्राप्त करने के करीब पहुंच रही है, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में तेजी लाने के लिए वैश्विक प्रयास का आह्वान बढ़ता जा रहा है।
  • यह साझेदारी एसडीजी की प्रगति को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से भारत-अमेरिका अनुसंधान प्रयासों का एक उपयुक्त अवसर प्रस्तुत करता है।
  • इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय इंटर्नशिप सहित प्रशिक्षुता युवा शोधकर्ताओं और चिकित्सकों को राष्ट्रीय तथा वैश्विक प्रयासों में योगदान करते हुए करियर शुरू करने के अवसर प्रदान कर सकते हैं।

सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी):

  • सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी), जिन्हें वैश्विक लक्ष्यों के रूप में भी जाना जाता है, को 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा गरीबी को समाप्त करने, पृथ्वी की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए सार्वभौमिक आह्वान के रूप में अपनाया गया था, कि 2030 तक सभी लोग शांति और समृद्धि प्राप्त कर सकें।
  • सभी 17 एसडीजी एकीकृत हैं - वे मानते हैं कि एक क्षेत्र में कार्रवाई दूसरों में परिणामों को प्रभावित करेगी और समन्वित विकास के लिए सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करना होगा।

मानविकी और सामाजिक विज्ञान में सहयोग को बढ़ावा देना:

यद्यपि भारत-अमेरिका शैक्षिक साझेदारी मुख्य रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर केंद्रित है तथापि, मानविकी, सामाजिक विज्ञान और कला में अधिक सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता बढ़ रही है।

निष्कर्ष:

  • शिक्षा के क्षेत्र में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच साझेदारी तेजी से विकसित हो रही है, जो ज्ञान-आधारित सशक्तिकरण और आर्थिक विकास के लिए साझा प्रतिबद्धता से प्रेरित है। ऑनलाइन शिक्षण, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और कौशल विकास जैसे कारकों के अभिसरण ने सहयोग के लिए अनुकूल माहौल तैयार किया है।
  • अपनी शक्तियों का उपयोग करके और गहरे शैक्षिक संबंधों को बढ़ावा देकर, दोनों देश न केवल एक-दूसरे को लाभ पहुंचा सकते हैं, बल्कि वैश्विक प्रगति और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भी योगदान दे सकते हैं।
  • इसके अलावा, मानविकी और सामाजिक विज्ञान में सहयोग का पोषण उस सांस्कृतिक ताने-बाने को समृद्ध कर सकता है जो इन दो लोकतांत्रिक देशों को आपस में जोड़ता है। शैक्षिक उत्कृष्टता की खोज में, भारत और अमेरिका अपने युवाओं और समग्र विश्व के लिए एक उज्जवल भविष्य बनाने के लिए तैयार हैं।

यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए संभावित प्रश्न

  1. "कोविड-19 महामारी ने ऑनलाइन शिक्षण के विकास और भारत-अमेरिका शैक्षिक साझेदारी को कैसे प्रभावित किया है? अमेरिकी एडटेक कंपनियों के लिए एक प्रमुख बाजार के रूप में भारत के उभरने के निहितार्थ पर चर्चा करें।" (10 अंक, 150 शब्द)
  2. "भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच शैक्षिक सहयोग पर भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के प्रभाव का मूल्यांकन करें। भारत में कैंपस खोलने वाले विदेशी विश्वविद्यालयों के संभावित लाभ एवं चुनौतियों और संयुक्त राज्य अमेरिका में संचालित भारतीय विश्वविद्यालयों की अवधारणा को समझाइए।" (15 अंक, 250 शब्द)

स्रोत - ओआरएफ

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