होम > Daily-current-affairs

Daily-current-affairs / 06 May 2025

विझिनजाम बंदरगाह: वैश्विक व्यापार के केंद्र के रूप में भारत की उभरती भूमिका

image

"भारत का समुद्री क्षेत्र वर्तमान में क्रांतिकारी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जिसका उद्देश्य बुनियादी ढांचे में सुधार, वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देना और भारत को वैश्विक समुद्री व्यापार में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करना है। यह परिवर्तन सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं का परिणाम है, जिसमें 'सागरमाला', 'मैरीटाइम इंडिया विजन 2030' और विझिनजाम पोर्ट जैसे महत्वपूर्ण बंदरगाहों का विकास शामिल है, जिनमें उच्च तकनीक वाले बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है। भारत, हिंद महासागर में अपनी रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाते हुए वैश्विक शिपिंग का एक केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है, और विझिनजाम पोर्ट की सफलता इस व्यापक दृष्टिकोण का केंद्रीय घटक बनकर उभर रही है।"

"रणनीतिक स्थान और वैश्विक महत्व:

विझिनजाम का स्थान भारत के लिए रणनीतिक रूप से अत्यंत लाभकारी है, क्योंकि यह प्रमुख वैश्विक शिपिंग मार्गों के निकट स्थित है। यूरोप, एशिया, अफ्रीका और अमेरिका को जोड़ने वाले प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों से मात्र 10 समुद्री मील की दूरी पर स्थित, यह विझिनजाम को क्षेत्रीय बंदरगाहों पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त प्रदान करता है। इस निकटता के कारण, विझिनजाम बड़े जहाजों के लिए एक प्रमुख ट्रांसशिपमेंट हब के रूप में कार्य कर सकता है, जिससे कंटेनर ट्रांसशिपमेंट के लिए विदेशी बंदरगाहों पर निर्भरता में कमी आएगी। वर्तमान में, भारत का लगभग 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो कोलंबो, सिंगापुर और क्लैंग जैसे विदेशी बंदरगाहों से हैंडल किया जाता है। विझिनजाम के चालू होने से इस निर्भरता में कमी आने की संभावना है, जिससे वैश्विक समुद्री व्यापार में भारत की हिस्सेदारी में वृद्धि होगी।"

प्रमुख परिचालन उपलब्धियाँ:

विझिनजाम बंदरगाह के पहले चरण का पूरा होना भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह बंदरगाह 20,000 TEU (बीस फुट समतुल्य इकाइयों) तक का कार्गो संभालने के लिए विकसित किया गया है, जिसकी प्राकृतिक गहराई 20 मीटर है, जिससे यह दुनिया के सबसे बड़े जहाजों को समायोजित कर सकता है। बंदरगाह के परिचालन में कुछ प्रमुख मील के पत्थर इस प्रकार हैं:

  • पहला कंटेनर हैंडलिंग (2024): पहला कंटेनर हैंडलिंग परिचालन जुलाई 2024 में शुरू हुआ, जबकि पूर्ण वाणिज्यिक परिचालन दिसंबर 2024 से शुरू हुआ ।
  • रिकॉर्ड शिपमेंट हैंडल करना: मार्च 2025 तक, विझिनजाम बंदरगाह ने पहले ही 6 लाख TEU का संचालन कर लिया है, जो इसके पहले वर्ष की अपेक्षाओं से कहीं अधिक था। इसने विझिनजाम को भारत का सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला बंदरगाह बना दिया है।
  • विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा: अत्याधुनिक क्रेन और हैंडलिंग उपकरणों से सुसज्जित, यह बंदरगाह अल्ट्रा लार्ज कंटेनर वेसल्स (ULCV) को सहजता से संभालने के लिए तैयार है। सितंबर 2024 में, बंदरगाह ने दक्षिण एशिया में अब तक के सबसे बड़े कंटेनर पोत, MSC क्लाउड गिरार्डेट को शामिल  किया, जिसने 24,116 TEUs का कार्गो वहन किया।
  • एमएससी समावेशन: भूमध्यसागरीय शिपिंग कंपनी (Mediterranean Shipping Company -MSC) ने पहले ही विझिनजाम को अपनी 'जेड सेवा' (यूरोप-एशिया) और 'ड्रैगन सेवा' (एशिया-भूमध्यसागरीय) में शामिल कर लिया है, जो बंदरगाह के वैश्विक महत्व को प्रमाणित करता है।
  • भारत का पहला अर्ध-स्वचालित बंदरगाह: विझिनजाम में भारत का पहला अर्ध-स्वचालित कंटेनर टर्मिनल है, जो उन्नत तकनीक से सुसज्जित है और परिचालन दक्षता को बढ़ावा देता है।

तकनीकी प्रगति और कार्यबल सशक्तिकरण:

  • स्वचालन: विझिनजाम बंदरगाह ने आधुनिक स्वचालित क्रेनों और कंटेनर हैंडलिंग प्रणालियों को अपनाया है, जिससे परिचालन की गति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और मानवीय त्रुटियों में उल्लेखनीय कमी आई है।
  • हरित प्रौद्योगिकियाँ: पर्यावरणीय स्थिरता की वैश्विक आवश्यकताओं के अनुरूप, बंदरगाह हरित तकनीकों को अपनाने की दिशा में अग्रसर है। इसमें जहाजों के लिए तटीय विद्युत आपूर्ति की सुविधा तथा टग बोट बेड़े को पर्यावरण-अनुकूल विकल्पों में परिवर्तित करने की योजनाएँ शामिल हैं।
  • कुशल कार्यबल विकास: केरल सरकार और अदानी पोर्ट्स के संयुक्त प्रयास से स्थापित सामुदायिक कौशल पार्क जैसे प्रशिक्षण केंद्रों ने स्थानीय युवाओं को अत्याधुनिक पोर्ट संचालन से संबंधित कौशल प्रदान किए हैं। इस पहल का विशेष पहलू यह है कि इसके माध्यम से प्रशिक्षित महिलाओं को अर्ध-स्वचालित क्रेनों के संचालन जैसे तकनीकी कार्यों में सफलतापूर्वक रोजगार मिला है।

मुख्य चुनौतियाँ:

  • बुनियादी ढांचा विकास की आवश्यकता: यद्यपि विझिनजाम बंदरगाह स्वयं संचालन के लिए पूर्णतः तैयार है, लेकिन इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सड़क, रेलवे संपर्क और एकीकृत सीमा शुल्क जैसी सहायक अवसंरचनाओं का तीव्र विकास अनिवार्य है।
  • पर्यावरणीय चिंताएँ: ड्रेजिंग और निर्माण गतिविधियों से उत्पन्न पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर स्थानीय समुदायों और पर्यावरणविदों ने चिंता व्यक्त की है। इस संदर्भ में, केरल सरकार ने हरित प्रौद्योगिकियों और सतत विकास की रणनीतियों को अपनाकर इन मुद्दों के समाधान की प्रतिबद्धता जताई है।
  • क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा: विझिनजाम को कोलंबो, सिंगापुर और क्लैंग जैसे लंबे समय से स्थापित ट्रांसशिपमेंट बंदरगाहों से प्रतिस्पर्धा करनी होगी। वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सफल होने के लिए, इसे लागत-प्रभावी सेवाएँ, तीव्र संचालन क्षमता और अंतरराष्ट्रीय शिपिंग कंपनियों को आकर्षित करने के लिए रणनीतिक प्रोत्साहन प्रदान करने की आवश्यकता होगी।

समुद्री भारत विज़न 2030:

बंदरगाह, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) ने 2020 में मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 (MIV 2030) जारी किया, जो भारत के समुद्री क्षेत्र के पुनर्गठन, आर्थिक सशक्तिकरण और वैश्विक शिपिंग में देश की भूमिका को सुदृढ़ करने हेतु एक दीर्घकालिक और व्यापक रणनीतिक खाका प्रस्तुत करता है। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • बंदरगाहों का आधुनिकीकरण और विस्तार: इस योजना के अंतर्गत मौजूदा बंदरगाहों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कर विश्वस्तरीय बनाया जाना है, साथ ही नए गहरे समुद्री बंदरगाहों के निर्माण पर भी बल दिया गया है, जो बड़े जहाजों और उच्च मालवहन की क्षमता को संभाल सकें।
  • लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार: वर्तमान में भारत की लॉजिस्टिक्स लागत सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 1315% है, जो वैश्विक औसत 78% से काफी अधिक है। मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 का लक्ष्य इस लागत को कम करके भारत को वैश्विक व्यापार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाना है, जिसके लिए बंदरगाह कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचे और संचालन क्षमता को बेहतर बनाना आवश्यक है।
  • समुद्री निर्यात को प्रोत्साहन: कंटेनर कार्गो की कुशल हैंडलिंग, जहाजों के टर्नअराउंड समय में कमी और अंतरराष्ट्रीय व्यापार साझेदारियों के माध्यम से समुद्री निर्यात को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने की योजना है।
  • हरित नौवहन और स्थिरता: पर्यावरणीय संतुलन इस दृष्टिकोण का केंद्रीय तत्व है। यह योजना हरित प्रौद्योगिकियों, तटीय बिजली आपूर्ति और टिकाऊ बंदरगाह प्रथाओं को बढ़ावा देती है, जिससे समुद्री परिवहन के पर्यावरणीय प्रभाव को न्यूनतम किया जा सके।
  • तटीय आर्थिक क्षेत्रों का विकास: सागरमाला परियोजना के तहत तटीय आर्थिक क्षेत्रों (Coastal Economic Zones - CEZs) का विकास न केवल बंदरगाहों से जुड़ी औद्योगिक गतिविधियों को गति देगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर व्यापक रोजगार के अवसर भी उत्पन्न करेगा।

सागरमाला परियोजना: बंदरगाहों को विकास से जोड़ने की पहल

सागरमाला परियोजना, मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जिसे 2015 में शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के बंदरगाह अवसंरचना को सुदृढ़ करना, लॉजिस्टिक्स दक्षता को बढ़ाना तथा बंदरगाह आधारित औद्योगीकरण को प्रोत्साहित करना है। सागरमाला निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है:

  • बंदरगाह संपर्क (Port Connectivity): सागरमाला का लक्ष्य बंदरगाहों को देश के आंतरिक औद्योगिक क्षेत्रों से जोड़ना है। इसके लिए रेल, सड़क और तटीय शिपिंग अवसंरचना का व्यापक विकास किया जा रहा है, जिससे निर्बाध और तीव्र माल परिवहन सुनिश्चित हो सके।
  • बंदरगाह दक्षता में सुधार: अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों, स्वचालन तथा विश्व-स्तरीय कार्गो हैंडलिंग प्रणालियों के माध्यम से बंदरगाहों को आधुनिकीकृत किया जा रहा है, जिससे संचालन लागत में कमी और कार्यक्षमता में वृद्धि सुनिश्चित हो।
  • तटीय नौवहन को प्रोत्साहन: सड़क और रेल नेटवर्क पर बोझ को कम करने तथा कार्बन उत्सर्जन घटाने के उद्देश्य से तटीय नौवहन को एक कुशल और हरित विकल्प के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • बंदरगाह-आधारित उद्योगों का विकास: सागरमाला के अंतर्गत, बंदरगाहों के आसपास जहाज निर्माण, मरम्मत, समुद्री उपकरण निर्माण जैसे उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, जिससे आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ें और स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित हों।

सागरमाला परियोजना भारत की समुद्री रणनीतिक मूल आधार है, जो न केवल देश की सामुद्रिक शक्ति को पुनः परिभाषित कर रही है, बल्कि विझिनजाम जैसे बंदरगाहों को वैश्विक व्यापार के केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में भी निर्णायक भूमिका निभा रही है।

निष्कर्ष:

विझिनजाम बंदरगाह का निर्माण भारत के समुद्री क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी उपलब्धि के रूप में उभर कर सामने आया है। इसका रणनीतिक स्थान, अत्याधुनिक अवसंरचना और राज्य तथा केंद्र सरकारों का समन्वित सहयोग इसे भारत की दीर्घकालिक आर्थिक एवं भू-राजनीतिक रणनीति की आधारशिला बनाते हैं। जैसे-जैसे बंदरगाह पूर्ण क्षमता के साथ कार्यशील होगा, यह न केवल भारत के वैश्विक व्यापार पदचिह्न को नया आकार देगा, बल्कि क्षेत्रीय आर्थिक विकास को भी गति प्रदान करेगा और भारत को अंतरराष्ट्रीय समुद्री वाणिज्य में एक निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।

 

मुख्य प्रश्न: सागरमाला परियोजना कैसे कार्यान्वित होगी? क्या कार्यक्रम बंदरगाह के बुनियादी ढांचे को क्षेत्रीय आर्थिक विकास के साथ एकीकृत करेगा? तटीय आर्थिक क्षेत्रों और बंदरगाह आधारित उद्योगों के विकास के संदर्भ में इसके प्रभाव का मूल्यांकन करें।